Kainchi Dham Aashram: बाबा नीम करौली की महिमा बरसती है धाम पर
Kainchi Dham Aashram: जून महीने में देश-दुनिया से भक्त आते हैं, कैंचीधाम आश्रम पर
Highlights : –
- बाबा नीम करौली महाराज की महिमा अपरम्पार है
- बाबा का आश्रम कैंचीधाम ,नैनीताल में स्थित है
- स्टीव जाब से लेकर मार्क जुकरबर्ग तक बाबा के भक्त हैं
भारत को ऋषि-मुनियों और संतों की भूमि कहा जाता है। नीम करौली बाबा या नीम करौरी महाराज के बारे में कौन नहीं जानता है! नीम करौली महाराज की तुलना बीसवीं सदी के महान संतों में की जाती है। बाबा नीम करौली महाराज के बारे में यहां तक कहा जाता है कि ये हनुमान जी के ही अवतार थे। बाबा के बारे में ढ़ेरों रोचक किस्से मशहूर हैं। बाबा नीम करौली हनुमान जी के परम भक्त थे। बाबा की आध्यात्मिक शक्ति की चर्चा सरेआम है। बाबा के जन्मस्थान के बारे में कहा जाता है, कि इनका जन्म यूपी के फिरोजाबाद जिले में अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
बाबा नीम करौली महाराज का आश्रम कैंची, जो कि उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है। कैंची को श्रद्धालु आस्था से ‘कैंचीधाम’ भी कहते हैं। कैंची के इस मंदिर में प्रतिवर्ष जून महीने में वार्षिक समारोह मनाया जाता है। उस दिन देश-दुनिया के कोने-कोने से भक्तों का विशाल हुजूम उमड़ता है। ऐसा लगता है, मानो सबकुछ छोड़ बस यहीं बस जाएं। बाबा नीम करौली कलयुग के महापुरुषों में शामिल किए जाते हैं। बाबा बहुत बड़े संत थे। बाबा के दर्शन करने के लिए लोग साधन के अभाव में पैदल ही चल देते थे। बाबा नीम करौली की दिव्यता ऐसी थी कि लोग उन्हें ‘महाराज’ जी कहते है। महाराज जी को मात्र सत्रह वर्ष की अवस्था में ही ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। बाबा नीम करौली महाराज के बारे में कहा जाता है कि वह बालाजी हनुमान के भक्त थे। बाबा ने देश के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। इस कारण उन्हें अलग- अलग नामों से भक्त पुकारते हैं। वैसे तो बाबा नीम करौली महाराज के चमत्कार की ढ़ेरों किस्से प्रचलित हैं। पर, कुछ किस्से ऐसे हैं जो अति प्रचलित हैं। इन्हीं में से कुछ किस्सों का जिक्र यहां किया गया है।
- बाबा नीम करौली की महिमा के बारे में प्रसिद्ध किस्से
- बाबा के चमत्कार से शिप्रा नदी का जल ही घी बन गया
बाबा नीम करौली की कैंची धाम में शुरू से ही भंडारा चलता रहा है। आज भी भंडारा जस का तस चलता है। कहा जाता है कि एक बार भंडारा चल रहा था और वहां अचानक घी की कमी पड़ गई। सेवक परेशान होकर दौड़ते हुए बाबा के पास पहुंचे और बाबा को सारी बात बताई। बाबा ने मुस्कुरा कर भोजन में घी के स्थान पर शिप्रा नदी के जल को डालने के लिए कहा। बाबा ने कहा, ” क्या शिप्रा जी का जल घी से कम है? ” बाबा की बात सुनकर सेवक हैरत में पड़ गये। पर, बाबा के आदेश को न मानने की हिम्मत किसी में नहीं थी। बाबा के सेवकों ने शिप्रा के जल को लाकर ज्योहीं भोजन में डाला, यह जल घी में बदल चुका था। सब मंद मंद मुस्कराने लगे।
जब बाबा नीम करौली के चमत्कार से हैरान हुए अधिकारी
