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Swaminathan Death News: किसानों के मसीहा स्वामीनाथन का हुआ निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख

महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का आज निधन हो गया। स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु में हुआ था। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और देश की ‘हरित क्रांति' में उनका अहम योगदान था।

Swaminathan Death News: जानिए किस तरह था हरित क्रांति में स्वामीनाथन का योगदान?


महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का आज निधन हो गया। स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु में हुआ था। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और देश की ‘हरित क्रांति’ में  उनका अहम योगदान था। वह 98 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि उनका कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था।

Swaminathan Death News: भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। गुरुवार (28 सितंबर, 2023) को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में उन्होंने अंतिम सांस ली। 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे स्वामीनाथन एक कृषि वैज्ञानिक थे। भारत की हरित क्रांति के जरिए खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनने में स्वामीनाथन का एक बड़ा रोल रहा है। कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन की रिसर्च की वजह से किसानों की पैदावार बढ़ी। यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का पता लगाने के लिए 2004 में एक कमीशन बनाया, जिसका नाम ‘नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स’ था।

पीएम मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और साथ ही कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। मोदी ने ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।”

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इस तरह था स्वामीनाथन का योगदान

स्वामीनाथन ने बताया था कि 1942 में गांधी जी का आंदोलन चल रहा था। सबको एहसास हो गया था कि देश अब आजाद होने वाला है। त्रावणकोर में स्टूडेंट्स का क्लब हुआ करता था जिसमें तमाम मुद्दों पर डिबेट होती थी। एक दिन इस बात पर बहस होने लगी कि हम स्वतंत्र भारत में कैसे अपना योगदान कर सकते हैं। उस समय बंगाल में भीषण अकाल पड़ा था। अखबारों में लोगों के मरने की खबरें आती थीं। भूख से लोग मर रहे थे। तब स्वामीनाथन ने डिबेट में कहा था कि मैं चाहता हूं कि देश में कोई भूखा ना रहे। आगे उन्होंने इसी दिशा में काम भी किया। 60 के दशक में अकाल पड़ने लगा था। हाइब्रिड बीज आयात किए गए थे। हरित क्रांति के तहत कृषि उत्पादन बढ़ाने के प्रयास हुए। आगे सिंचाई के लिए योजनाएं बनीं और खाद पर सब्सिडी दी जाने लगी। धीरे-धीरे भारत अनाज पैदा करने में आत्मनिर्भर बन गया।

क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट?

यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का पता लगाने के लिए 2004 में एक कमीशन बनाया, जिसका नाम ‘नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स’ था। इस कमीशन की अध्यक्षता डॉ. एम एस स्वामीनाथन कर रहे थे। एनसीएफ ने 2004 से लेकर 2006 तक कुल मिलाकर पांच रिपोर्ट सौंपीं, जिन्हें आज स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट या स्वामीनाथन रिपोर्ट के तौर पर जाना जाता है। इसमें उन सभी तरीकों के बारे में बताया गया, जिनके जरिए किसानों की स्थिति सुधारी जा सकती थी।

सरकार को क्या सुझाव दिए गए?

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया कि किस तरह प्रोडक्टिविटी और लाभ को बढ़ाते हुए देश के कृषि सेक्टर में सुधार किए जा सकते हैं। एनसीएफ ने सरकार को कुछ सुझाव भी दिए थे। आइए आपको उन सुझावों के बारे में बताते हैं, जिनके जरिए किसानों की स्थिति सुधर सकती है।

1. देश में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु रणनीति बनाई जाए।

2. कृषि प्रणालियों की उत्पादकता और स्थिरता में सुधार किया जाए।

3. किसानों को ग्रामीण कर्ज का प्रवाह बढ़ाने के लिए सुधार किया जाए।

4. शुष्क भूमि के साथ-साथ पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में किसानों के लिए खेती करने का एक कार्यक्रम तैयार किया जाए।

5. कृषि वस्तुओं की क्वालिटी और लागत में होने वाली प्रतिस्पर्धा में सुधार किया जाए।

6. वैश्विक कीमतें गिरने पर किसानों को आयात से बचाया जाए।

7. स्थानीय निकायों को मजबूत बनाना, ताकि वे बेहतर किसानी के लिए पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत कर पाएं।

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