Tips For Mental Health: इन टिप्स से पैदा होता है आत्मविश्वास
Tips For Mental Health: वर्क प्लेस पर बढ़ते तनाव को कम करने में सहायक
Highlights :
- मेंटल हेल्थ आज सबसे बड़ी समस्या है
- इन टिप्स से आत्मविश्वास बढ़ेगा
- वर्क प्लेस पर मेंटल तनाव को कम करने में सहायक
आज हमारी दिनचर्या पूरी तरह से बदल चुकी है। हम कहीं न कहीं भागमभाग वाली जीवनशैली में फंस चुके हैं। हम मोबाइल, इंटरनेट और घंटों फोन पर बात करने के आदी हो चुके हैं। न हमें घर में चैन है और न ही घर के बाहर दफ्तरों में। एक आंकड़े के अनुसार पिछले 3 सालों में मानसिक दुर्बलता ने तेजी से पांव पसारा है। यदि हम पिछले 3 वर्षों की ग्लोबल घटना पर फोकस करें तो उसमें सबसे बड़ा नाम ‘Covid Pandemic 19’ का आएगा। इस वैश्विक महामारी ने न सिर्फ भारत को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अपने पंजे में फंसाया। इसके कारण आज हर कोई मानसिक दुर्बलता और डिप्रेशन के दौर से गुजर रहा है। Covid Pandemic ने विश्व पटल पर वर्क के नेचर को अप्रत्याशित रूप में बदला।
एक आम इंसान ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि उसे Work From Home के रूप में नये वर्क कल्चर से रूबरू होना पड़ेगा। वर्क फ्रॉम होम ने शुरू- शुरू में लुभावने आवरण के साथ हमारे हमारे जीवन में प्रवेश किया। पर, कभी न रूकने और सिमटने वाले आम आदमी को जब एक ही जगह पर, इंटरनेट व कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने घंटों बैठकर काम करना पड़ा तो यह उसके लिए भयावह होता गया। इस वर्क नेचर ने न सिर्फ उसके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित किया, बल्कि साथ ही साथ उसके शरीर के अंगों जैसे आंख, बैकबोन, कमर के अलावा मस्तिष्क पर नकारात्मक असर डाला। व्यक्ति धीरे-धीरे चिड़चिडा हो रहा है। इस चिड़चिड़ाहट के कारण वर्क प्लेस पर उसे तमाम प्रकार के मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है।
देखा जाए तो कोविड महामारी के अलावा, आर्थिक मंदी, घरेलू समस्याएं, राजनीतिक अस्थिरता के अलावा ऐसा ढ़ेरों प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष कारण हैं जिसने न सिर्फ हमारे जीवन में तनाव का जहर घोला है, बल्कि इसका सीधा असर हमारे वर्क प्लेस- दफ्तरों पर आए देखने को मिलता है। आज पर्यावरण में प्रदुषण एक भयानक स्तर पर फैल चुका है। बड़े शहरों की हालात तो और भी बदतर हो गये हैं। न ताजी हवा, न स्वच्छ पर्यावरण और ऊपर से कीटनाशक खाद्य-पदार्थों का सेवन।
इन सबके बावजूद, आज नौकरी-जॉब में एक-एक सीट के लिए महामारी बढ़ गई हैं। कंपनियां एक ही कर्मचारी में मल्टी टास्क देखना-लेना चाहती है। कर्मचारी इंसान से ज्यादा मशीन के रूप में प्रकट हो रहा है। वर्क प्लेस पर काम के बढ़ते दबाव से एक कर्मचारी में इरिटेशन, मेंटल प्रेसर और जॉब की असुरक्षा उसके मानसिक हेल्थ को खराब कर रहा है। इस कारण उसे तमाम तरह के परेशानियों से जूझना पड़ता है। जिसका असर उसके आफिस लाइफ के अलावा घरेलू और सोशल लाइफ पर भी देखने को मिल जाता है।
हम कुछ विशेष तरीके अपनाकर अपने मेंटल हेल्थ को मजबूत कर सकते हैं। इसके बारे में नीचे संक्षिप्त विवरण दिया गया है। यह टिप्स अपना कर हम न सिर्फ अपने मेंटल हेल्थ को स्ट्रांग बना सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में खुशियों के रंग भी बिखेर सकते हैं।
1-: दिन की शुरूआत अपने दिमाग को खुश रखकर
यदि हम वास्तव में चाहते हैं कि ऑफिस से लेकर घरेलू जीवन में खुश और दबावमुक्त रहें तो सुबह उठते ही मोबाइल पर समय व्यतीत करने से बचना होगा। इस बारे में सर्वे भी हो चुका है कि सुबह जागते ही मोबाइल चेक करने की लत से दिमाग दिन भर के लिए डिस्ट्रैक रहता है। यदि साधारण शब्दों में कहें तो, हमारे फोन पर ढ़ेरों एप होते हैं
जहां विभिन्न लोगों के भिन्न बातों और पोस्ट्स से अचानक से भीड़ के बीच में फंसा हुआ पाते हैं। ऐसे में हम अपने ब्रेन को अपनी इस लत के कारण उठते ही थका देते हैं। इन माथापच्ची से बचने और दिन की शुरूआत हेल्दी तरीके से करने के लिए हम सबसे उठकर, थोड़ा गुनगुना पानी पी सकते हैं। इसके बाद हम योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज कर सकते हैं। इस शुरूआत के साथ हमारा दिमाग दिन भर के लिए ताजगी और हेल्दी महसूस करता है।
2-: अपने क्षमता और स्किल के प्रगति पर ध्यान देकर
