Sawan Fasting Rules: सावन में क्या खाएं और क्या नहीं? कढ़ी और दही पर क्यों लगती है रोक?
Sawan Fasting Rules, सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें व्रत, पूजा-पाठ, भक्ति और संयम का विशेष महत्व होता है।
Sawan Fasting Rules : सावन में कढ़ी-दही से परहेज़ क्यों? जानें आयुर्वेदिक, धार्मिक और स्वास्थ्य कारण
Sawan Fasting Rules, सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें व्रत, पूजा-पाठ, भक्ति और संयम का विशेष महत्व होता है। सावन के दौरान खान-पान को लेकर कई नियम बनाए गए हैं, जिनमें से एक है दही और कढ़ी का सेवन न करना। लेकिन आखिर क्यों? क्या यह केवल धार्मिक आस्था है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी है? आइए, विस्तार से समझते हैं।
धार्मिक कारण
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन में भगवान शिव को बेलपत्र, जल और दूध अर्पित किया जाता है, लेकिन दही अर्पित नहीं की जाती। दही को ठंडा, भारी और कफवर्धक माना जाता है, जिसे शिवजी के लिए उपयुक्त नहीं समझा जाता।सावन में लोग भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान हल्के और सात्विक भोजन का सेवन करने की परंपरा है। कढ़ी (जिसमें बेसन और दही दोनों शामिल होते हैं) को गरिष्ठ माना जाता है और यह व्रत या साधना के समय पचाने में कठिन हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, सावन में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे शरीर में कफ और वात दोष बढ़ने की संभावना रहती है। दही और कढ़ी दोनों ही कफवर्धक भोजन माने जाते हैं, इसलिए इन्हें इस मौसम में खाने से बचने की सलाह दी जाती है।
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वैज्ञानिक कारण
मानसून के दौरान आर्द्रता बढ़ने से शरीर की पाचन क्षमता घट जाती है। ऐसे में भारी और खट्टे पदार्थों का सेवन जैसे दही या कढ़ी, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। बारिश के मौसम में वातावरण में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। दही और उससे बनी चीज़ें जैसे कढ़ी जल्दी खराब हो जाती हैं और इनके सेवन से फूड पॉइजनिंग का खतरा भी रहता है। सावन में नमी के कारण त्वचा से जुड़ी बीमारियां जैसे फंगल इंफेक्शन, एलर्जी आदि बढ़ जाती हैं। आयुर्वेद कहता है कि दही और कढ़ी जैसे खाद्य पदार्थ इन समस्याओं को और बढ़ा सकते हैं।
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क्या खाएं सावन में?
सावन में ताजे, हल्के और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। फलों, सब्जियों, मूंग दाल, खिचड़ी, सत्तू, दूध आदि को भोजन में शामिल करना बेहतर होता है।
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