Father’s Day 2025: कब है father’s day जानिए पहली बार कब मनाया गया था , और क्या है इस साल का थीम
Father's Day 2025: पिता के त्याग और प्रेम को समर्पित एक भावुक अवसर
Father’s Day 2025: फादर्स डे का इतिहास और समाज में इसकी कम पहचान क्यों?
हर साल जून के तीसरे रविवार को ‘फादर्स डे’ यानी ‘पिता दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन के उस खास व्यक्ति को समर्पित होता है। जो बिना कहे हर जिम्मेदारी निभाता है — हमारे पिता , इस साल यानी 2025 में यह दिन 15 जून को मनाया जाएगा । वहीं, भारत से अलग कुछ अन्य देशों जैसे क्रोएशिया, इटली, पुर्तगाल और स्पेन में इसे 19 मार्च को मनाया जाएगा ।
Father’s Day 2025: पिता वो इंसान होता है जो हमें जीवन की कठिन राहों पर चलना सिखाता है। माँ जहाँ ममता की मूरत होती है, वहीं पिता अनुशासन और समर्पण का प्रतीक होते हैं। वे अपने सपनों को त्यागकर हमारे सपनों को पूरा करने में लग जाते हैं। उनका प्यार भले ही माँ की तरह जाहिर न होता हो, लेकिन उनका हर संघर्ष हमारे भविष्य को बेहतर बनाने के लिए होता है। पिता वह छाया है जो हर तूफान से हमने बचाते है और हमारी हिफाजत करते है , बिना कहे हमारी हर जरूरतों को पूरा करते है । फादर्स डे ये खास दिन हमे अपने पिता के प्रति प्यार को दिखाने और जताने का एक मौका देता है ।
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फादर्स डे का इतिहास
फादर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य के स्पोकेन शहर से हुई थी। साल 1910 में सोनौरा स्मार्ट डॉड नाम की एक महिला ने इस दिन की शुरुआत की थी। सोनौरा ने एक बार मदर्स डे पर एक भाषण सुना और सोचा कि जिस तरह मां को सम्मान मिलता है, वैसे ही पिता को भी मिलना चाहिए । बाद में यह परंपरा धीरे-धीरे अमेरिका और अन्य देशों में फैल गई। 1972 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इसे आधिकारिक रूप से घोषित किया।
इस साल की थीम
हर साल फादर्स डे की कोई खास थीम होती है, लेकिन 2025 की थीम “पिता: लचीलापन बढ़ाना और भविष्य को आकार देना” है । इस दिन का मुख्य उद्देश्य यही रहता है कि हम अपने पिता को उनके प्यार, सहयोग और समर्पण के लिए दिल से धन्यवाद दें ।
लोगों को फादर्स डे के बारे में कम क्यों पता होता है?
आमतौर पर माँ को भावनाओं और देखभाल का प्रतीक माना जाता है, इसलिए मदर्स डे को लेकर लोगों में ज्यादा भावनात्मक जुड़ाव होता है। पिता अक्सर अपने प्यार और त्याग को जाहिर नहीं करते, वे अपने कर्तव्यों को चुपचाप निभाते हैं। इसलिए समाज में उनके योगदान पर चर्चा कम होती है।
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