One Nation One Election के लिए सरकार ने बनाई कमेटी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष
पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए बड़ी तैयारी करते हुए एक कमेटी बनाई गई है। जिसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे।
One Nation One Election : एक देश, एक चुनाव की तैयारी, केंद्र ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई समिति
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की दिशा में आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया गया है। पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए बड़ी तैयारी करते हुए एक कमेटी बनाई गई है।
‘एक देश एक चुनाव’ की दिशा में तेजी –
‘एक देश एक चुनाव’ की दिशा में तेजी से आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी के सदस्यों को लेकर आज ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। बहुत जल्द ही इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम की भी घोषणा हो सकती है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस कमेटी के अध्यक्ष बनेगें। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें कई अहम बिल पेश किया जा सकता है। वन नेशन वन इलेक्शन, यूनिफॉर्म सिविल कोड और महिला आरक्षण का बिल भी सरकार ला सकती है।
#WATCH | BJP national president JP Nadda arrives at the residence of former President Ram Nath Kovind, in Delhi.
Centre has formed a 'One Nation, One Election' Committee under the chairmanship of former President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/GwwrOFa0pV
— ANI (@ANI) September 1, 2023
कांग्रेस सरकार ने किया विरोध –
सरकार के इस फैसले की जानकारी मिलते ही कांग्रेस ने विरोध जताते हुए कहा, ‘पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की क्या जल्दी है? देश में महंगाई समेत कई मुद्दे हैं जिनपर सरकार को पहले एक्शन लेना चाहिए.’ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि इस मुद्दे पर केंद्र की नीयत साफ नहीं है. वहीं AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है।
बीजेपी के कई नेताओं का समर्थन –
इस फैसले की जानकारी होते ही बीजेपी के कई नेताओं ने इसे देश के बेहतर भविष्य के लिए उठाया जाने वाला सही फैसला है। वहीं इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर केंद्र की दलील है कि लॉ कमीशन ने रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि देश में बार-बार चुनाव कराए जाने से सरकारी खजाने के पैसे और संसाधनों की जरूरत से अधिक बर्बादी होती है। संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव करना संभव नहीं है इसलिए हमने कुछ जरूरी संवैधानिक संशोधन करने के सुझाव दिए हैं।इस पर आयोग ने सुनिश्चित किया है कि संविधान में आमूलचूल संशोधन की जरूरत है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए।
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