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भारत में करोना महामारी या भुखमरी: आखिर प्रवासी मजदूरों को कैसे फायदा देगा 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज ?

“खास आर्थिक पैकेज” प्रवासी मजदूरों की कैसे मदद करेगा ? जानिए कुछ खास बातें…


पूरी दुनिया की तरह भारत भी कोरोना महामारी का सामना कर रहा है, देश में जहां पहले के मुकाबले ज्यादा नौकरियों का दावा किया जा रहा है वहीं लॉकडाउन के चलते लोग बड़ी संख्या में बेरोजगार हो चुके हैं . जिससे सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर जूझ रहे हैं.  क्योंकि ना ही उनके पास रुपए हैं ना ही खाना, लाखों कर्मचारी अपने घर लौट रहे हैं, वो भी पैदल, इससे साफ पता चलता है कि प्रवासी मजदूरों को केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से मदद नहीं मिल पा रही हैं
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की. जिसके बाद आवंटन को समझाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
सरकार की ये पहल -आत्मनिर्भर भारत – निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे लेकर जाएगी, लेकिन कुछ सवाल हैं जिनका जवाब जानना बेहद जरूरी हैं-
1. यह पैकेज प्रवासी मजदूरों की कैसे मदद करेगा ?
2. सभी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए क्या घोषणा की है और उन्हें क्या-कुछ मिलेगा ?
3. यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सच में जरूरतमंदों तक मदद पहुंच रही है ?
एक रिपोर्ट के अनुसार राहत पैकेज ज्यादातर मजदूरों तक नहीं पहुंच रहा, लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है वहीं चौथे चरण को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए हैं, सबसे बड़ा सावाल है कि, क्या जरूरतमंदों के लिए सभी तैयारियां पूरी है या नहीं, इसी तरह काफी सवाल उठते हैं?

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गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक रिपोर्ट में बताया कि कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए प्रवासी मजदूरों समेत प्रत्येक गरीब व्यक्ति के लिए 1.7 खरब वित्तीय पैकेज की घोषणा की गई थी, ताकी मजदूरों को अपने घर वापसी ना करनी पड़े ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि, आखिर क्यों गरीब मजदूर अपने गांव की ओर भाग रहे हैं ?, वो भी  पैदल… वास्तविक्ता तो यह है कि, उन्हें अभी तक कोई मदद नहीं मिली है, इसलिए वो सब हारकर अपने गांव ही लौट रहे हैं . मजबूर गरीब लोगों की तस्वीरें ये साफ बयां कर रही है.
कुछ जगह सरकार सहारनीय काम भी कर रही है- अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार एक अप्रैल तक राज्यों ने 21,064 राहत शिविर लगाए, जिसमें करीब 6,66,291 व्यक्तियों को आश्रय प्रदान किया गया और 230 लाख व्यक्तियों को भोजन प्रदान किया गया.
सरकार ने काफी अच्छे कदम भी उठाए हैं जो सहारनीय भी है, वहीं कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों के लिए पैकेज का एलान किया है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना के चलते लॉकडाउन से कोई भूखा नहीं रहेगा. सरकार इसका इंतजाम करेगी. सरकार गरीब लोगों समेत प्रवासी मजदूर के खाते में सीधे पैसे डालेगी. यह केंद्र से 11,000 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष सहायता के लिए है. इसके अलावा, हर रोज 3 भोजन प्रतिबंधित केंद्र में शहरी बेघर लोगों के लिए प्रदान किए जाएगें.
वित्त मंत्री ने 3,500 करोड़ रुपये की लागत से अगले 2 महीनों के लिए अनुमानित 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए फ्री में खाने की भी घोषणा भी की है.
अब देखना यह है कि आखिर सरकार पीड़ित जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा पाएगी या नहीं ?
सरकार ने शहरी गरीबों और प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए 11000 करोड़ की घोषणा की है, क्या इससे उन लोगों की परेशानी खत्म होगी?

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