क्या तकनीक और मीडिया ही ज़िम्मेदार हैं घटती पढ़ने की आदतों की?
समय के साथ बदलती हुई आदतें
लगता है वो ज़माना कहीं खो गया है जब किताबें और अख़बार पढ़ने का अपना एक अलग ही मज़ा होता था। अब आपको अख़बार या किताब पढ़ने की ज़रूरत नहीं क्योंकि यह सब तो आपके मोबाइल में ही उपलब्ध है। आप अपने मोबाइल को केवल एक बार टच कर के पूरी दुनिया के समाचार और सारा ज्ञान अपने हाथ में पा सकते हैं और हम अपनी किताबें और अख़बार पढ़ने की आदतों को खोते जा रहे है। धीरे-धीरे पुस्तकों और अख़बारों की जगह हमारे मोबाइल और कम्प्यूटर ले रहे हैं।
इन्होंने हमारी दुनिया में क्रांति तो लायी है और इनके फ़ायदे भी बहुत है परंतु इसका सबसे बड़ा नुक़सान यह है की इसने मनुष्य को अपना अधीन बना लिया है। किसी भी वस्तु पर इतना निर्भर होना उचित नहीं। जब पहले हमें किसी शब्द का अर्थ नहीं मिलता था तब हम उसे बहुत देर सोचते थे की कही से उसका अर्थ याद आए और अंत में शब्द कोष की सहायता लेते थे। परंतु अब हम फटाफट उसे गूगल पर टाइप कर उसका अर्थ पता लगा लेते हैं। जब कभी इंसान को इन सुविधाओं से किसी कारण दिए रहना पड़े तब उसे लाचार महसूस होने लगता है।
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हम सभी ने यह बात बचपन से सुनी है- “किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं” और यह सत्य ही है। आपके मोबाइल की बैटरी ख़त्म हो सकती है किंतु किताबों की बैटरी ख़त्म नही होती। तो आओ जाने फ़ायदे किताब पढ़ने के:-
- इससे आपकी आँखें सुरक्षित रहती हैं। मोबाइल फ़ोन और कम्प्यूटर से हमारी आँखों पर चश्मा लगने की संभावनाएँ अत्यधिक होती है क्योंकि इनकी स्क्रीन बहुत ब्राइट होती है।
- किताबें पढ़ने से एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है।
- याद करने की क्षमता का विकास होता है।
- इससे आपका तनाव भी कम होता है।
- आप जितना पढ़ेंगे उतना ही आप नए शब्दों को जानेंगे तो इससे आपका शब्द ज्ञान भी बढ़ता है।
जब पढ़ने के इतने फ़ायदे हैं तो क्यों हम अपना समय मोबाइल पर बर्बाद करते हैं। किताबों की दुनिया हमारा इंतज़ार कर रही है बस ज़रूरत है नज़रिया बदलने की। तकनीकी विकास किसी भी देश के लिए आवश्य ही ज़रूरी है परंतु इसका अर्थ यह नही की उनके आने से हम पुरानी चीज़ों को भूलते जायें। जैसे मोबाइल, कम्प्यूटर और इंटर्नेट हमारे लिए बहुत ही सहायक हैं किंतु हम इनकी मोज़ूदगी में किताबों और पढ़ने की आदतों को पूरी तरह भूल जाए यह पूर्णत: अनुचित है।