एक स्वस्थ और सफल इंसान अपने विचारों में नवीनता लाने के लिए उत्सुक रहता है। उसे पता है कि विचारों से व्यक्तित्व में निखार आता है। इसलिए एक सफल इंसान अपने भीतर की कमियों और नकारात्मक धारणाओं पर ध्यान देने बजाय वह अपने स्किल और स्ट्रेंथ के विकास और प्रगति के लिए तत्पर रहता है। इसके लिए नई-नई स्किल को सीखने का प्रयास करता रहता है। आज कंपनियों में एक कर्मचारी में सर्वगुण सम्पन्न व श्रेष्ठता को खोजा जाता है।
यदि वह अपने स्किल से अप टू डेट नहीं है तो कंपटीशन में पिछड़ सकता है। जिस कारण उसे वर्क प्लेस पर मानसिक दबाव व नौकरी की इनसेक्यूरिटी की चिंता का सामना करना पड़ सकता है। स्वस्थ जीवनशैली और मल्टी टैलैंटेड पर्सनिलिटी से हम मेंटल वीकनेस से दूर रह सकते हैं। हम कुछ ऐसे काम या प्रोजेक्ट को कर सकते हैं जो मस्तिष्क को शांत रखने के साथ ही व्यक्तित्व में प्रोग्रेस भी लाए। यह एक अच्छा और सुखद तरीका है।
3-: भीतर की हीनभावना को हमेशा के लिए दूर करना
किसी व्यक्ति के मानसिक पीड़ा और कमजोरी के मुख्य कारणों में से एक ‘ हीनभावना ‘ से ग्रसित होना भी है। अक्सर देखा गया है कि एक व्यक्ति जब किसी दूसरे व्यक्ति के साथ लगातार अपनी तुलना करता है, तो वह धीरे-धीरे अपने आत्मविश्वास से दूर चला जाता है। हम अपनी तुलना किसी दूसरे इंसान से न करके, स्वयं के बीते हुए कल से कर सकते हैं। इस विधि से हम स्वयं के प्रोग्रेस और क्षमता को आसानी माप सकते हैं। इस प्रॉसेस से हम जान सकते हैं कि हमारे ‘कल और आज’ में क्या फर्क है।
मान लीजिए, आप एक रिपोर्टर हैं। आपने पहले भी काम किया है। पर, अभी आपको वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जो आपके सहकर्मी या किसी अन्य रिपोर्टर को मिला है। ऐसी स्थिति में आपका अन्य सफल रिपोर्टर्स से तुलना करना, आपके भीतर हीनभावना पनपने का कारण बन सकता है। जिसके कारण आप अपने वर्तमान प्रतिभा में कमी देख सकते हैं और यह आपके कैरियर में सफलता के लिए बाधक बन सकता है। ऐसी परिस्थिति में आप किसी और से तुलना न कर, स्वयं के पहले के कामों से आज का मूल्यांकन कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से आप अपनी कमजोरी को पहचान सकते हैं और उस पर ध्यान देकर अपने कैरियर में नित्य सफलता की तरफ अग्रसर हो सकते हैं।
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4-: अपने भीतर ‘अभिवादन’ की प्रवृत्ति पैदा करके
किसी का मुस्कराहट के साथ अभिवादन करना, या किसी के सपोर्ट-हेल्प पर ‘आभार’ जताना और ‘शुक्रिया’ कहना अपने आप में बहुत बड़ा गुण है। इस योग्यता से ‘व्यक्तित्व’ का निर्माण होता है। जो व्यक्तित्व का धनी होता है, उसका हर जगह सम्मान होता है। कोई इंसान अपने सहकर्मियों, साथियों या जूनियर्स के अच्छे काम पर ‘आभार और अभिवादन’ की परंपरा से न सिर्फ उसका दिल जीतता है, बल्कि दो लोगों के बीच बड़ा-छोटा या सीनियर-जूनियर का भेद भूलाकर ‘कृतज्ञता’ का भाव पैदा करता है, जिसके कारण न सिर्फ मानसिक विकास होता है, बल्कि वर्क प्लेस पर सकारात्मक माहौल भी बना रहता है। इसके लिए सबसे अच्छा उपाय अपने रोजमर्रा की घटनाक्रम के सकारात्मक पहलुओं को डायरी में लिखा जा सकता है। इससे न सिर्फ याददाश्त मजबूत होता है, सामने वाले को अच्छा भी लगता है।
5-: सकारात्मक लोगों का ग्रुप बनाकर
अच्छे और सफल लोगों में सकारात्मक सोच कूट कर भरी होती है। उन्हें जीवन के जटिलताओं से घबराकर निराश होने के बजाय पूरी सकारात्मकता से डटकर उसका हल-उत्तर खोजने में आनन्द आता है। आप स्वयं के लिए अकेलेपन का निर्माण मत करें। अकेलापन किसी इंसान को कम्फर्ट जोन में धकेल देता है, जिसके कारण वो स्वयं को निराश महसूस करता है।
हम चाहें तो अपने आस-पास, दोस्तों में, रिश्तेदारों में, घर में या वर्क प्लेस पर कुछ ऐसे लोगों से दोस्ती या संपर्क बना सकते हैं, जो निस्वार्थ भाव से हमारी बातों को सुनने-समझने के लिए तैयार हों। जब किसी इंसान को मेंटल सपोर्ट मिलता है तो उसके भीतर नवीन ऊर्जा का संचार होता है। इस नवीन ऊर्जा के कारण उसके जेहन में “आत्मविश्वास” पनपने लगता है। आत्मविश्वास से न सिर्फ एक इंसान मानसिक रूप से मजबूत होता है आपाती वह सफलता और खुशियों के करीब पहुंचने लगता है। “कन्वर्शेसन” से हम वैचारिक विकास की तरफ अग्रसर होते हैं। यही सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण किसी इंसान को वर्क प्लेस पर मानसिक दबाव से मुक्त रखता है।