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Mahua Cash For Query Case: महुआ मोइत्रा ने क्यों गंवाई सांसदी? संसद में दोबारा लौटने के क्या हैं ऑप्शन?

Mahua Cash For Query Case: TMC सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता कैश फॉर क्वेरी विवाद के कारण रद्द, संसद में दोबारा कैसे लौटेगी महुआ मोइत्रा?

Mahua Cash For Query Case: संसद में दोबारा कैसे लौटेगी महुआ मोइत्रा?


Mahua Cash For Query Case: TMC सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता कैश फॉर क्वेरी विवाद के कारण रद्द कर दी गई है। दरअसल  लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। जिसके बाद यह मामला सदन में उठा और जब केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव रखा, जिसे शुक्रवार को लोकसभा में मंजूर कर लिया गया।

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TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद आरोप लगाया है कि फैसला एकतरफा है, उन्होंने कहा की उन्हें जवाब देने का मौका ही नहीं दिया गया। महुआ ने आगे कहा की संसद में नियमों की अनदेखी हुई।

Mahua Cash For Query Case: पूरा मामला क्या है?

पिछले 2 महीनों से राजनीतिक गलियारों में कैश फॉर क्वेरी कांड, महुआ मोइत्रा और निशिकांत दूबे की चर्चा हो रही है। दरअसल महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के बदले कुछ उद्योगपतियों से महंगे गिफ्ट लिए। इतना ही नहीं महुआ पर ये भी आरोप है कि उन्होंने सरकारी लॉग-इन ID और पासवर्ड कुछ बाहरी लोगों से शेयर भी किए थे। इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मामले की जांच एथिक्स कमेटी को सौंप दिया। फिर महुआ मोइत्रा ने ये कबूल किया कि उन्होंने अपना सरकारी लॉग-इन और पासवर्ड उद्योगपती हीरानंदानी को दिया था। महुआ मोइत्रा से सवाल जवाब के बाद 10 नवंबर को एथिक्स कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी। जिसके बाद 8 दिसंबर को स्पीकर ओम बिरला ने महुआ मोइत्रा को पूरे मामले में दोषी ठहराते हुए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी।

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महुआ के पास अब क्या विकल्प बचे हैं?

अब महुआ मोइत्रा के पास 5 विकल्प बचे हुए हैं। तो आइए इन पांच विकल्पों के बारे में जानते हैं…

1- महुआ मोइत्रा चाहे तो अब फैसले की समीक्षा के लिए संसद से गुजारिश कर सकती है। हालांकि बता दे की आखिरी फैसला सांसद का ही होगा कि वह इस पर विचार करना चाहता है या नहीं।

2- महुआ मोइत्रा अपने मौलिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट जाएं. और  वह इस मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं और फिर अदालती फैसले की उम्मीद करें।

3- टीएमसी नेता महुआ के पास तीसरा ऑप्शन यह भी है कि वह संसद के निर्णय को स्वीकार करें और आगे बढ़ें। गौरतलब है की लगभग चार महीने बाद फिर से चुनाव होने वाले हैं। वह चुनाव लड़ें और उसे जीतकर फिर से संसद में पहुंच जाएं।

4- महुआ चाहे तो अब एथिक्स कमेटी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दे। वह चाहे तो इस बात का तर्क दे सकती हैं कि एथिक्स कमेटी ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर उनके खिलाफ फैसला दिया है। वह ये भी मांग कर सकती है की इस मामले को विशेषाधिकार समिति को देखना चाहिए।

5- टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा पांचवें ऑप्शन के तौर पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे के जरिए राहत की मांग भी कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें अदालत में साबित करना होगा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से उनकी छवि खराब हुई है।

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