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Delhi CM Arvind Kejriwal: क्या जेल से सरकार चला सकते हैं अरविंद केजरीवाल? जानें आम आदमी पार्टी के पास क्या है विकल्प

Delhi CM Arvind Kejriwal: दिल्ली में कामकाज या किसी फैसले से संबंधित फाइलें केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को, मुख्यमंत्री के ज़रिए ही भेजी जाती हैं। लेकिन अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से ये मुमकिन नहीं है।

Delhi CM Arvind Kejriwal: जेल में रहते हुए केजरीवाल को उपराज्यपाल से भी मिलने की अनुमति नहीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। केजरीवाल देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बावजूद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है। हालांकि मुख्यमंत्री को जेल से सरकार चलाने देने की अनुमति का अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल के ही पास है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल के पास क्या-क्या विकल्प बचते हैं।

अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहें और उन्हें जेल के अंदर एक विशेष व्यवस्था के तहत सरकार चलाने की अनुमति दे दी जाए, लेकिन इस विकल्प की संभावना काफी कम है क्योंकि उपराज्यपाल ने जेल से सरकार नहीं चलाने का आश्वासन दिल्ली वालों को दिया है। जेल के अंदर मीटिंग और फाइल देखने जैसी व्यवस्था जेल मैनुअल में नहीं है और अगर उपराज्यपाल चाहें तभी इसकी अनुमति मिल सकती है।

किसी को दे सकते हैं जिम्मेदारी

अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहें और अपनी जगह कैबिनेट के किसी एक मंत्री को अपनी अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज देखने का जिम्मा दे दें। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब मुख्यमंत्री कहीं बाहर होते हैं या किसी तरीके की मेडिकल इमरजेंसी जैसी हालत होती है। केजरीवाल के जेल जाने की स्थिति में ऐसी अनुमति उपराज्यपाल या राष्ट्रपति देंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है।

क्यों जेल से सरकार चलाना मुश्किल?

NCT Delhi Act के मुताबिक, दिल्ली में कामकाज या किसी फैसले से संबंधित फाइलें केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को, मुख्यमंत्री के ज़रिए ही भेजी जाती हैं। लेकिन अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से ये मुमकिन नहीं है। CM अपने मंत्रिमंडल के मुखिया होते हैं और मंत्रिमंडल के सभी फैसलों की जानकारी उपराज्यपाल को CM के ज़रिए ही भेजी जाती है, जो जेल से संभव नहीं है। अरविंद केजरीवाल के पास भले ही कोई पोर्टफ़ोलियो नहीं है, लेकिन तमाम ऐसी सरकारी फाइलें होती हैं, जो CM के देखने के बाद ही आगे बढ़ती हैं।

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मंत्रिमंडल के सहयोगियों का नाम शामिल नहीं

एक तरीके से इन फाइलों पर मुख्यमंत्री ही फैसला ले सकते हैं, पर अब उनके जेल में होने ये यह भी मुमकिन नहीं है। अरविंद केजरीवाल, तिहाड़ में रहते हुए केवल न्यायिक ज़रूरत के कागजों अथवा दस्तावेजों पर जेल प्रशासन की अनुमति से अपने वकील के ज़रिए हस्ताक्षर कर सकते हैं या उन्हें देख सकते हैं, लेकिन सरकारी फाइलों को देखना या उनपर हस्ताक्षर करना मुमकिन नहीं है। CM अरविंद केजरीवाल, तिहाड़ में रहते हुए अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से भी मुलाकात नहीं कर सकते क्योंकि उनके मुलाकातियों में मंत्रिमंडल के सहयोगियों का नाम शामिल ही नहीं है।

उपराज्यपाल से नहीं मिल पाएंगे केजरीवाल

ऐसे में वो कोई सरकारी आदेश कैसे पारित कर सकते हैं, यह सवाल है। दिल्ली के मुख्यमंत्री को तमाम मामलों में उपराज्यपाल से भी सलाह-मशविरा करने की जरूरत पड़ती है और फोन से अथवा आमने-सामने की मुलाकात में दोनों संपर्क में रहते हैं। पर केजरीवाल के जेल में रहते यह संभव नहीं है। न तो वह उपराज्यपाल से मिल पाएंगे और न ही जेल में फोन की सुविधा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सिर्फ फाइलों पर हस्ताक्षर करना ही सरकार चलाना नहीं है, बल्कि संतुलित तरीके से सरकार चलाने के लिए कैबिनेट की बैठकें, मंत्रियों से सलाह-मशविरा करनी होती और इस प्रक्रिया में बड़ा स्टाफ शामिल होता है, जो अब लगभग नामुमकिन है।

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तो क्या है विकल्प?

इस परिस्थिति में अब दिल्ली सरकार के पास 2 विकल्प नजर आ रहे हैं। पहला विकल्प है- अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को इस्तीफ़ा देना होगा। इस्तीफे के बाद विधायक दल का नया नेता चुना जाए और कोई और मुख्यमंत्री बने। दूसरा विकल्प- केजरीवाल सरकार पर संवैधानिक संकट को आधार बनाते हुए LG, सरकार बर्खास्त करने की सिफारिश कर सकते हैं। इस स्थिति में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है।

अरविंद केजरीवाल पर क्या आरोप?

ईडी का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं। ईडी ने अदालत में कहा कि केजरीवाल कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल थे और इस लाभ के बदले शराब व्यवसायियों से रिश्वत की मांग की। आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनान में अपराध की आय का इस्तेमाल किया, जिसमें केजरीवाल मुख्य निर्णयकर्ता हैं। ईडी (Enforcement Directorate) ने एक पूरक शिकायत में कहा था कि केजरीवाल ने आबकारी घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक समीर महेंद्रू से वीडियो कॉल पर बात की थी और उनसे इस घोटाले के सह-आरोपी विजय नायर के साथ काम जारी रखने के लिए कहा था। विजय नायर, आम आदमी पार्टी के पूर्व कम्यूनिकेशन इंचार्ज हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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