Great Nicobar Project: आखिर क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट? जिसके लिए काट दिए जाएंगे 9.6 लाख पेड़, परियोजना के जरिए होगा बड़ा बदलाव
Great Nicobar Project: 72 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट के लिए 9.6 लाख पेड़ काटे जाएंगे। लोकसभा में दिए जवाब में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसकी पुष्टि की है। साल 2021 में नीति आयोग में इस प्रोजेक्ट को पेश किया गया था और अक्टूबर 2022 में सरकार ने हरी झंडी दिखा दी थी।
Great Nicobar Project: देशी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही में होगी बढ़ोतरी, काट दिए जाएंगे लाखों पेड़
72 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट के लिए 9.6 लाख पेड़ काटे जाएंगे। लोकसभा में दिए जवाब में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसकी पुष्टि की है। साल 2021 में नीति आयोग में इस प्रोजेक्ट को पेश किया गया था और अक्टूबर 2022 में सरकार ने हरी झंडी दिखा दी थी। देश के निकोबार द्वीपसमूह में सबसे दक्षिण में ग्रेट निकोबार है। यहीं इस प्रोजेक्ट को तैयार किया जा रहा है। यह 910 वर्ग किलोमीटर का इलाका है। Great Nicobar Project यहीं पर भारत का सबसे दक्षिणी हिस्सा इंदिरा प्वाइंट भी मौजूद है। चेन्नई से ये आइलैंड करीब 1600 Km की दूरी पर है। जबकि इंडोनेशिया की सीमा से ग्रेट निकोबार सिर्फ 170Km की दूरी पर मौजूद है।
क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट? Great Nicobar Project
ग्रेट निकोबार में बंदरगाह, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, स्मार्ट सिटी और बिजली के प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। यहां से बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर की निगरानी करना आसान होगा। कुल मिलाकर यहां पर कंटेनर शिपमेंट टर्मिनल के साथ टूरिज्म के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। रणनीतिक रूप से भी ये इलाका महत्वपूर्ण है और इस द्वीप से भारत सीधे चीन को चुनौती दे रहा है। अंडमान आइलैंड दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री रास्ते पर मौजूद है। जहां से सैंकड़ों-हज़ारों समुद्री जहाज सामान लेकर दुनिया के अलग-अलग इलाकों तक जाते हैं।
इसी लोकेशन पर बनेगा बंदरगाह Great Nicobar Project
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की मदद से इसी लोकेशन पर बंदरगाह बनाकर फायदा उठाने की कोशिश होगी। सबसे पहले यहां पर बंदरगाह बनाने की वजह समझिए। ग्रेट निकोबार आइलैंड जिस इंटरनेशनल शिपिंग रूट पर मौजूद है वहां से दुनिया का 35 फीसदी व्यापार होता है। यहां पर पानी लगभग 20 मीटर गहरा है यानी कि ये एक नेचुरल पोर्ट होगा। बड़े जहाज भी यहां पर आसानी से आ पाएंगे। ग्रेट निकोबार आइलैंड कोलंबो, मलेशिया और सिंगापुर से समान दूरी पर मौजूद है। यानी कि यहां बिजनेस की कमी नहीं होगी।
रणनीतिक बढ़त मिलेगी Great Nicobar Project
आपको बता दें कि यहां पर Container Transhipment Port बनेगा। ये ऐसे पोर्ट हैं जहां कस्टम चेकिंग या ड्यूटी की जरूरत नहीं होती है। जिन्हें तेज रफ्तार शिपमेंट में बाधा माना जाता है। इसकी तुलना हॉन्ग कॉन्ग से इसलिये की जा रही है क्योंकि अभी जो प्लान ग्रेट निकोबार के लिये बना है, ऐसे ही प्लान के तहत दशकों पहले हॉन्गकॉन्ग का विकास हुआ था। ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट के जरिए भारत को इस इलाके में रणनीतिक बढ़त मिलेगी। इस पोर्ट की मदद से भारतीय नौसेना के युद्धपोत, फाइटर जेट्स और मिसाइलों की तैनाती होगी।
प्रोजेक्ट के जरिए होगा बड़ा बदलाव Great Nicobar Project
दावा किया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए यहां बड़ा बदलाव आएगा। यही वजह है कि इसे ‘होलिस्टिक डेलेपमेंट ऑफ ग्रेट निकोबार आइलैंड एट अंडमान एंड निकोबार आइलैंड्स’ नाम भी दिया गया। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकारी कंपनी अंडमान एंड निकोबार आइलैंड इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (ANIIDCO) को दिया गया है। कांग्रेस ने इसी साल जून में मांग रखी थी कि इस प्रोजेक्ट को रद्द किया जाए। इससे आदिवासी समुदायों के अधिकारों, पर्यावरण की रक्षा करने वाले संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। इस प्रोजेक्ट का रिव्यू संसदीय कमेटी से कराया जाना चाहिए।
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देशी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही में होगी बढ़ोतरी Great Nicobar Project
एयरपोर्ट के बनने से इस पर सकारात्मक असर पड़ेगा। देशी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही में बढ़ोतरी होगी। इससे पर्यटन को भी रफ्तार मिलेगी। आपको बता दें कि कई बार इस प्रोजेक्ट का विरोध किया जा चुका है। इसी साल जून में कांग्रेस ने इसका मुद्दा उठाया। इसके पीछे कई वजह गिनाई गईं। प्रोजेक्ट को हकीकत बनाने के लिए यहां ज्यादा सैनिक की तैनाती होगी। हवाई जहाज उतरेंगे, मिसाइल के साथ सेना की टुकड़ियों की तैनाती होगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है ये इलाका Great Nicobar Project
यह इलाका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम हो जाएगा। प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इतनी उथल-पुथल के कारण यहां रहने वाले आदिवासी समुदायों के रहने का तरीका बदलेगा। उनका जनजीवन प्रभावित होगा। उनके अधिकार छिन जाएंगे। पेड़ काटे जाएंगे। 130 वर्ग किलोमीटर का जंगल खत्म हो सकता है। कांग्रेस का तर्क है कि इस प्रोजेक्ट के लिए सभी तरह की मंजूरी लेने में सही तरीका नहीं अपनाया गया है।
काट दिए जाएंगे लाखों पेड़ Great Nicobar Project
आदिवासी समुदायों के अधिकार और उनसे जुड़े कानूनों का उल्लंघन किया गया है। निष्पक्ष समिति से इसकी जांच कराई जानी चाहिए। प्रोजेक्ट का सबसे ज्यादा असर यहां के संवेदनशील आदिवासी समूह पर भी पड़ेगा, जो बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं। वहीं शोमपेन जनजाति और उनके जीवन पर भी बुरा असर पड़ेगा। लाखों पेड़ कटेंगे जिससे सीधा असर यहां की प्राकृतिक व्यवस्था और पर्यावरण पर पड़ेगा। समुद्री कछुओं के लिए खतरा पैदा होगा।
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