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Boost Children Confidence: बच्चों का आत्म सम्मान बढ़ाने के लिए अपनाएं ये तरीका, हर कोई पूछेगा कौन है इस होनहार के माता पिता

Boost Children Confidence: जब बच्‍चे कम उम्र से ही घर की जिम्‍मेदारियों को थोड़ा थोड़ा समझने लगते हैं और काम में मदद करना सीख लेते हैं तो यह आदत उन्‍हें बड़े हो जाने के बाद भी फायदा पहुंचाती है। ऐसे बच्‍चे टीम वर्क में माहीर बनते हैं, उनका आत्‍मसम्‍मान बढ़ता है।

Boost Children Confidence: बच्चों में शुरू से डालें ये आदतें, बचपन से हो जाएंगे समझदार

जमाने के साथ पेरेंटिंग (Parenting) का स्‍टाइल भी आज बदल रहा है। डिजिटल और टेक्नोलॉजी से भरी दुनिया में बच्‍चे की सही तरीके से परवरिश करना आसान काम नहीं है। तमाम तरह की चुनौतियों के बीच अगर आप बेसिक पेरेंटिंग के नियमों, जिसे कई बार लोग ओल्‍ड स्‍टाइल भी मानते हैं, इन्‍हें ध्‍यान में रखें और बेसिक बातों को अपने पेरेंटिंग का हिस्‍सा बना लें तो आपका काम काफी आसान हो जाएगा और आज जेनरेशन के बच्‍चे को गाइड करने में आसानी भी होगी। यहां हम बता रहे हैं कि ओल्‍ड फैशन समझे जाने वाली किन पेरेंटिंग टिप्‍स को आपको ध्‍यान में रखना जरूरी है, जिससे आपके बच्चे का आत्‍म सम्‍मान बढ़ा रहे।

साइकोलॉजी टुडे के मुताबिक, जब बच्‍चे कम उम्र से ही घर की जिम्‍मेदारियों को थोड़ा थोड़ा समझने लगते हैं और काम में मदद करना सीख लेते हैं तो यह आदत उन्‍हें बड़े हो जाने के बाद भी फायदा पहुंचाती है। ऐसे बच्‍चे टीम वर्क में माहीर बनते हैं, उनका आत्‍मसम्‍मान बढ़ता है। उन्‍हें खुद पर गर्व भी महसूस होता है। आप अगर 5 साल के बाद अपने बच्‍चे को उम्र के लिहाज से काम दे दें तो उनमें काम पूरा करने का इंपॉर्टेंस पता चलता है और वे अधूरा काम करना बंद कर देते हैं।

घर और स्‍कूल में जिम्मेदारी से काम करते

इस तरह उनमें पेशेंस बढ़ता है और वे घर और स्‍कूल में जिम्मेदारी से काम करते हैं। जब वे घर पर चीजों की सफाई करना सीखते हैं, डस्टिंग करते हैं और इधर उधर पड़े सामानों को सही जगह पर रखने की आदत उनमें पड़ जाती है तो वे खुद ही अपने आसपास चीजों को साफ सुथरा रखना सीख जाते हैं। इस तरह वे खुद को इस लायक समझ पाते हैं कि वे ऐसे कामों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं हैं।

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पौधों की देखभाल करना सिखाएं

जब आप उन्‍हें गार्डन या किचन में मदद करने के लिए बुलाने लगते हैं और वे धीरे धीरे पौधों की देखभाल करना सीख जाते हैं तो उन्‍हें पोषण देने का बेसिक तरीका आने लगता है। इस तरह उन्‍हें पानी, भोजन, सफाई, हवा, टाइम टेबल आदि का वैल्‍यू पता चलने लगता है और वे खुद ही इन चीजों में माहिर हो जाते हैं। बचपन से थोड़ा थोड़ा काम सीख लेने से बच्‍चे अपना ही नहीं, परिवार का ख्‍याल रखना भी सीख जाते हैं।

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बचपन से बन जाते हैं केयरिंग

मसलन, खाने में किसे क्‍या पसंद है, सब ने फल या सब्‍जी या दूध जैसी चीजें पी है या नहीं, किसी की तबीयत खराब है तो उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं आदि वे सीखने लगते हैं और केयरिंग बन जाते हैं। इस तरह वे खुद का वैल्‍यू अपने और दूसरों की नजरों में बढ़ा पाते हैं और उनका आत्‍म सम्‍मान तेजी से बढ़ने लगता है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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