बाबा नीम करौली महाराज के बारे में एक घटना का जिक्र प्रायः हर जगह होता है। बताया जाता है कि बाबा एक बार फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर कहीं जा रहे थे। जब टिकट चेक करने के लिए टीटी आया, तब उसने पाया कि बाबा के पास टिकट ही नहीं है। तब उस टीटी ने बाबा को अगले स्टेशन ‘नीब करौली’ में ट्रेन से उतार दिया। बाबा स्वभाव से सीधे और पहुंचे हुए संत थे। बाबा ठहरे अंतर्यामी संत, तो वहीं स्टेशन पर थोड़ी पर अपनी धुमिया रमा कर बैठ गए। फिर गॉर्ड ने आदेश पाकर ट्रेन को चलाने के सीटी बजाई और हरी झंडी दिखाई। पर, सब हैरान थे कि ट्रेन अपने जगह से टस से मस न हुआ। बार-बार प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली, तब वहां खड़ा एक रेलवे का कर्मचारी सब कुछ अपनी आंखों से देख रहा था।
वह बाबा की कृपा से परिचित था। उसने रेलवे स्टेशन के सीनियर अधिकारियों से बाबा की महिमा के बारे में बताया। उसने अधिकारियों से निवेदन किया कि बाबा से माफी मांग कर, सम्मानपूर्वक पुनः ट्रेन में बैठने के लिए कहा जाए। वहां पर खड़े अन्य पैसेंजर भी बाबा की लीला से पहले ही वाकिफ थे। उन लोगों ने उस रेलवे अधिकारी की बात का समर्थन करते हुए, निवेदन किया कि बाबा को सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठाया जाए । हर किसी की बात को बड़े ध्यान से सुनने के बाद सीनियर अधिकारी ने बाबा से माफी मांगते हुए बड़े ही सम्मान के साथ ट्रेन में बैठाया। बाबा सबकी बातों को सुनने के बाद ट्रेन में बैठ गए। बाबा के बैठते ही ट्रेन स्टार्ट हो गई। सबने बाबा को नमन करते हुए उनकी जयकार किया। उस दिन के बाद से ही बाबा का नाम “नीम करौली बाबा ” पड़ गया। इसके अलावा सैंकड़ों ऐसे कथाएं हैं जो बाबा के चमत्कार की कहानी बयां करती हैं।
बाबा नीम करौली महाराज को सादगी पसंद थी
बाबा नीम करौली महाराज का सम्पूर्ण जीवन सादगी में गुजरा। बाबा बड़े ही साधारण तरीके से रखते थे। बाबा अपने साथ एक कम्बल भी रखते थे। बाबा को कभी आडम्बर छू भी न पाया। बाबा हर किसी से बिना भेदभाव के मिलते थे। जब कभी किसी ने बाबा के पांव को छूने की कोशिश की, बाबा उसे तुरंत टोक देते और कहते कि यदि पांव ही छूना है तो मेरा न छुकर भगवान हनुमान जी के पांव को छुओ। हनुमान जी सबके दुखो को हरने वाले हैं।
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ऐसा कहा जाता है कि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को बाबा का आशीर्वाद प्राप्त था। एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब से लेकर हॉलीवुड की ऐक्ट्रेस तक बाबा के अनुयायियों में शामिल हैं। बाबा के एक विदेशी भक्त ने तो उनके ‘चमत्कार’ के ऊपर किताब ही लिख डाला है। मशहूर क्रिकेटर विराट कोहली भी बाबा के दरबार में माथा टेकने पहुंचे थे। हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स बाबा के आश्रम आईं और इस आश्रय पर बाबा के महिमा से जूलिया बहुत प्रभावित हुईं।
यह भी कहा जाता है कि एप्पल के संस्थापक स्टीवजॉब बाबा के आश्रम आए और बाबा ने उन्हें अपना आधा खाया हुआ जूठा सेव खाने को दिया। बाद में स्टीव जॉब ने उसी आधे सेव को अपनी एप्पल कंपनी का लोगो बनाया। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को भी स्टीव जॉब से ही भारत बाबा के कैंचीधाम आश्रम आने की प्रेरणा मिली थी। बाबा नीम करौली महाराज की कैंची धाम आश्रम के आशीर्वाद और प्रसाद को ग्रहण करने के लिए देश-दुनिया से उनके भक्तों का आना लगा रहता है।