Lok Sabha Election 2024: शिअद ने अभी तक नहीं की अपने प्रत्याशियों की घोषणा, टिकी है कांग्रेस की नजर
Lok Sabha Election 2024: दरअसल, पंजाब में सभी की नजर इस पर है कि भाजपा व शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के गठबंधन की घोषणा कब होगी। दरअसल, पंजाब में चुनाव अंतिम चरण यानी एक जून को होने के कारण दोनों ही दल किसी जल्दबाजी में नहीं हैं।
Lok Sabha Election 2024: पंजाब में टिकटों के आवंटन से पहले आश्वस्त होना चाहती कांग्रेस
लोकसभा चुनाव सिर पर है और पंजाब में सबकी नजर शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के गठबंधन पर टिकी हुई है। दोनों दलों में समझौते की संभावना अब भी बरकरार है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने एक बार फिर कहा था कि शिअद से गठबंधन जरूरी है। अगर गठबंधन होता है तो निश्चित तौर पर सूबे की फिजा बदलेगी। इससे पंजाब में शहरी व ग्रामीण वोटों से समीकरण बदल सकते हैं।
जाखड़ साफ कहते हैं कि हम सभी 13 सीटों के लिए तैयार हैं, लेकिन यह जमीनी स्तर पर जनता की भावना है कि गठबंधन होना चाहिए। जाखड़ ने क्षेत्रीय दलों को मजबूत करने की भी वकालत की है। उन्होंने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि क्षेत्रीय दलों को हर राज्य में मजबूत किया जाना चाहिए क्योंकि वे लोगों की आवाज हैं। दरअसल, पंजाब में सभी की नजर इस पर है कि भाजपा व शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के गठबंधन की घोषणा कब होगी। दरअसल, पंजाब में चुनाव अंतिम चरण यानी एक जून को होने के कारण दोनों ही दल किसी जल्दबाजी में नहीं हैं।
धरना समाप्त कर सकते हैं किसान दल
दोनों ही दलों को उम्मीद है कि आचार संहिता लागू होने के बाद अब किसान संगठन शंभू और खनौरी बार्डर पर से अपना धरना समाप्त कर सकते हैं। धरना खत्म होने पर ही गठबंधन की घोषणा की जाए तो ठीक रहेगा। वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी इसी बात का इंतजार कर रही है। शिअद किसानों के मुद्दे पर ही भाजपा से अलग हुआ था। अतः गठबंधन से पहले वह आश्वस्त हो जाना चाहता है कि गांवों में उसका खोया जनाधार वापस आ जाएगा।
गांवों में भाजपा का प्रदर्शन खराब
शिअद की परेशानी यह है कि शहरी क्षेत्र उसके लिए हमेशा ही कमजोर कड़ी रहे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यही स्थिति भाजपा की है। भाजपा शहरों में तो बेहतर प्रदर्शन करती है। मगर गांव में उसका प्रदर्शन खराब हो जाता है। ऐसे में अकाली दल से गठबंधन के दौरान शिअद ग्रामीण और भाजपा शहरी क्षेत्रों की राजनीति करती थी। अकाली दल से गठबंधन टूटने और तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के बाद भाजपा ने गांव में जाने की राह तो बनाई, लेकिन बीती 13 फरवरी को किसान संगठनों द्वारा पुनः संघर्ष शुरू करने से भाजपा की परेशानी बढ़ गई।
शिअद ने अभी तक नहीं की अपने प्रत्याशियों की घोषणा
हालांकि, किसान संगठनों को 2020 के मुकाबले पंजाब में समर्थन नहीं मिला, लेकिन भाजपा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। इसलिए गठबंधन को लेकर वह अभी और इंतजार के मूड में है। भाजपा चाहती है कि गठबंधन होने पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिअद के माध्यम से पार्टी को आधार मिल जाए। गठबंधन की संभावनाओं को देखते हुए ही शिअद ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। अन्यथा शिअद पंजाब में पहला ऐसा दल होता था, जो सबसे पहले अपने प्रत्याशियों की घोषणा करता था।
बदली हुई है इस बार की तस्वीर
शिअद के इतिहास पर अगर नजर डालें तो चुनाव की घोषणा से दो-दो माह पहले ही वह अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देता था, लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई है। पंजाब में केवल आम आदमी पार्टी (आप) ही है, जिसने 13 में से आठ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। अन्य पांच पर भी वह जल्द ही घोषणा करने जा रही है। शिअद और भाजपा जहां अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं तो कांग्रेस की नजर इन दोनों पार्टियों पर लगी हुई हैंकांग्रेस इस बात का इंतजार कर रही है कि शिअद-भाजपा की रणनीति कैसी रहती है।
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टिकटों के आवंटन से पहले आश्वस्त होना चाहती कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का कहना है ‘दोनों पार्टियों का तो गठबंधन हो ही चुका है।’ वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बताते हैं, ‘चुनाव अंतिम चरण में हैं। इसलिए अभी इंतजार करना ही बेहतर है।’ कांग्रेस के सामने यह भी परेशानी है कि उसकी पार्टी में टूट का क्रम जारी है। पहले बस्सी पठाना से पूर्व विधायक गुरप्रीत जीपी गए और बाद में चब्बेवाल के विधायक डॉ. राजकुमार चब्बेवाल। वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी की नजर फिरोजपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के एक नेता पर टिकी हुई है। कांग्रेस टिकटों के आवंटन से पहले आश्वस्त हो जाना चाहती है कि नेताओं द्वारा पार्टी छोड़ने का सिलसिला थम जाए।
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