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Air pollution : क्यों फिल्मों से गायब? भारत की ज़हरीली हवा का सच

Air pollution, भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जिसे स्वास्थ्य, पर्यावरण, और अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डालने वाला मुद्दा माना जाता है।

Air pollution : प्रदूषण और पर्दा, सिनेमा की चुप्पी क्यों?

Air pollution, भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जिसे स्वास्थ्य, पर्यावरण, और अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डालने वाला मुद्दा माना जाता है। देश के कई शहर, जैसे दिल्ली, कानपुर और लखनऊ, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। इसके बावजूद, भारतीय फिल्मों में वायु प्रदूषण को शायद ही कभी केंद्र में रखा गया है। यह प्रश्न उठता है कि क्यों इतनी महत्वपूर्ण समस्या को सिनेमा, जो समाज का दर्पण माना जाता है, में उपयुक्त जगह नहीं मिलती। इस सवाल के जवाब में कई सामाजिक, आर्थिक और रचनात्मक पहलुओं को देखा जा सकता है।

1. क्यों नहीं बनाते प्रदुषण पर फिल्म?

भारतीय फिल्म उद्योग मुख्य रूप से व्यावसायिक लाभ पर केंद्रित है। प्रोड्यूसर और फिल्म निर्माता ऐसे विषयों पर काम करना पसंद करते हैं जो अधिकतम दर्शकों को आकर्षित कर सकें। वायु प्रदूषण जैसे मुद्दे को एक गंभीर सामाजिक समस्या के रूप में देखने वाले दर्शकों का दायरा सीमित है। बॉलीवुड में रोमांस, एक्शन, कॉमेडी, और ड्रामा जैसे लोकप्रिय विषयों पर फिल्में बनाना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। दूसरी ओर, पर्यावरणीय मुद्दों पर आधारित फिल्मों की व्यावसायिक सफलता की संभावना कम होती है। इस कारण निर्माता जोखिम लेने से बचते हैं।

2. जागरूकता की कमी

हालांकि वायु प्रदूषण एक रोज़मर्रा का अनुभव बन चुका है, लेकिन इसे एक “तत्काल समस्या” के रूप में समाज में व्यापक स्तर पर महसूस नहीं किया जाता। लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा मान चुके हैं और इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर बहुत कम ध्यान देते हैं। फिल्म निर्माता भी इसी मानसिकता को प्रतिबिंबित करते हैं। वे उन मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं जो दर्शकों के लिए अधिक स्पष्ट और तत्काल रूप से प्रासंगिक लगते हैं, जैसे भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, या महिला सशक्तिकरण। वायु प्रदूषण जैसे जटिल और अदृश्य मुद्दों को समझाने और दर्शकों से जुड़ने में कठिनाई होती है।

3. क्या नहीं चलेगी प्रदुषण पर फिल्म?

वायु प्रदूषण को एक प्रभावी और आकर्षक कहानी में  बदलना एक रचनात्मक चुनौती है। यह विषय मुख्य रूप से आंकड़ों, वैज्ञानिक तथ्यों और दीर्घकालिक प्रभावों पर आधारित है। इसे एक नाटकीय और भावनात्मक कहानी में ढालना कठिन हो सकता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण को दिखाने के लिए तकनीकी साधनों, जैसे वीएफएक्स या अन्य सिनेमाई उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है, जिससे फिल्म का बजट बढ़ता है। कम बजट में काम करने वाले फिल्म निर्माता इन अतिरिक्त खर्चों को वहन नहीं कर सकते।

4. सरकारी सेंसरशिप और दबाव

कई बार फिल्म निर्माताओं को सरकार और बड़े उद्योगों के दबाव का सामना करना पड़ता है। वायु प्रदूषण का बड़ा कारण औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्य, और वाहनों से होने वाला प्रदूषण है। इन विषयों को सीधे तौर पर फिल्म में दिखाने से सरकार या बड़े उद्योग नाराज हो सकते हैं। सरकारें अक्सर पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर संवेदनशील होती हैं, क्योंकि यह उनके विकास के एजेंडे के साथ टकराता है। इस प्रकार, फिल्म निर्माता इन विवादित मुद्दों पर फिल्म बनाने से बचते हैं।

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5. दर्शकों की प्राथमिकताएँ

भारतीय दर्शक मुख्य रूप से मनोरंजन के लिए फिल्में देखते हैं। वे सिनेमा से एक ऐसी दुनिया की उम्मीद करते हैं जो उनके वास्तविक जीवन की कठिनाइयों से अलग हो। वायु प्रदूषण जैसे विषय को देखने में दर्शकों की रुचि कम होती है, क्योंकि यह उनके रोज़मर्रा के संघर्षों की याद दिलाता है।इसके विपरीत, पश्चिमी सिनेमा में पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर जागरूकता अधिक है। फिल्में जैसे An Inconvenient Truth और Before the Flood पर्यावरणीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं और एक जागरूक दर्शक वर्ग को संबोधित करती हैं। भारत में इस तरह की दर्शक संख्या कम होने के कारण निर्माता इन मुद्दों पर जोखिम उठाने से बचते हैं।

6. संवेदनशीलता और निष्क्रियता का मिश्रण

भारत में वायु प्रदूषण को लेकर संवेदनशीलता तो है, लेकिन इसे हल करने के लिए समाज में सक्रियता की कमी है। जब तक समाज में जागरूकता और सक्रियता नहीं बढ़ेगी, फिल्म निर्माता भी इसे महत्वपूर्ण विषय मानकर काम नहीं करेंगे।

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7. कुछ सकारात्मक उदाहरण

हालांकि वायु प्रदूषण पर केंद्रित फिल्मों की संख्या कम है, लेकिन कुछ फिल्में पर्यावरणीय मुद्दों को छूती हैं। उदाहरण के लिए:

कड़वी हवा (2017): यह फिल्म जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों पर केंद्रित है।

PINK  (2016): इस डॉक्यूमेंट्री में पर्यावरणीय समस्याओं को उजागर किया गया है।

इन फिल्मों ने मुख्यधारा में ज्यादा ध्यान नहीं पाया, लेकिन उन्होंने पर्यावरणीय मुद्दों को सिनेमा के माध्यम से प्रस्तुत करने की कोशिश की।

8. भविष्य की संभावनाएँ

वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ जैसे-जैसे गंभीर होती जाएँगी, वैसे-वैसे इन पर चर्चा और जागरूकता बढ़ेगी। यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में भारतीय फिल्म निर्माता इन विषयों को अधिक साहस और रचनात्मकता के साथ प्रस्तुत करेंगे।

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