जानें इस साल क्यों एक महीने पहले मनाया जा रहा महालया
जाने क्या होता है महालय
महालया अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की अमावस्या को महालया अमावस्या कहते हैं. इसे हमारे देश में सर्व पितृ अमावस्या, पितृ विसर्जनी अमावस्या और मोक्षदायिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. बंगाल में महालया का विशेष महत्व होता है. बंगाल के लोग साल भर इस दिन के आने का इतजार करते हैं. एक तरफ महालया के साथ ही श्राद्ध खत्म हो जाते हैं, तो दूसरी तरफ मान्यताओं के अनुसार महालया के दिन ही मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन करती हैं, और आगे 10 दिनों तक यहीं रहती हैं. इस बार महालया 17 सितंबर को पड़ा है महालया से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है. इस बार महालया अमावस्या की समाप्ति के बाद शारदीय नवरात्रि आरंभ नहीं हो सकेगी.
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महालया अमावस्या का महत्व
हमारे देश में नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान जगह-जगह पर दुर्गा प्रतिमाएं बनाई जाती है। महालया के दिन ही मां दुर्गा की प्रतिमाओं के नेत्र बनाए जाते हैं. हमारे शास्त्रों में भी महालया अमावस्या का बड़ा महत्व बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि जिन भी लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है वो लोग अपने पितरों का श्राद्ध कर्म महालया अमावस्या के दिन कर सकते है। महालया अमावस्या का दिन अपने पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति श्रद्धा भाव दिखाने का होता है। ऐसा भी माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृलोक से पितरदेव धरती पर अपने प्रियजनों के पास किसी न किसी रूप में जरूर आते हैं. ऐसे में सभी लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृपक्ष में उनका तर्पण करते हैं.
इस बार कब से शुरू होगी नवरात्रि
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है. जो 25 अक्टूबर तक चलेगी. राम नवमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र पर्व शुरू होता है जो नवमी तिथि तक चलेगा.
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