Bhagat Singh Birthday: भारत मां के वीर सपूत शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जंयती आज…
भारत के सबसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद भगत सिंह भारत देश की महान विभूति है, मात्र 23 साल की उम्र में इन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत की आजादी की लड़ाई के समय भगत सिंह सभी नौजवानों के लिए यूथ आइकॉन थे, जो उन्हें देश के लिए आगे आने को प्रोत्साहित करते थे।
Bhagat Singh Birthday: सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, जानिए भगत सिंह के इतिहास और देशभक्ति नारे
भगत सिंह एक क्रांतिकारी थे। जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों से जमकर टक्कर ली। 28 सितंबर का दिन भगत सिंह की जंयती के रुप में मनाया जाता है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ था। महज 23 साल की उम्र में उन्होंने अपने देश को स्वत्रंता दिलाने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। भगत सिंह का ये जुनून देख कर ब्रिटिश सम्रराज्य हिल गया था। इसीलिए भगत सिंह के इस योगदान को आज हम उनकी जयंती पर याद कर रहे हैं। भगत सिंह को लिखने का बहुत शौक था, जेल में भी भगत सिंह लिखते थे और उनकी डायरी चर्चित थी। भगत सिंह ने हंसते-हंसते अपने प्राण अपने देश के लिए न्योछावर कर दिए।
Bhagat Singh Birthday: भारत के सबसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद भगत सिंह भारत देश की महान विभूति है, मात्र 23 साल की उम्र में इन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत की आजादी की लड़ाई के समय भगत सिंह सभी नौजवानों के लिए यूथ आइकॉन थे, जो उन्हें देश के लिए आगे आने को प्रोत्साहित करते थे। भगत सिंह सिख परिवार में जन्मे थे, बचपन से ही उन्होंने अपने आस पास अंग्रेजों को भारतियों पर अत्याचार करते देखा था, जिससे कम उम्र में ही देश के लिए कुछ कर गुजरने की बात उनके मन में बैठ चुकी थी। उनका सोचना था, कि देश के नौजवान देश की काया पलट सकते है, इसलिए उन्होंने सभी नौजवानों को एक नई दिशा दिखाने की कोशिश की। भगत सिंह का पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा, उनके जीवन से आज के नौजवान भी प्रेरणा ग्रहण करते है।
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परिवार से मिले क्रांतिकारी के संस्कार
उनके एक चाचा, सरदार अजित सिंह ने भारतीय देशभक्त संघ की स्थापना की थी। उनके एक मित्र सैयद हैदर रजा ने उनका अच्छा समर्थन किया और चिनाब नहर कॉलोनी बिल के खिलाफ किसानों को आयोजित किया। अजित सिंह के खिलाफ 22 मामले दर्ज हो चुके थे जिसके कारण वो ईरान पलायन के लिए मजबूर हो गए। उनके परिवार ग़दर पार्टी के समर्थक थे और इसी कारण से बचपन से ही भगत सिंह के दिल में देश भक्ति की भावना उत्पन्न हो गयी। भगत सिंह ने अपनी 5वीं तक की पढाई गांव में की और उसके बाद उनके पिता किशन सिंह ने दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल, लाहौर में उनका दाखिला करवाया। बहुत ही छोटी उम्र में भगत सिंह, महात्मा गांधी जी के असहयोग आन्दोलन से जुड़ गए और बहुत ही बहादुरी से उन्होंने ब्रिटिश सेना को ललकारा।
Remembering Shaheed Bhagat Singh on his birth anniversary. His sacrifice and unwavering dedication to the cause of India’s freedom continue to inspire generations. A beacon of courage, he will forever be a symbol of India’s relentless fight for justice and liberty. pic.twitter.com/cCoCT8qE43
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
जलियांवाला कांड ने डाला भगत के बाल मन पर प्रभाव
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। उनका मन इस अमानवीय कृत्य को देख देश को स्वतंत्र करवाने की सोचने लगा। भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। लाहौर षड़यंत्र मामले में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सज़ा सुनाई गई और बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया। भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ फांसी पर लटका दिया गया। तीनों ने हंसते-हँसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
भगत सिंह के देशभक्ति नारे
1. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।।
2. राख का हर एक कण,
मेरी गर्मी से गतिमान है।
मैं एक ऐसा पागल हूं,
जो जेल में भी आजाद है।।
3. जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,
उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,
उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी।
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