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National News: गैस और फ्री राशन पर मूल्यांकन को लेकर आया बड़ा अपडेट, नीति आयोग को सौंपा ये काम

नीति आयोग जल्द ही भारत की सबसे बड़ी सब्सिडी योजनाओं, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और एलपीजी सब्सिडी की समीक्षा करेगा। इस तरह सरकार इन सब्सिडी स्कीमों का आकलन और मूल्यांकन करना चाहती है।

National News: एलपीजी सब्सिडी की समीक्षा के पीछे दिया यह तर्क, चुनाव से पहले केंद्र सरकार करेगी ये बड़ा ऐलान


केंद्र सरकार चार लाख करोड़ रुपये की अब तक की सबसे बड़ी सब्सिडी योजनाओं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और एलपीजी के मूल्यांकन की तैयारी में है। नीति आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। चार लाख करोड़ रुपये की इन सब्सिडी योजनाओं की समीक्षा इसलिए की जाएगी, ताकि होने वाले खर्च को तर्कसंगत बनाया जा सके। इसके साथ ही किसी तरह के रिसाव को रोका जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सही लोगों तक लाभ पहुंच रहा है।

National News: नीति आयोग जल्द ही भारत की सबसे बड़ी सब्सिडी योजनाओं, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और एलपीजी सब्सिडी की समीक्षा करेगा। इस तरह सरकार इन सब्सिडी स्कीमों का आकलन और मूल्यांकन करना चाहती है, ताकि खर्च को तर्कसंगत बनाया जा सके। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि इनका फायदा सीधे पात्र लोगों तक पहुंचे। इस समीक्षा से फिजूल खर्ची और धन की चोरी या बर्बादी का भी पता लगाकर उसे रोक जा सकेगा। नीति आयोग से जुड़े कार्यालय डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस ने इन दो स्कीमों के मूल्यांकन के लिए एक केंद्रीय समन्वय एजेंसी के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं।

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नीति आयोग को सौंपा ये काम

नीति आयोग से जुड़े विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय ने दोनों योजनाओं के मूल्यांकन के लिए एक केंद्रीय समन्वय एजेंसी के लिए प्रस्ताव मंगाया है। इससे सालाना लगभग 4,00,000 करोड़ रुपये का खर्च आता है। महत्वपूर्ण खर्च के बावजूद भारत को अभी भी खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी परिणाम प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

एलपीजी सब्सिडी की समीक्षा के पीछे दिया यह तर्क

एलपीजी सब्सिडी के मूल्यांकन के पीछे के तर्क को समझाते हुए, डीएमईओ ने आगे कहा कि भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। भारत में एलपीजी की वर्तमान खपत कुल पेट्रोलियम उत्पादों के 12.3% तक बढ़ गई है। चल रही योजनाएं संभावित रूप से एलपीजी के उपयोग को और बढ़ाएंगी। इस प्रकार उनका मूल्यांकन अनिवार्य हो जाता है।

दुनिया में सबसे बड़ी सार्वजनिक खाद्य और पोषण सुरक्षा लागू करती है

इस प्रस्ताव में डीएमईओ ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से दुनिया में सबसे बड़ी सार्वजनिक खाद्य और पोषण सुरक्षा लागू करती है, जो 2013 में लागू हुआ। बड़े सरकारी व्यय के बावजूद, भारत ने खाद्य सुरक्षा और पोषण परिणामों में धीमी प्रगति की है। इसके बावजूद वैश्विक भुखमरी में भारत की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है। दूसरी ओर, चल रही योजनाएं संभावित रूप से एलपीजी के उपयोग को और बढ़ाएंगी, जिससे उनका मूल्यांकन अनिवार्य हो जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार, भारत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की खपत देश की ऊर्जा जरूरतों का एक तिहाई से अधिक है। हाल के वर्षों में तेल और गैस की मांग बढ़ी है।

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