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Parenting: मां की इन आदतों को देखकर झटपट सीख जाते हैं बच्चे, हर कदम पर रहते हैं आगे

Parenting: बच्‍चों की सबसे पहली दोस्‍त और गुरु उनकी मां होती है। मां जैसे शब्दों को बोलती है बच्चे उसे सीखते हैं। उसी तरह के शब्दों को बोलने की कोशिश करते हैं। ऐसे में मां को चाहिए कि वो ऐसा काम करें जिसको देखकर बच्चे प्रेरित हों और कम उम्र से ही अच्छे काम सीख लें।

Parenting: माता-पिता की ये आदतें बच्चों को बनाती हैं संस्कारवान, दीमाग से भी होते तेज

बच्‍चों की सबसे पहली दोस्‍त और गुरु उनकी मां होती है। मां जैसे शब्दों को बोलती है बच्चे उसे सीखते हैं। उसी तरह के शब्दों को बोलने की कोशिश करते हैं। ऐसे में मां को चाहिए कि वो ऐसा काम करें जिसको देखकर बच्चे प्रेरित हों और कम उम्र से ही अच्छे काम सीख लें। तो आइए आज हम मां के उन कामों के बारे में बताते हैं, जिनको बच्चे बहुत कम उम्र से ही अपना लेते हैं। मां की आदत को देखकर बच्चे खुद वैसा करते हैं। साथ ही उनका दिमाग भी तेज होता है। यहां हम आपको ऐसी चीजें बता रहे हैं जो बच्चों के स्वस्थ मस्तिष्क विकास को बढ़ावा देती हैं. साथ ही उन्हें स्मार्ट और इंटेलिजेंट बनाने में भी मदद करती हैं।

बात धीमे से कीजिए

पालन-पोषण के सबसे प्रभावी सकारात्मक तकनीकों में से एक यह है कि आप हमेशा अपने बच्चों से बात करते समय धीमे लहजे का प्रयोग करें. उनके सामने चीखने-चिल्लाने या उन पर किसी गलती के लिए दोषारोपण करने से बचना चाहिए. उनसे बात करते वक्त शांत और सौम्य तरीका अपनाएं जो उनके व्यक्तित्व पर अद्भुत तरीके से काम करता है. जब माता-पिता धीरे से बोलते हैं तो वो अपने बच्चे के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावारण बनाते हैं जहां बच्चे निर्णय या फटकार के डर के बिना खुद को व्यक्त करने में सहज महसूस करते हैं. नरम लहजा विश्वास पैदा करता है और माता-पिता-बच्चे के बंधन को मजबूत करता है जो स्वस्थ मस्तिष्क के विकास में मददगार है।

यूनीकनेस का जश्न मनाएं

हर बच्चे की अलग प्रतिभा, गुण, रुचियां और व्यक्तित्व होता है। माता-पिता के रूप में आप अक्सर अपने बच्चे की दूसरे बच्चे से तुलना करने लग जाते हैं जिससे आपको हर हाल में बचना है। इसके बजाय आपको अपने बच्चे की खूबियां समझनी हैं और उनका जश्न मनाना है। आपको इस उसके गुणों पर खुश होना चाहिए और उसके लिए उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। तुलना गुस्सा पैदा कर सकती है और आत्म-सम्मान को कमजोर करती है जिससे स्वस्थ मस्तिष्क के विकास में रुकावट आती है।

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गलतियों को स्वीकार करें

सीखने और विकास की यात्रा में गलतियां होना तय है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि माता-पिता के रूप में अपने बच्चों की हर हरकत को लगातार सुधारने से उन्हें अपने अनुभवों से सीखने और अपनी सोच को विकसित करने का मौका मिलता है। चीजों में विकास की भावना को प्रोत्साहित करना जहां आप चुनौतियों को असफलताओं के बजाय विकास के अवसर के रूप में देखते हैं, वो बच्चों में जीवन के प्रति लचीलापन व्यक्तित्व अपनाने में मदद करता है। जब बच्चों को गलतियां करने और उनसे सीखने की अनुमति दी जाती है तो उनमें समस्या-समाधान पर रचनात्मकता और दृढ़ता विकसित होती है। अगर मां-बाप बच्चों को गलतियों को सीखने का अवसर बताते हैं तो इससे उनमें कॉन्फिडेंस पैदा होता है और वो कहीं अधिक मानसिक रूप से परिपक्व बनते हैं।

बाथ सेशन

अगर कोई मां घर से बाहर जाने से पहने नहाती है और तैयार होती है तो बच्चे भी अपनी मां को देखकर ऐसा करेंगे। क्योंकि बच्चा अपनी मां की इस आदत को देखकर दिमाग में बैठा लेता है। और जैसे-जैसे बड़ा होता है इन चीजों को करने का प्रयास करता है। ऐसे में लाभ यह है कि बच्‍चे खुद को साफ सुथरा रखते हैं और साफ-सफाई पर ध्‍यान देते हैं।

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एक्‍सरसाइज करना

आजकल की महिलाओं को घर के काम और ऑफिस वर्क से समय ही नहीं मिलता कि वो एक्सरसाइज करें। अगर करती भी हैं तो जिम जाकर जहां पर उनके बच्चे इस चीज को नहीं देख सकते। ऐसे में अगर अपने बच्‍चे को हेल्‍दी और एक्टिव बनाना चाहते हैं तो आपको बच्चो के सामने घर पर ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। ताकि बच्चे भी आपको देखकर बचपन से एक्सरसाइज को आपने रुटीन में शामिल कर सकें।

समय पर सोना

एक मां अपने बच्‍चे को एक अच्‍छी आदत सिखा सकती है। ये आदत है समय पर सोने और जागने की। मां को चाहिए कि वह बच्‍चों को समझाएं कि शरीर और दिमाग को एनर्जी के लिए पर्याप्‍त नींद लेना जरूरी है। आप अपने बच्‍चे के लिए स्‍लीप रूटीन तैयार करें और उसके साथ खुद भी समय पर सोएं। जब मां बाप खुद ऐसा करेंगे तो बच्‍चे आसानी से इसे सीख लेंगे।

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ईटिंग हैबिट्स

अच्‍छी ईटिंग हैबिट्स हर उम्र के लोगों के लिए बहुत जरूरी है। इससे आप और आपका पूरा परिवार हेल्‍दी रहता है। आप जब भी खाना खाती हैं तो बच्‍चे को भी टेबल मैनर्स और अच्‍छी ईटिंग हैबिट्स के बारे में बताएं। ये बहुत ही अच्छी और महत्‍वपूर्ण आदत है जो बच्‍चे अपनी मां से सीखते हैं।

हाथ धोने की आदत

बच्चा हमेशा देखता है कि उसकी मां हर काम को करने के बाद हाथ धोती है। खाना बनाने के पहले और खाना बनाने के बाद भी हाथ और किचन की सफाई करती हैं ऐसे में बच्चे को इस बात का अहसास हो जाता है कि कोई काम करने से पहले उनको हाथ धोना चाहिए। मााता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों को स्वच्छता के बारे में बताएं। कई बार आप भूल जाते हैं कि दिनभर आपके हाथ दरवाजा खोलने और बंद करने, शौचालय फ्लश करने, अपने टैबलेट या फोन को छूने में कैसे सक्रिय रहे हैं। ऐसे काम को करने के बाद हाथ धोना है। बच्चों को यह बात समझाएं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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