Holi 2025: होली का असली मतलब क्या है? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कहानियाँ
Holi 2025: होली भारत का एक प्रमुख और प्राचीन त्योहार है, जो रंगों का पर्व कहलाता है। यह वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है,
Holi 2025 : रंगों के त्योहार होली का रहस्य, जानिए इतिहास, महत्व और परंपराएँ
Holi 2025, होली भारत का एक प्रमुख और प्राचीन त्योहार है, जो रंगों का पर्व कहलाता है। यह वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च के महीने में पड़ता है। यह त्योहार न केवल भारत में, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और दुनिया भर में भारतीय प्रवासी समुदायों द्वारा भी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
होली का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
1. प्रह्लाद और होलिका की कथा: होली का सबसे प्रसिद्ध पौराणिक संदर्भ भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ा है। कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकशिपु ने भगवान विष्णु के प्रति प्रह्लाद की भक्ति से क्रोधित होकर उसे मारने का प्रयास किया। होलिका, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था, प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन वरदान का दुरुपयोग करने के कारण होलिका स्वयं जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहे। यह कथा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और होलिका दहन इसी घटना की स्मृति में मनाया जाता है।
2. राधा-कृष्ण की लीला: ब्रज क्षेत्र में होली राधा और कृष्ण की प्रेम कथा से जुड़ी है। कृष्ण, जो अपने गहरे रंग को लेकर चिंतित थे, ने यशोदा माता से पूछा कि राधा उन्हें पसंद करेंगी या नहीं। यशोदा ने सुझाव दिया कि वह राधा के चेहरे पर रंग लगा दें। तब से, राधा-कृष्ण की रंग लीला होली के रूप में मनाई जाती है, जो प्रेम और आनंद का प्रतीक है।
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3. कामदेव की कथा: दक्षिण भारत में होली का संबंध भगवान शिव और कामदेव की कथा से है। कथा के अनुसार, पार्वती ने शिव को ध्यान से बाहर लाने के लिए कामदेव की सहायता ली। कामदेव ने शिव पर प्रेम बाण चलाया, जिससे शिव ने क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख से कामदेव को भस्म कर दिया। बाद में, रति (कामदेव की पत्नी) के तप से प्रसन्न होकर शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित किया। यह कथा होली पर प्रेम और बलिदान का संदेश देती है।
होली का सांस्कृतिक महत्व
होली सामाजिक संबंधों को मजबूत करने, पुराने विवादों को भुलाने और एक नई शुरुआत करने का अवसर प्रदान करती है। लोग एक-दूसरे पर रंग लगाकर, मिठाइयाँ बाँटकर और मिल-जुलकर इस पर्व को मनाते हैं। यह त्योहार समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
समारोह और परंपराएँ
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसमें लकड़ियों का ढेर जलाकर बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मनाया जाता है। अगले दिन लोग रंग, गुलाल और पानी से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं। होली का यह उत्सव न केवल धार्मिक और पौराणिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में प्रेम, सौहार्द्र और एकता को भी प्रोत्साहित करता है।
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