Lily Thomas Case: आइये जानते हैं क्या है लिली थॉमस केस जो बढ़ा रहा राहुल गांधी कि मुश्किलें
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि की धारा 499 और 500 के तहत सजा हुई है। इसके तहत अधिकतम संभावित सजा दो साल की कैद होती है। यह सजा बरकरार रही तो उनकी सांसदी जा सकती है।
Lily Thomas Case: क्या राहुल गांधी जाएगें दो साल के लिए जेल, क्या हैं इसके पीछे कि वजह
Lily Thomas Case: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की मुसीबत बढ़ती जा रही है। ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में सजा के बाद अब उनकी लोकसभा की सदस्यता भी रद्द हो गई है। इसको लेकर लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इस सबके बीच लिली थॉमस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी चर्चा हो रही है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर लिली थॉमस केस क्या है? जिसके फैसले ने राहुल गांधी के लिए परेशानी बढ़ा दी है।
लिली थॉमस बनाम भारत संघ केस क्या है?
आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए राजनेताओं को पद से हटने और चुनावों में भाग नहीं लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 को एक बड़ा फैसला दिया था। लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई विधायक, सांसद या विधान परिषद सदस्य किसी भी अपराध में दोषी पाया जाता है और इसमें उसे कम से कम दो साल की सजा होती है तो ऐसे में वो तुरंत अयोग्य घोषित माना जाएगा।
लिली थॉमस की याचिका का क्या उद्देश्य था?
1. इस याचिका के जरिए सजायाफ्ता राजनेताओं को चुनाव लड़ने या आधिकारिक सीट रखने से रोककर आपराधिक तत्वों से भारतीय राजनीति को साफ करने की मांग की गई थी। इसने संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और 191(1) की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
2. अनुच्छेद 102(1) संसद के किसी भी सदन की सदस्यता के लिए अयोग्यता निर्धारित करता है।
3. अनुच्छेद 191(1) राज्य की विधान सभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए अयोग्यता निर्धारित करता है।
4. दलील में तर्क दिया गया कि ये प्रावधान केंद्र को और अयोग्यताएं जोड़ने का अधिकार देते हैं।
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5. इस फैसले से पहले सजायाफ्ता सांसद आसानी से अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर कर सकते थे और अपनी आधिकारिक सीटों पर बने रह सकते थे।
2005 में केरल की वकील लिली थॉमस और एनजीओ लोक प्रहरी के महासचिव एसएन शुक्ला ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक जनहित याचिका दायर कर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 यानी RPA की धारा 8 (4) को चुनौती दी थी। जो कि हाई कोर्ट में लंबित अपीलों के कारण सजायाफ्ता विधायकों को अयोग्यता से बचाता था।
क्या था लिली थॉमस फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसे लिली थॉमस फैसले के नाम से जाना जाता है। इसके मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि को किसी भी मामले में यदि 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलती तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द मानी जाएगी। खास बात ये है कि यदि कोई जनप्रतिनिधि 2 साल की सजा पूरी करता है तो सजा पूरी करने वाली तारीख से अगले छह साल तक वह किसी भी चुनाव में दावेदारी नहीं कर सकता। यानी कि कानूनन उसे चुनाव से वंचित रखा जाएगा।
राहुल गांधी के पास आगे क्या है रास्ता?
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि की धारा 499 और 500 के तहत सजा हुई है। इसके तहत अधिकतम संभावित सजा दो साल की कैद होती है। यह सजा बरकरार रही तो उनकी सांसदी जा सकती है। हालांकि गुजरात के जिस सूरत कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई, उसी कोर्ट से 10 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई है।
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सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कुमार आंजनेय शानू के अनुसार, राहुल गांधी के लिए राहत की बात ये है कि अपील के लिए उन्हें 30 दिन का वक्त मिला है। ऐसे में हाईकोर्ट में अपील करने के बाद अगर सजा पर रोक लग जाए तो उनकी सदस्यता पर कोई आंच नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर सजा पर रोक लगाने के लिए राहुल गांधी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।