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इस साल सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसलें सुनाए, इस से लम्बें समय तक देश में पड़ेगा प्रभाव: Year Ender 2023

सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में नोटबंदी, समलैंगिक विवाह, मैला ढोने की प्रथा जैसे मुद्दों पर कई ऐतिहासिक फैसले दिए। यहां हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए प्रमुख फैसलों का जिक्र कर रहे हैं।

नोटबंदी- समलैंगिक विवाह और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले अहम फैसलें लिए… : Year Ender 2023


Year Ender 2023: राहुल गांधी की सजा पर रोक नोटबंदी जलीकट्टू अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों समलैंगिक विवाह आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने मृत माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं। चाहे संपत्ति वह स्व-अर्जित हो या पैतृक। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को बरकरार रखा।

नोटबंदी को रखा बरकरार

जनवरी 2023 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 4:1 बहुमत से केंद्र सरकार के छह साल पहले 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा। बहुमत की राय में कहा गया कि केंद्र की 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना वैध है और आनुपातिकता के मानदंडों को पूरा करती है।

समलैंगिक विवाह को कोई कानूनी मान्यता नहीं

17 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक जोड़ों के विवाह करने के अधिकार या सिविल यूनियन बनाने के अधिकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया और कहा कि इस पर कानून बनाना संसद का काम है।

SC ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी

4 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक राजनीतिक रैली के दौरान ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। जैसे ही गांधी की सजा पर रोक लगा दी गई, उनका लोकसभा सांसद का दर्जा बहाल कर दिया गया। इससे पहले गुजरात की अदालत ने उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी जिसके बाद राहुल को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

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SC ने अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के हक में फैसला दिया

सितंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने मृत माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं। चाहे संपत्ति वह स्व-अर्जित हो या पैतृक।

जल्लीकट्टू को अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक की विधानसभाओं द्वारा पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 में किए गए संशोधनों को बरकरार रखा। ये संशोधन जल्लीकट्टू, बैलगाड़ी दौड़, कंबाला और सांडों को वश में करने वाले खेलों की अनुमति देते हैं।

दिल्ली सरकार के पास विधायिका की शक्तियां

दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले पर मई में सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि मामलों को छोड़कर, दिल्ली के पास प्रशासनिक सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्ति है।

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SC ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा

11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को बरकरार रखा। इस आर्टिकल के जरिये जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया गया था।

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