World Aids Day 2022: आखिर एड्स मरीजों को कब स्वीकारेगा समाज ?
World Aids Day 2022: दुनियाभर में 37.9 लाख लोग एड्स के हैं शिकार, जागरूकता की है जरूरत – WHO
Highlights:
- नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार देश में 10 सालों में 17 लाख लोग एड्स के शिकार हुए हैं
- प्रत्येक वर्ष एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है।
World Aids Day 2022 : नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार देश में 10 सालों में 17 लाख लोग एड्स के शिकार हुए हैं। सबसे अधिक मामले आंध्र प्रदेश से हैं। देश में जनसंख्या में नंबर वन पर आने वाला राज्य उत्तर प्रदेश बीते दस सालों में 1.10 लाख लोग एड्स से संक्रमित हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 37.9 लोग एड्स जैसी भयावह बीमारी से ग्रस्त हैं। वहीं एड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत में एड्स के कुल मरीजों की संख्या करीब 2.35 मिलियन है। एड्स के मरीजों की संख्या में दिन – प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है।
प्रत्येक वर्ष एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है।
ऐसे में लोगों को इस भयावह बीमारी के प्रति जागरूक करने व एड्स मरीजों का सामाजिक बहिष्कार करने के बजाए उनके साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इस दिन लोगों को इस संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक किया जाता है।
दुनियाभर के देशों में एड्स का कोई इलाज नहीं है। बता दें एचआईवी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है, जिससे यह वायरस तेजी से शरीर में फैलने लगता है। यदि शुरुआती स्टेज में इसका इलाज ना किया जाए, तो व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है।
21वीं सदी में टेक्नोलॉजी ने भले ही बहुत तरक्की कर ली हो लेकिन कुछ चीजों में आज भी बदलाव नहीं हुआ है। उन्हीं में से एक ही एचआईवी पेसेंट। आज भी इनकी स्वीकार्यता को लेकर लोगों को आपत्ति है। इसी मुद्दे पर हमने एक एचआईवी पेसेंट की राय जानने की कोशिश की। हमने कई लोगों से संपर्क साधने के कोशिश की लेकिन कोई तैयार नहीं था। अंत में कृष्ण (बदला हुआ नाम) के ने हमसे फोन पर बात की और हमें समाज और एचआईवी पेशेंट के बीच के तालमेल के बारे में बताया। प्रस्तुत है बातचीत का हिस्सा इंटरव्यू के तौर पर।
1. जब आपको पता चला कि आप एचआईवी पॉजिटिव है तो आपने क्या किया?
उत्तर– मुझे जैसे ही पता चला मैंने तुरंत ही अकेले जाकर इसका इलाज करवाना शुरू कर दिया। यह एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में किसी को बताया नहीं जा सकता है। इसलिए किसी को बिना बताए मैंने इसके शुरुआती दौर में ही नियमित रूप से इलाज करवाना शुरू कर दिया ताकि यह और ज्यादा न फैले।
2. परिवार में सबसे पहले किसको बताया उनकी कैसी प्रक्रिया थी?
मुझे जैसे ही पता चला सबसे पहले मैंने सोचा कि मैं किसी को नहीं बताऊंगा। मैंने धीरे-धीरे दवा खानी शुरु कर दी। लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि इसके बारे में घर में किसी को पता होना चाहिए, तो मैंने अपनी मां को बताया। मेरी मां दुःखी हुई लेकिन कुछ नहीं कहा। हां मेरे खाने पीने का पूरा ध्यान रखती है।
3. अस्पताल में डॉक्टरों का व्यवहार कैसा है?
उत्तर– मैं सच बता रहा हूं जो लोग हमारा इलाज का करते हैं वहीं लोग हमारे हौसला नहीं बढ़ाते हैं। मैं पहली बार जब इलाज करवाने गया था तो मुझसे बार-बार एक ही सवाल पूछा जा रहा था कैसे हुआ? उनका कहने का मतलब था कि आपने अनियमित सेक्स किया होगा। मुझे कई बार यही बात पूछी गई। जबकि संक्रमित होने के पीछे अलग-अलग कारण होते हैं। लेकिन दुःख की बात है कि जो हमारा इलाज करते हैं उन्हें ही इतनी बात समझ में नहीं आ रही है। जब इलाज कर रहे लोगों का व्यवहार हमारे साथ ऐसा तो हम आम लोगों से क्या ही उम्मीद कर सकते हैं।
4. आपके आस पास के लोग का जो जानते हैं कि एचआईवी संक्रमित है उनका आपके प्रति कैसा रवैया है?
मैंने अपने बारे में किसी को नहीं बताया है। कुछ ही लोग मेरी बीमारी के बारे में जानते हैं। मुझे पता है किसी को बताने से कुछ होना नहीं है। किसी फ्रेंड को बताऊंगा तो वह कुछ दिन दिलासा देगा उसके बाद वह भी मुझसे कटने लग जाएगा। उस वक्त हो सकता है मुझे बहुत दुःख पहुंचे। इसलिए जरूरी है कि मैं अकेला रहूं। ताकि मैं अपने आप को कहीं कमजोर न पाऊं क्योंकि यह ऐसी बीमारी है जिसके लिए सब कुछ आपको स्वयं ही करना है। कितना भी कहा जाए यह छूने से नहीं फैलती लेकिन लोगों को यह बात नहीं समझाई जा सकती है।
5. फिलहाल आप क्या कर रहे हैं?
उत्तर– मैंने इस वक्त अपना सारा जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया है। वह मेरे दुख के साथी है। जब भी बहुत ज्यादा परेशान होता हूं तो उनको ही याद करता हूं। वही मुझे जीने की हिम्मत दें रहें हैं।
आपको बता दें कि आमतौर पर यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने व एचआईवी वाले व्यक्ति के संबंध में आए इंजेक्शन या उपकरण को साझा करने से फैलता है। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार व राज्य सरकार विश्व एड्स दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम का संचालन करती हैं। आपको शायद ही पता होगा कि, 1 दिसंबर 1988 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एड्स दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिन से प्रति वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।
एड्स 2022 की थीम
हर साल विश्व एड्स दिवस के लिए एक नई थीम रखी जाती है। इस साल की थीम है, खुद को परीक्षण में लाना एचआईवी को समाप्त करने के लिए समानता प्राप्त करना। WHO द्वारा इस भयावह बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
एड्स क्या है ?
एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम है, यह ह्यूमन डिफिशिएंसी वायरस के कारण होता है। यह वायरस शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे संक्रमित व्यक्ति एक के बाद एक बीमारियों से पीड़ित होता जाता है। यदि शुरुआती स्टेज में इसका इलाज करवा लिया जाए, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। वहीं यदि अंतिम स्टेज पर पहुंचने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है। दुनियाभर के किसी देश के पास इस बीमारी का इलाज नहीं है। यहां तक अमेरिका जैसे विकसित देश भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं ढूंढ पाया है। ऐसे में जागरूकता ही इसका एकमात्र हथियार है।
एड्स के लक्षण
एचआईवी के लक्षण की बात करें, तो इसके लक्षण वायरस के शरीर में प्रवेश करने के कुछ समय बाद देखने को मिलने लग जाते हैं। शुरुआत में तेज बुखार, शरीर पर चकत्ते, पसीना आना, थकान महसूस होना, उल्टी- दस्त, शरीर पर गांठ पड़ना, लगातार खुजली, आदि लक्षण संक्रमित व्यक्ति में देखने को मिल सकता है। यदि समय पर इसका इलाज ना करवाया जाए तो, यह अपना गंभीर रूप धारण कर लेता है।
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