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PM Nehru Edwina Relationship:लंदन में उस रात कौन था एडविना का मेहमान? जानिए क्या है पुरी कहानी?

खुशवंत सिंह के मुताबिक जिस दिन पंडित जी को भारत वापस जाना था, उससे दो शाम पहले उन्होंने लेडी माउंटबेटन को सोहो के एक ग्रीक रेस्तरां में डिनर पर बुलाया। इस डिनर में केवल उन्हीं दोनों को रहना था।

PM Nehru Edwina Relationship: जानिए आजादी के 4 साल नेहरू जी क्यों गए थे लंदन

ब्रिटेन में उन दिनों भारतीय उच्चायुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे थे पंडित नेहरू के नजदीकी वीके कृष्ण मेनन। प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरू की ब्रिटेन यात्रा की तैयारियों में उच्चायोग जुटा हुआ था। प्रधानमंत्री के ठहरने का इंतज़ाम किया गया था लंदन स्थित क्लैरिजेज होटल में।

लंदन में होने वाली राष्ट्रमंडल की बैठक

साल 1951, देश को आज़ादी मिले महज चार साल ही हुए थे। अपने पैरों पर खड़ा होना सीख रहा था भारत। इसी बीच लंदन में होने वाली थी राष्ट्रमंडल की बैठक। सदस्य होने के नाते इस बैठक में भारत को भी हिस्सा लेना था। इसमें शामिल होने के लिए ख़ुद प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जा रहे थे। तैयारियों में भारतीय उच्चायोग जुटा हुआ था।

ब्रिटेन में उन दिनों भारतीय उच्चायुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे थे पंडित नेहरू के नजदीकी वीके कृष्ण मेनन। प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरू की ब्रिटेन यात्रा की तैयारियों में उच्चायोग जुटा हुआ था। प्रधानमंत्री के ठहरने का इंतज़ाम किया गया था लंदन स्थित क्लैरिजेज होटल में।

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प्रधानमंत्री को लेकर कोई ऐसी-वैसी ख़बर ना प्रकाशित हो वीके

कृष्ण मेनन को शक था कि ब्रिटेन का प्रेस नेहरू की यात्रा को बेपटरी करने या हंगामा खड़ा करने का मौका नहीं छोड़ना चाहेगा। इसलिए प्रेस को संभालने की जिम्मेदारी उन्होंने दी तत्कालीन प्रेस अताशे खुशवंत सिंह को। खुशवंत से ध्यान रखने को कहा गया कि प्रधानमंत्री को लेकर कोई ऐसी-वैसी ख़बर ना प्रकाशित हो।

पंडित जी और लेडी माउंटबेटन की बिल्कुल पास बैठी तस्वीरें छपी

खुशवंत सिंह के मुताबिक जिस दिन पंडित जी को भारत वापस जाना था, उससे दो शाम पहले उन्होंने लेडी माउंटबेटन को सोहो के एक ग्रीक रेस्तरां में डिनर पर बुलाया। इस डिनर में केवल उन्हीं दोनों को रहना था। रेस्तरां मालिक ने पंडित जी को पहचान लिया और अपने रेस्तरां के प्रचार की उम्मीद में प्रेस वालों को फोन करके बुला लिया। अगले दिन के अखबारों में पंडित जी और लेडी माउंटबेटन की बिल्कुल पास बैठी तस्वीरें छपी गईं थीं। खुशवंत सिंह अगली मुसीबत का सामना करने की तैयारी में थे।

खुशवंत सिंह को फौरन प्रधानमंत्री से मिलने का निर्देश

दफ्तर की मेज पर मेनन का नोट पहुंच चुका था। खुशवंत सिंह को फौरन प्रधानमंत्री से मिलने का निर्देश था। तुरंत ही होटल क्लैरिजेज पहुंच उन्होंने मथाई को अपने आने की सूचना दी। उसने कहा, ” तुम्हें कुछ अंदाजा है कि वे तुमसे क्यों मिलना चाहते हैं ? मैंने कुछ आशंकित भाव से कहा, नहीं ! मथाई ने कहा ,वे ही बताएंगे. अंदर चले जाओ।” अंदर पंडित जी फाइलें देखने में व्यस्त थे. क्या काम है ? उन्होंने खुशवंत सिंह से पूछा था।” सर आपने बुलवाया था।’ मैंने ? कौन हो तुम ? सर यहां मैं आपका जनसंपर्क अधिकारी हूं। उन्होंने ऊपर से नीचे तक मेरा जायजा लिया और कहा प्रचार के बारे में तुम्हारी धारणाएं अजीब है।”

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भारतीय हाई कमीशन में एडविना के लिए कमरा

हाई कमीशन में तैनाती के बाद शुरुआती कुछ हफ्तों के लिए खुशवंत सिंह को बैठने के लिए दफ्तर में जो कमरा मिला था, उस पर काउंटेस माउंटबेटन ऑफ वर्मा की नेमप्लेट लगी हुई थी। खुशवंत सिंह के अनुसार मेनन को हाई कमिश्नर के पद पर बने रहने के लिए नेहरू के साथ माउंबेटन का भरोसा कायम रहना जरूरी लगता था. जाहिर है कि उन्होंने भारतीय मामलों में दिलचस्पी लेने के लिए एडविना से बात की थी और इसलिए उनके लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था कर दी थी।

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