Corona second wave- ऑक्सीजन की कमी से लेकर मैनुएल स्केविंच तक सरकार के पास नहीं है मौत के आंकडे
Corona second wave- यूपी सरकार का दावा ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की मौत नहीं हुई
Corona second wave- कोरोना को आए हुए अब लगभग दो साल हो गया है। इन दो सालों में पूरी दुनिया ने कई सारी परिस्थितियों को देखा है। कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया है। हर तरफ त्रासदी ही त्रासदी है। अब कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का आगमन हो गया है। जिसका कहर भी दुनिया में शुरु हो गया है। ब्रिट्रेन में इससे लोगों की मौत भी हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह वेरिएंट पिछले वाले से ज्यादा प्रभावी है। इसलिए त्यौहारी सीजन में इसके बढ़ने की संभावना और बढ़ गई है। इस बीच भारत में कोरोना के लेकर अलग ही मामला चल रहा है।
यूपी सरकार का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मृत्यु नहीं हुई है। आइये जानते हैं और भी मामलों को जब सरकार ने कहा कि उनके पास मरने वाला आंकड़ा मौजूद नहीं है।
No person died due to lack of oxygen during the second wave of COVID-19 in Uttar Pradesh, State Health Minister Jai Pratap Singh (in file photo) tells Legislative Council in reply to a question by Congress MLC Deepak Singh pic.twitter.com/NAiaJEAHPv
— ANI UP (@ANINewsUP) December 16, 2021
पिछले दिनो यूपी विधान परिषद में यह दावा किया गया है कि प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी भी व्यक्ति की मौत की सूचना नहीं है। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि “ प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी भी व्यक्ति की मौत की सूचना नहीं है। इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए दीपक सिंह ने कहा कि “सरकार के कई मंत्रियों ने पत्र लिखकर कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण मौतें हो रही हैं।
इसके अलावा कई सांसद भी ऐसी शिकायत कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से मौत की अनेक घटनाएं सामने आई हैं। क्या पूरे प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से जो मौतें हुई थी उनके बारे में सरकार के पास कोई सूचना नहीं है? क्या गंगा मे बहती लाशें और ऑक्सीजन की कमी से तड़पते लोगों को राज्य सरकार ने नहीं देखा था।
वैसे अगर आपको याद हो तो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोग कैसे अपने परिजनों को बचाने के लिए परेशान थे। याद है वह महिला जो अपने पति को बचाने के लिए अपने मुंह से उसे सांस दे रही थी। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। कोरोना दूसरी लहर के दौरान इसका खतरा गांव, कस्बों तक पहुंच गया था। अप्रैल से जून के महीने तक छोटे शहरो में भी ऑक्सीजन की कमी होनी शुरु हो गई थी। कोरोना संक्रमितों की संख्या करोड़ पार कर चुकी थी।
खबरों की मानें तो मई के महीने तक 2 लाख 30 हजार 170 लोग अपने जान गंवा चुके थे। चारों तरफ हाहाहार मचा था। लोग अपने परिजनों को बचाने के लिए ऑक्सीजन को लेकर ढो रहे थे। अपने घरवालों को बचाने के लिए बेड की मदद की गुहार लगा रहे थे। और सरकार का कहना है कि ऑक्सीन की कमी के कारण किसी की मौत नहीं हुई है।
इससे पहले मानसून सत्र के दौरान भी केंद्र सरकार द्वारा यह कह गया था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई। सरकार का कहना था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी कोई सूचना नहीं मिली कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है।
जब इस बात का विरोध होने लगा तो स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया था कि ये आंकडा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है।
इसी दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और एकल हनुमंयैता द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले ने कहा था कि पिछले सालों में मैनुएल स्केवेंजिग में किसी भी मौत का मामला सामने नहीं आया था। इस तरह के जवाब से जनता के बीच एक फिर निराशा आ गई थी।
मैनुएल स्केविंच के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले बिजवाडा विल्सन ने ट्वीट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा “साल 2016 से 2020 के दौरान 472 लोगों की मौत हुई है जबकि 26 लोग हर साल इससे मर रहे हैं। और सरकार कहती है उसके बाद डेटा नहीं।
472 deaths from 2016 to 2020 and 26 deaths this year till date due to manual scavenging are recorded with details of each incident sent to central government! Still it keeps denying even a single death!! Shameful!!#ManualScavenging #stopkillingus
— Bezwada Wilson (@BezwadaWilson) July 31, 2021