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Abortion And Infertility: अबॉर्शन के बाद कितने रह जाते प्रेग्नेंट होने के चांसेस? जानें कब करें फैमिली प्लानिंग

Abortion And Infertility: मिसकैरिज या फिर अबॉर्शन के बाद अधिकतर महिलाओं के मन में इस बात का डर होता है कि इसके बाद मां बनने में काफी परेशानी आ सकती है। तो आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कैसे करें फैमिली प्लानिंग।

Abortion And Infertility: एक्सपर्ट से जानें अबॉर्शन का फर्टिलिटी पर क्या पड़ता असर

कुछ महिलाओं का कंसीव करने के बाद मिसकैरेज हो जाता है। तो वहीं कुछ महिलाएं अबॉर्शन करवाना चाहती हैं। लेकिन इसके साथ ही उनके मन में यह सवाल भी रहता है कि क्‍या अबॉर्शन या मिसकैरेज करवाने के बाद वो दोबारा कंसीव कर पाएंगी या इसका असर उनके प्रेगनेंट होने के चांसेस पर पड़ सकता है? एक्सपर्ट बताते हैं कि दवा या सर्जरी से प्रेग्‍नेंसी को खत्‍म करने को अबॉर्शन कहा जाता है। गर्भपात कराने से किसी महिला की गर्भ धारण करने या फिर से गर्भवती होने की क्षमता प्रभावित नहीं होती है और न ही यह भविष्य में गर्भावस्था की जटिलताओं के जोखिम को बढ़ाता है।

डॉक्टर्स बताते हैं कि गर्भपात का प्रजनन क्षमता पर काफी कम प्रभाव पड़ता है और इसके बाद भी आप आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। सुरक्षित ढंग से बच्चे को जन्म दे सकती हैं। गर्भपात के बाद महिलाओं को कई जटिल और गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। खैर यह गर्भपात के तरीके पर भी निर्भर करता है, जिसे वह अपनाते हैं। गर्भपात के दो मुख्य तरीके हैं, मेडिकल और सर्जिकल।

दो तरह से होता है अबॉर्शन

मेडिकल अबॉर्शन आमतौर पर पहली तिमाही के दौरान किया जाता है। इसके लिए दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी तरफ सर्जिकल अबॉर्शन है, जिसे डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) भी कहा जाता है। इस तरीके में सक्शन और क्यूरेट नाम के उपकरण से भ्रूण को निकाला जाता है। मेडिकल अबॉर्शन की तुलना में सर्जिकल अबॉर्शन में कई तरह की जटिलताएं होने की आशंका बहुत ज्यादा होती है। जिसमें गर्भाशय में संक्रमण, गर्भाशय ग्रीवा का फटना या घाव, एशरमैन सिंड्रोम, खून बहना, गर्भाशय में टिश्यू का बरकरार रहना जैसे और भी कॉम्प्लीकेशन शामिल हैं।’

गर्भावस्था के पहले महीनों में होता सुरक्षित अबॉर्शन

ब्रैंडा एल श्‍लोटेन और गोडोलीव सीएमएल पेज क्रिस्टिएंस के अध्ययन के अनुसार अबॉर्शन के लिए सर्जरी और प्रेग्नेंसी के खतरों के बीच कनेक्शन है। प्रीमैच्योर डिलीवरी, गर्भाशय ग्रीवा में पर्याप्त जगह का न होना, प्लेसेंटल का बरकरार रहना और प्रसव के बाद खून बहने जैसी बहुत सारी समस्याएं हैं, जो गर्भपात के लिए सर्जरी कराने से हो सकती है। ध्यान दें कि गर्भपात सबसे ज्यादा सुरक्षित गर्भावस्था के पहले महीनों में होता है।

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प्रजनन क्षमता पर गर्भपात का प्रभाव

कई रिसर्च में यह सुझाव दिया गया है कि गर्भपात का आमतौर पर प्रजनन क्षमता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। मेडिकल तरीके से गर्भपात कराने या गर्भपात की सर्जरी कराने से जुड़े खतरे काफी कम हैं। हालांकि, अगर अबॉर्शन की प्रक्रिया से गर्भाशय में संक्रमण हो जाता है तो इससे दोबारा कंसीव करने में दिक्कत हो सकती है। वैसे मेडिकल अबॉर्शन में इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत कम रहता है। सर्जिकल प्रोसेस में इसकी संभावना ज्यादा होती है।

मिसकैरिज या अबॉर्शन के कितने दिनों बाद करें बेबी प्लानिंग?

