Chess Champion : डिंग लिरेन और आनंद से प्रेरित गुकेश ने साझा किए अपने अनुभव
Chess Champion, भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने करियर, प्रेरणाओं और शतरंज की युवा पीढ़ी के प्रति अपनी सोच साझा की।
Chess Champion : हार से सीखें और खेल का आनंद लें, चेस चैंपियन गुकेश का मंत्र
Chess Champion, भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने करियर, प्रेरणाओं और शतरंज की युवा पीढ़ी के प्रति अपनी सोच साझा की। मात्र 18 साल की उम्र में शतरंज के शीर्ष स्तर पर अपनी पहचान बना चुके गुकेश ने बताया कि कैसे डिंग लिरेन की फाइटिंग स्पिरिट ने उन्हें प्रेरित किया और विश्वनाथन आनंद उनके सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत रहे हैं।
डिंग लिरेन से मिली प्रेरणा
गुकेश ने बताया कि डिंग लिरेन की खेल में अद्भुत लड़ने की क्षमता उन्हें हमेशा प्रेरित करती है। लिरेन, जो 2023 में शतरंज के विश्व चैंपियन बने, ने अपनी कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने वाले रवैये से शतरंज की दुनिया में मिसाल कायम की है। गुकेश का कहना है,”लIREन की फाइटिंग स्पिरिट ने मुझे अपने खेल में अधिक अनुशासन और दृढ़ता लाने का साहस दिया। उनका खेल सिखाता है कि हार और जीत से परे भी शतरंज एक यात्रा है।” डिंग लिरेन के कई मैचों का अध्ययन करके गुकेश ने सीखा कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखते हुए खेला जा सकता है।
विश्वनाथन आनंद, सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत
गुकेश ने स्पष्ट किया कि पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद उनके सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि आनंद का शतरंज के प्रति जुनून और उनकी रणनीतिक सोच ने उन्हें कम उम्र में ही शतरंज को एक गंभीर करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया। 18 साल की उम्र में चेस के वर्ल्ड चैंपियन बने डी गुकेश ने दैनिक भास्कर को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया। उन्होंने कहा, विश्वनाथन आनंद उनके जीवन की सबसे बड़ी इंस्पिरेशन हैं। उनकी लीगेसी को आगे ले जाने की कोशिश करूंगा।
आनंद की मेंटरशिप
गुकेश को आनंद का मार्गदर्शन मिलने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आनंद द्वारा संचालित “वेस्टब्रिज आनंद चेस अकादमी” के तहत उन्हें अपनी क्षमताओं को निखारने का अवसर मिला। गुकेश ने बताया,”आनंद सर का अनुशासन, खेल के प्रति उनकी सकारात्मकता, और उनकी सादगी मुझे हर दिन प्रेरित करती है। उनकी सलाह और मार्गदर्शन मेरे लिए अनमोल हैं।”
युवा खिलाड़ियों को संदेश, खेल को एंजॉय करें
गुकेश ने विशेष रूप से युवा खिलाड़ियों के लिए एक संदेश दिया कि शतरंज को सिर्फ प्रतिस्पर्धा के रूप में न देखें, बल्कि इसे आनंदित करने की प्रक्रिया मानें। उन्होंने कहा, “आजकल युवा खिलाड़ी सिर्फ जीतने की दौड़ में लगे रहते हैं। लेकिन शतरंज का असली उद्देश्य आपके दिमाग और व्यक्तित्व को विकसित करना है। खेल को एंजॉय करना सबसे महत्वपूर्ण है।”
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मानसिक संतुलन का महत्व
गुकेश ने इस बात पर भी जोर दिया कि शतरंज जैसे खेल में मानसिक संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने साझा किया कि कैसे वे ध्यान और योग का सहारा लेकर तनाव को दूर रखते हैं और अपने खेल को बेहतर बनाते हैं।
करियर की अब तक की उपलब्धियां
गुकेश ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वह 16 साल की उम्र में दुनिया के शीर्ष 100 खिलाड़ियों में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय शतरंज खिलाड़ी बने। इसके अलावा, 2023 में उन्होंने टाटा स्टील चेस इंडिया और कई अन्य प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
2022-2023: निर्णायक वर्ष
गुकेश के करियर के लिए 2022-2023 का समय काफी महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान उन्होंने कई दिग्गज खिलाड़ियों को हराया और अपने खेल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा, “इन वर्षों में मैंने सीखा कि हार भी एक शिक्षक है। हर हार आपको बेहतर बनने का मौका देती है।”
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भारत में शतरंज का बढ़ता कद
गुकेश का मानना है कि भारत में शतरंज के प्रति रुचि तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने विश्वनाथन आनंद, कोनेरू हम्पी, और हाल ही में प्रज्ञानंदा जैसे खिलाड़ियों के योगदान को सराहा, जिन्होंने भारत को शतरंज की दुनिया में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। भास्कर के लिए वासुदेवन आरआर ने सिंगापुर में गुकेश से खास बातचीत की। गुकेश ने युवाओं के लिए कहा, ‘अपना गेम खुलकर एंजॉय कीजिए। मैंने भी बचपन से चेस को एंजॉय ही किया है। नई जनरेशन को भी गेम एंजॉय करने का मैसेज ही दूंगा।’