लाइफस्टाइल

Vat Savitri Vrat: इस साल वट सावित्री व्रत पर बन रहा खास योग, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat: जाने 29 या 30 मई कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत


Highlights

· जाने इस साल कब रखा जाएगा वट सावित्री का व्रत?

· जाने क्यों रखा जाता है वट सावित्री का व्रत?

· जाने वट सावित्री व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

· इस साल वट सावित्री व्रत पर बन रहा है खास संयोग।

· जाने वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व।

Vat Savitri Vrat: हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल वट सावित्री के व्रत के दिन काफी खास संयोग बन रहा है क्योंकि इस बार वट सावित्री के दिन शनि जयंती के साथ सोमवती अमावस्या भी पड़ रहा है। जो काफी ज्यादा अच्छा योग माना जा रहा है। आपको बता दें कि सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं।

Read More- Belly Fat reducing Tips भारत में करीब 135 लोग हैं मोटापे के शिकार ! इन Tips को फॉलो कर करें Belly Fat दूर

इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पुरे विधि विधान से पूजा करती हैं और बरगद के पेड़ की परिक्रमा करके अपने पति के जीवन में आने वाली सभी समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। इस साल वट सावित्री का व्रत 30 मई को रखा जाएगा।

इस साल वट सावित्री व्रत पर बन रहा है खास संयोग

इस साल वट सावित्री व्रत के दिन काफी अच्छा संयोग बन रहा है। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती होने के साथ खास योग भी बन रहा है। इस दिन यानी 29 मई सुबह 7 बजकर 12 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होकर 30 मई सुबह 5 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। माना जा रहा है कि इस खास योग में पूजा करने से फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा।

 वट सावित्री व्रत का मुहूर्त

ज्येष्ठ अमावस्या तिथि प्रारंभ: 29 मई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू।

अमावस्या तिथि का समापन: 30 मई को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर।

जाने वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री के व्रत के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने और रक्षा सूत्र बांधने से आपके पति की आयु लंबी होती है और आपके पति की हर मनोकामना पूर्ण भी होती है क्योंकि माना जाता है कि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता वास करते हैं। इस लिए माना जाता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

इस दिन सुबह सबसे पहले उठ कर सभी सुहागिन महिलाएं अपने घर की साफ सफाई कर के नहा कर साफ वस्त्र धारण करने उसके बाद सोलह श्रृंगार कर लेती है। उसके बाद वो बरगद के पेड़ के नीचे जाकर गाय के गोबर से सावित्री और माता पार्वती की मूर्ति बनाती है और अगर गोबर नहीं मिल पा रहा है तो दो सुपारी में कलावा लपेटकर सावित्री और माता पार्वती की प्रतीक के रूप में रख लें। उसके बाद चावल, हल्दी और पानी से मिक्स पेस्ट को अपनी हथेलियों में लगाकर सात बार बरगद में छापा लगा दें।

उसके बाद वट वृक्ष में जल अर्पित करें और इसके बाद आपको सावित्री और माता पार्वती की प्रतीक को फूल, सिंदूर, अक्षत, मिठाई, खरबूज आदि अर्पित कर दें। उसके बाद 14 आटा की पूड़ियों लें और हर एक पूड़ी में 2 भिगोए हुए चने और आटा-गुड़ के बने गुलगुले रख कर अर्पित करें। उसके बाद दिया और धूप जलाए। उसके बाद सफेद सूत का धागा या फिर सफेद नार्मल धागा लेकर वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करते हुए बांध दें।

उसके बाद अपनी श्रृद्धा के अनुसार परिक्रमा करें। उसके बाद आपको बचा हुआ धागा वहीं पर छोड़ना होगा। उसके बाद भिगोए हुए चना लेकर व्रत की कथा सुन लें। उसके बाद इन चनों को अर्पित कर दें। उसके बाद सुहागिन महिलाएं को माता को चढ़ाया हुआ सिंदूर तीन बार अपनी मांग में लगाना होगा। उसके बाद माता से भूल चूक के लिए माफी मांग लें। उसके बाद महिलाएं अपना व्रत खोल सकती है। इसके लिए महिलाओं को बरगद के वृक्ष की एक कोपल और 7 चने लेकर पानी के साथ निगलने होंगे। उसके बाद आखिर में प्रसाद के रूप में पूड़ियां, गुलगुले आदि खा सकती हैं।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button