Lucknow Murder : क्या केंद्रीय मंत्री के बेटे पर कार्रवाई से बच रही पुलिस, आर्म्स एक्ट में दर्ज नहीं की FIR
लखनऊ के दुबग्गा में केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के मकान में शुक्रवार की सुबह चार बजे भाजपा कार्यकर्ता विनय श्रीवास्तव की पिस्टल से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
Lucknow Murder : लखनऊ में हत्या के वक्त दिल्ली में था केंद्रीय मंत्री का बेटा फिर भी दोषी, जानिए क्या है वजह
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर के घर पर दोस्त विनय श्रीवास्तव की हत्या के मामले में पुलिस मंत्री के बेटे पर कार्रवाई करने से बच रही है। जिस पिस्टल से विनय की हत्या हुई वो विकास किशोर की है।
केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के मकान में घटी घटना –
लखनऊ के दुबग्गा में केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के मकान में शुक्रवार की सुबह चार बजे भाजपा कार्यकर्ता विनय श्रीवास्तव की पिस्टल से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। विनय श्रीवास्तव का शव बेड के पास जमीन पर पड़ा मिला था। इस घटना के मौके पर अरुण प्रताप सिंह उर्फ बंटी, शमीम बाबा, अंकित वर्मा, अजय रावत सहित दो अन्य अज्ञात लोग मौजूद थे। परिजनों ने अजय, अंकित और शमीम पर हत्या करने का आरोप लगाया गया है।यह घटना नशे की हालत में की गई है। केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के मकान में जुए के खेल खेला जा रहा था। जुए के खेल में जीत और हार के बाद विवाद शुरू हो गया और इतना आगे बढ़ गया कि पिस्टल से गोली चल गई।
Read more: Sakshi Murder Case: लव ट्रायंगल की वजह से हुई साक्षी की हत्या, बुलंदशहर से पकड़ा गया आरोपी
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर को बचाने की कोशिश –
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर को पुलिस बचाने में लगी है, जबकि नियम के अनुसार विकास किशोर के खिलाफ आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज होना चाहिए। विकास किशोर की घोर लापरवाही से शस्त्र का दुरुपयोग हुआ और विनय श्रीवास्तव की हत्या कर दी गई। इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी पिस्टल जब्त कर पुलिस सिर्फ शस्त्र निरस्तीकरण की कार्रवाई कर रही है। बल्कि सेक्शन 30 आर्म्स एक्ट की कार्रवाई के तहत शस्त्र लाइसेंस धारक के खिलाफ होनी चाहिए। इसमें कोई भी व्यक्ति लापरवाही के साथ अपना शस्त्र नहीं रख सकता। शस्त्र को अपने पास अथवा सुरक्षित स्थान पर रखेगा। शस्त्र किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दे सकता है। यह शस्त्र लाइसेंस का उल्लंघन है। शस्त्र धारक को आजीवन लाइसेंस दोबारा न जारी करने का प्रावधान है। इसके अलावा छह माह की कारावास और दो हजार रुपये जुर्माना हो सकता है।
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com