जाने क्यों माना जाता है दादा दादी का साथ बच्चों के लिए जरूरी और बेहद खास
चलिए जानते है अच्छी परवरिश और अच्छे संस्कारों के लिए क्यों जरूरी है दादा दादी और नाना नानी का साथ
एक समय था जब हमारे घरों में बुजुर्गों से ही रौनक हुआ करती थी। माता पिता और दादा दादी सभी लोग मिलकर बच्चों को अच्छे संस्कार और एक अच्छी परवरिश दिया करते थे। आज अगर आप किसी के भी घर जायेगे तो आप देखेंगे ज्यादातर घरों में बच्चे अपना खाली समय या तो घटों फोन में बिताते हैं या फिर टीवी देख कर। आज के समय में तो मानो दादा-दादी और नाना नानी की कहानियां जैसे कही खो ही गई हैं। अगर आप अपने बच्चों को एक अच्छी परवरिश देना चाहते है लेकिन शायद कहीं न कहीं हम इस फैक्ट को भूल जाते हैं कि बच्चों को एक अच्छी परवरिश और संस्कार देने में दादा-दादी, नाना-नानी का साथ, उनका प्यार , उनका मार्गदर्शन और उनका आशीर्वाद एक अहम भूमिका निभाता है। अगर आप भी एक अच्छे पैरेंटिंग के टिप्स ढूंढ रहे है तो यह बात अच्छे से समझ लें कि आपके बच्चे के लिए जितने जरूरी आप है उतने ही जरूरी उनके दादा दादी और नाना नानी भी है कैसे चलिए जानते है।
दादा दादी और नाना नानी के कारण घर में बना रहता है खुशनुमा वातावरण
जिस घर में बच्चों के पास दादा दादी या नाना नानी होते है उस घर के बच्चों को फोन या फिर टीवी देख कर अपना टाइम बिताने की जरूरत नहीं पड़ती। जब माता पिता अपने काम में लगे रहते हैं तो बच्चे अपने दादा दादी या नाना नानी के साथ अपना क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं इससें दोनों को एक दूसरे को सुनने और समझने का मौका मिल जाता है। आज के समय में लोगों का लाइफस्टाइल इतना व्यस्त होता है कि उनका पास किसी के साथ बैठ कर बात करने का या फिर सोशलाइजिंग का समय नहीं होता है। ऐसे में बच्चों का दादा दादी या नाना नानी के साथ बांड वाकई में बेहतरीन और अनमोल होता है। जिसके कारण घर में हमेशा खुशनुमा वातावरण बना रहता है।
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अच्छे संस्कार और संस्कृति
डिजिटल दुनिया से जितना हमें फायदा मिल रहा है उतना ही हमें नुकसान भी हो रहा है। आज के इस डिजिटल एरा के कारण हम अपने परिवार वालों से धीरे धीरे दूर होते जा रहे है। फोन से भले हमे पल भर में देश दुनिया की खबर मिल जाती है लेकिन इसके कारण ही आप अपने परिवार से धीरे धीरे दूर हो रहे है।अगर दादा दादी और नाना नानी साथ होते तो बच्चों को अपनी भाषा और अपनी संस्कृति का पता चलता है। आपने देखा होगा कि वर्किंग पैरेटस कई जगह पर रिवाजों के साथ कॉम्प्रोमाइज कर लेते हैं लेकिन अगर घर पर तीज त्योहारों पर कोई बुजुर्ग होता है तो वो हमे बताते रहते है कि किस त्यौहार में क्या पकवान बनाने है, कब व्रत करना है, किस दिन कौन सी पूजा होनी है। जिसके कारण हमारे साथ साथ हमारे बच्चे भी ये सारी चीजे सीखते रहते है।