Parenting Tips :अगर आपका बच्चा दूसरा पर उठाता है हाथ, तो जानें क्या हो सकते हैं इसके कारण
आपका बच्चा अपनी बात मनवाने के लिए या उसके मन की बात न होने पर वह दूसरे पर हाथ उठाने लगता है। यह मां-बाप के लिए काफी चिंता का विषय होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि आपका बच्चा बदतमीज हो गया है।
Parenting Tips :छोटे बच्चों में हाथ उठाने या मारने की आदत को कैसे करें दूर, तो अपनाएं ये तरीके समझानें के
आपका बच्चा अपनी बात मनवाने के लिए या उसके मन की बात न होने पर वह दूसरे पर हाथ उठाने लगता है। यह मां-बाप के लिए काफी चिंता का विषय होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि आपका बच्चा बदतमीज हो गया है।
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यह एक बहुत ही कन्फ्यूजन स्थिति होती है, जिसमें आप खुल कर खुद को व्यक्त भी नहीं कर पाते हैं और कुंठित हो कर धीरे-धीरे गुस्सैल और चिड़चिड़े होते जाते हैं। जब एक बड़ा व्यक्ति इस परिस्थिति को हैंडल करने में खुद को असक्षम महसूस करता है, तो सोचिए कि एक छोटे बच्चे को कैसा महसूस होता है। जब बच्चे अपनी भावनाओं को समझ ही नहीं पाता है और इसके रिस्पॉन्स में गुस्से में दूसरों के ऊपर अपना हाथ उठा देता है। हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी पेरेंटिंग में खराबी है, या हमारा बच्चा जिद्दी और चिड़चिड़ा हो गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि ये दोनों बात ही सही नहीं होती है और साथ ही बच्चे दूसरों पर क्यों हाथ उठाते हैं इसके कई कारण भी हो सकते हैं।
अपनी बात कहने का सही तरीका –
जब बच्चों को कोई आसान रास्ता नहीं समझ में आता है, तो वे हाथ उठाना बहुत आसान समझने लगते हैं। ऐसा वे जानबूझ कर नहीं करना चाहते हैं, लेकिन आसानी से अपनी बात मनवाने के लिए हाथ उठाना ही उन्हें आसान तरीका लगता है।
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वे व्यस्क और मैच्योर नहीं होते हैं –
बड़ों की तरह उन्हें सही और गलत की पहचान नहीं होती है साथ ही उन्हें यह एहसास नहीं होता है कि उसे मारने से कितना नुकसान हो सकता है और उनके इस हरकत के परिणाम के नुकसान के बारे में कोई अंदाजा नहीं होता है। उन्हें मात्र अपनी भावनाओं को व्यक्त करना होता है, जिसके लिए वे हाथ उठा कर व्यक्त करना अधिक उचित समझते हैं।
इंपल्स पर कंट्रोल करना मुश्किल –
वे बच्चे हैं, उन्हें अपने गुस्से के दौरान हाथ उठाने की तीव्र इच्छा होती है। इस इंपल्स को वे कंट्रोल करने में असक्षम होते हैं जिससे नहीं चाह कर भी उनका हाथ उठ ही जाता है।
उन्हें खुद अपनी भावनाएं नहीं समझ में आती हैं –
अपने विकसित हो रहे ब्रेन और माइंडसेट से वे कई बार खुद भी कंफ्यूज रहते हैं। उन्हें कई भावनाओं की परख और समझ इतनी नहीं होती है, जिससे वे झुंझला कर हाथ उठा देते हैं और अपनी भावनाओं को हैंडल नहीं कर पाते हैं।
बच्चों को इस तरह से समझाइए –
बच्चे को समझाएं कि हाथ उठाने की जगह वो क्या करें –
सबसे पहले बच्चे से ये सवाल करें कि उसने मारा या हाथ क्यों उठाया है। इसका जो भी जवाब बच्चा आपको देता है, तो उसी समय बच्चे को बताएं कि वो हाथ उठाने या मारने की जगह किन तरीकों का इस्तेमाल करके उसी एक्सप्रेशन को सभ्य तरीके से जाहिर करने के लिए कर सकता है। जैसे अगर बच्चे को कोई बात बुरी लगी है, तो वो इसे बोलकर या इशारा करके बता सकता है। अगर बच्चा अटेंशन पाना चाहता है, तो वो कोई खास शब्द बोलकर या छूकर बता सकता है। बच्चे को सिखाएं कि वो अपनी गुस्से/नापसंदगी/परेशानी की भावनाओं को कैसे व्यक्त कर सकते हैं।
बच्चे पर गुस्सा न करें
अगर आपका बच्चा आपको या किसी और को मारता है, तो उस पर तुरंत गुस्सा नहीं करना चाहिए बल्कि उसे प्यार से समझाएं और बहुत प्यार से बात करें। अगर आपका बच्चा किसी अन्य के सामने ऐसा करता है या पब्लिक प्लेस पर ऐसा करता है, तो भी आपको उस पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। क्योंकि इससे भी बच्चा हिंसा ही सीखेगा। जबकि आप उसे अगर प्यार से समझाएंगे तो वो आसानी से समझ जाएगा कि मारना या हाथ उठाना अच्छी आदत नहीं है।
बच्चे को तुरंत पकड़ कर समझाएं –
आपका बच्चा मारने या चिल्लाने की आदत घर के अन्य सदस्यों से हो सीखता है। ऐसे में सबसे पहले तो यह जरूरी है कि घर के सदस्यों को बच्चों के सामने सही से पेश आना चाहिए। बच्चे को समझाएं कि मार दिया हाथ उठाना गलत आदत है। बच्चे को बताएं कि उन्हें कैसे पेश आना चाहिए। घर के अन्य सदस्यों को भी समझाएं कि वो सिर्फ थोड़े से मजे के लिए बच्चे को किसी को मारने के लिए या दांत काटने के लिए न उकसाएं।
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