मिसकैरिज या अबॉर्शन के बाद करीब 2 सप्ताह तक सेक्स ना करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा डॉक्टर आपको सेफ सेक्स करने की सलाह देते हैं, ताकि इंफेक्शन से बचा जा सके। अधिकतर मामलों में अबॉर्शन के 3 महीने बाद महिला बच्चे को कंसीव कर सकती है। अगर महिला शारीरिक और मानसिक रूप से फिट है, तो उन्हें बच्चे को कंसीव करने में ज्यादा वक्स नहीं लगेगा। वहीं, अगर वह अबॉर्शन के बाद इमोशनली तैयार नहीं है, तो थोड़ा वक्त देने की जरूरत है। इसके अलावा सर्जिकल अबॉर्शन में महिलाओं को कुछ समस्याएं फेस करनी पड़ सकती है। जैसे-

  • ब्लीडिंग
  • इंफेक्शन की समस्या
  • गर्भाशय ग्रीवा टियर
  • रिटेन्ड टिशू

इसके अलावा दवाई के सहारे किया गया अबॉर्शन भी सेफ होता है। बशर्ते आप डॉक्टर की सलाह लें। कुछ मामलों में देखा गया है कि महिला डॉक्टर की सलाह लिए बगैर दवाई खाकर अबॉर्शन करने की कोशिश करती हैं। ऐसा करना महिला के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर की सलाह के बगैर दवाई से अबॉर्शन करने से महिला की जान जाने तक का खतरा हो सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर की राय लिए बिना अबॉर्शन पिल ना खाएं।

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दवाई से अबॉर्शन के बाद कंसवी करने में आती है परेशानी?

कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि खुद से दवाई लेकर अबॉर्शन करने से आगे चलकर मां बनने में परेशानी आती है। लेकिन यह एक मिथ है। डॉक्टर्स का कहना है कि पिल के सहारे अबॉर्शन कराने से मां बनने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती है। बशर्ते महिला किसी गंभीर बीमारी से न गुजर रही हो। लेकिन यह आपके लिए रिस्क उठाने जैसा हो सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह पर पिल लेना कभी भी सेफ साबित नहीं होता, इसलिए किसी भी परिस्थिति में अबॉर्शन कराने के दौरान डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

अबॉर्शन के बाद पहले जैसा होने को कैसा हो लाइस्टाइल?

डॉक्टर्स का कहना है कि अबॉर्शन के बाद पहले जैसा यानी खुद को स्वस्थ करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल का चुनाव करें। इसके लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। खानपान का विशेष ध्यान दें।

नियमित रूप से करें एक्सरसाइज

डॉक्टर्स का कहना है कि अबॉर्शन के बाद नियमित रूप से एक्सरसाइज बहुत ही जरूरी है। शुरुआत में आप भले ही हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करें। लेकिन जैसे-जैसे आप रिकवर हो रहे हैं। वैसे ही दिन में कम से कम 30 से 40 मिनट एक्सरसाइज रूटीन को अपने दिनचर्या में शामिल करें।

संतुलित आहार का करें सेवन

अबॉर्शन के बाद हमारा शरीर काफी ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे में इस दौरान अपने आहार में संतुलित भोजन को शामिल करना बहुत ही जरूरी होता है। इस दौरान आपके शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए अपने आहार में आयरनयुक्त चीजों को शामिल करें। इसके अलावा प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिंस से भरपूर चीजों को अपने आहार में शामिल करें।

धूम्रपान से रहें दूर

स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने के लिए धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं। धूम्रपान और शराब आपके फर्टिलिटी पर असर डाल सकती है। ऐसे में अगर आप दोबारा कंसीव करना चाहती हैं, तो धूम्रपान और शराब जैसी चीजों से दूरी बनाना बेहतर होगा।

अबॉर्शन के बाद बेबी प्लानिंग के कुछ टिप्स?

  • बेबी प्लानिंग करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
  • धूम्रपान और शराब से बनाएं दूरी।
  • कैफीन इनटेक कम करें।
  • पार्टनर के साथ सेक्स एक्टिविटी बनाए रखें।
  • ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान सेक्स एक्सविटी अधिक करें।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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