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FD Laddering: जानिए क्या है एफडी लैडरिंग, और इस तरह निवेशक को मिलता है ज्यादा फायदा

एफडी लैडरिंग कई एफडी में निवेश करने का तरीका है। इस विधि में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि अगर वह पांच लाख रुपये का एफडी कराने जा रहा है तो उसे एक एफडी में न कराएं।

FD Laddering: अगर एफडी करवाते होगें तो जरूर जान ले एफडी लैडरिंग बारे में, होगें काफी फायदें

FD Laddering: भारत में बैंक एफडी निवेश का एक लोकप्रिय विकल्प है। अगर आप ऐसे निवेशक हैं जो बिल्कुल भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो एफडी निवेश आपक के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मौजूदा समय में आरबीआई की ओर से रेपो रेट बढ़ाने के बाद एफडी पर ब्याज बढ़कर औसत सात प्रतिशत हो गया है, जो कि एक साल पहले करीब पांच प्रतिशत था। अप्रैल की शुरुआत में जारी मॉनेटरी पॉलिसी में केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को नहीं बढ़ाया गया है। इसके बाद आंशका जताई जा रही है कि एफडी की ब्याज दरों में बढ़ोतरी अब थम या फिर रफ्तार धीमी हो सकती है।

एफडी लैडरिंग क्या है?

एफडी लैडरिंग कई एफडी में निवेश करने का तरीका है। इस विधि में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि अगर वह पांच लाख रुपये का एफडी कराने जा रहा है तो उसे एक एफडी में न कराएं। वह इस रकम को 5 अलग-अलग एफडी में करें। यानी वह 1-1 लाख रुपये के 5 एफडी कराए। दूसरे शब्दों में कहें तो एक लंबी अवधि के एफडी कराने के बजाय अलग-अलट टाइम फ्रेम की एफडी की एक श्रृंखला में निवेश करना, एफडी लैडरिंग कहलाता है।

इस तरह निवेशक को मिलता है फायदा

उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि गौतम के पास 3 लाख रुपये हैं। वह इसे 3 साल के लिए एकमुश्त निवेश करने के बजाय, एक-एक लाख की 3 एफडी में निवेश करता है। वह पहला एफडी 1 साल के लिए, दूसरा 2 साल के लिए और तीसरा 3 साल के लिए करता है। इसका फायदा उसे यह मिलता है कि उसे अगर बीच में 1 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है तो उसे सभी एफडी तोड़ने की जरूरत नहीं होगी। वह एक ​एफडी तोड़कर अपना काम कर पाएगा। इस तरह उसे कम पेनल्टी और थोड़ा इंटरेस्ट लॉस होगा। साथ ही उसकी लिक्विडिटी भी बनी रहेगी है। दूसरा तीन एफडी करने पर उसे ज्यादा ब्याज का लाभ मिलेगा क्योंकि बैंक अलग-अलग टेनर के लिए अलग-अलग ब्याज देते हैं। इस तरह उसे ज्यादा ब्याज का लाभ भी मिलेगा। उसके एफडी पर जोखिम भी कम होगा क्यों​कि वह तीन बैंकों में निवेश होगा। बैंकों की ओर से ब्याज दर में बढ़ोतरी या कमी का भी उसे फायदा मिलेगा क्योंकि एक साल के बाद अगर ब्याज बढ़ती है तो उसे फिर से निवेश कर पाएगा। इस तरह वह निवेश का एक पूरा साइकल तैयार कर पाएगा।

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ब्याज दर घटने या बढ़ने के टेंशन से मुक्ति

एफडी लैं​डरिंग करने पर निवेशक को अपनी एफडी बुक करने के लिए बेहतर समय या ब्याज दर में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। वह इससे टेंशन फ्री हो जाता है क्योंकि कुछ एफडी कम दरों पर बुक किए जा सकते हैं तो कुछ उच्च दरों पर भी बुक किए जाएंगे। इस तरह निवेशक को नुकसान होने की संभावना नहीं के बराबर होती है।

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सर्वोत्तम ब्याज दर मिलने की उम्मीद

बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर अलग-अलग अवधि में अलग-अलग होती है। आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट का सबसे अच्छा रिटर्न लंबी अवधि की एफडी पर मिलता है, यानी 3-5 साल। चूंकि एफडी लैंडरिंग आपको समय-समय पर तरलता प्रदान करता है। आप अभी भी 5 साल की लंबी अवधि के लिए अपनी सभी एफडी बुक कर सकते हैं। इसलिए अपनी बड़ी एफडी को कई छोटी एफडी में विभाजित करने के बावजूद, सीधे आपको बैंक की उच्च ब्याज दर का लाभ प्राप्त करने के लिए लंबी अवधि के लिए जाने की अनुमति देती है।

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