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Opposition on Governor Appointment: जज को राज्यपाल बनाने पर विपक्ष ने साधा केंद्र पर निशाना

Opposition on Governor Appointment: जज के नाम पर सियासी संग्राम, बीजेपी बनाम कांग्रेस शुरू

Highlights: 

  • सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाने जाने पर घमासान शुरू हो गया है।
  • जस्टिस नजीर 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं। 40   दिन बाद ही उन्हें गवर्नर बना दिया गया है।

Opposition on Governor Appointment: सरकार ने रविवार को 6 नए चेहरों को राज्यपाल नियुक्त किया।सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाने जाने पर घमासान शुरू हो गया है। आपको बताए नजीर राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 2019 में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे थे। नजीर, राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद, तीन तलाक जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे थे।

वहीं कांग्रेस ने जस्टिस नजीर की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए और पूछा कि न्यायिक व्यवस्था के लोगों को सरकारी पद क्यों दिए जा रहे हैं। पार्टी ने रविवार को कहा कि यह न्यायपालिका के लिए खतरा है। साथ ही केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जो भी PM मोदी के लिए काम करता है उसे राज्यपाल बना दिया जाता है।

आपको बता दें जस्टिस नजीर 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं। 40 दिन बाद ही उन्हें गवर्नर बना दिया गया है। जस्टिस नजीर राम मंदिर पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे। उन्होंने मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था।

वहीं रिटायरमेंट के वक्त जस्टिस नजीर ने कहा था- अगर 9 नवंबर 2019 को आए फैसले में उन्होंने अपनी राय अलग रखी होती तो अपने समुदाय के हीरो बन गए होते। लेकिन जस्टिस नजीर ने समुदाय नहीं, देश के बारे में सोचा था। देश के लिए सब न्योछावर है। इसके अलाव जस्टिस अब्दुल नजीर ट्रिपल तलाक और डिमोनेटाइजेशन जैसे मामलों पर फैसला देने वाली बेंच में भी शामिल रहे हैं।

आपको बताए न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर को राज्यपाल के तौर पर नियुक्त करने का केंद्र सरकार का फैसला देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है। उन्हें इस पेशकश को मानने से इनकार कर देना चाहिए। देश का अपनी न्याय प्रणाली में भरोसा नहीं खोना चाहिए। मोदी सरकार के इस तरह के फैसले भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है।”

वहीं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने विपक्ष पर तंज कसते हुए याद दिलाया कि राज्यपाल के रूप में न्यायाधीशों की नियुक्ति पहली नहीं है। इससे पहले भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और पूर्व न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी को राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

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आपको बता दें कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राज्यपाल की नियुक्ति पर एक बार फिर से पूरा इको सिस्टम एक्टिव है। उन्हें बेहतर तरीके से यह समझना चाहिए कि वे अब भारत को अपनी निजी जागीर नहीं मान सकते। अब भारत संविधान के नियमों के अनुसार चलेगा। बीजेपी ने कहा है कि इस तरह की नियुक्तियों के उदाहरण अतीत में भी देखने को मिले हैं और संविधान द्वारा इस पर पाबंदी नहीं लगाई है।

वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता अभिषेक मुन सिंघवी ने बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि ‘हम किसी व्यक्ति या व्यक्ति विशेष की बात नहीं कर रहे हैं।”

सीपीएम नेता और राज्यसभा सदस्य एए रहीम ने भी सरकार के फैसले की आलोचना की, इसे “लोकतंत्र पर धब्बा” कहा। उन्होंने कहा कि जस्टिस नज़ीर को इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर देना चाहिए था।

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