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Bank Locker Rule: दीमक ने चट किया बैंक लॉकर में रखें 18 लाख रूपये, जानिए कौन होगा जिम्मेदार?

रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन में बैंक लॉकर में नुकसान से जुड़े नियमों को क्‍लीयर किया गया है। अब बैंक और ग्राहक के बीच नई गाइडलाइन के तहत ही एग्रीमेंट किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है या चोरी हो जाता है तो बैंक लॉकर के लिए वसूले जाने वाली सालाना फीस का 100 गुना मुआवजा ग्राहक को देगा।

Bank Locker Rule: जानिए क्‍या है लॉकर के नियम और नई गाइडलाइन…


रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन में बैंक लॉकर में नुकसान से जुड़े नियमों को क्‍लीयर किया गया है। अब बैंक और ग्राहक के बीच नई गाइडलाइन के तहत ही एग्रीमेंट किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है या चोरी हो जाता है तो बैंक लॉकर के लिए वसूले जाने वाली सालाना फीस का 100 गुना मुआवजा ग्राहक को देगा।

Bank Locker Rule: यूपी के मुरादाबाद में एक महिला, जिसने करीब डेढ़ साल तक बैंक के लॉकर में 18 लाख रुपये नकद रखे थे, उसको अब पता चला है कि उसके पैसे में दीमक लग गई है। लॉकर मालिक की पहचान अलका पाठक के रूप में हुई है, जिसने अक्टूबर 2022 में अपनी बेटी की शादी के लिए रखे गए पैसे और कुछ गहनों को लॉकर में छिपा दिया था। इंडिया में लोग घर की तिजोरी से अधिक सुरक्षित जगह बैंक लॉकर को मानते हैं उन्हें लगता है कि अगर वह अपना क़ीमती सामान बैंक लॉकर में रखते हैं तो वह अधिक सुरक्षित रहेंगे। चोरी होने पर उसकी ज़िम्मेदारी बैंक की होगी। अगर घर पर रखते हैं और वह सामान चोरी हो जाता है तो उसकी ज़िम्मेदारी ख़ुद की होगी। बैंक लॉकर में रखे सामान का अगर किसी भी तरह का नुक़सान होता है तो बैंक इसकी ज़िम्मेदारी लेगा। जरा सोचिए क्या होगा अगर बैंक में रखी ज्वेलरी और क़ीमती सामान ग़ायब हो जाए, चोरी हो जाए या फिर उसे दीमक लग जाए। इसकी भरपाइ कौन करेगा? नियम क्या है? आइए जानते हैं।

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बैंक की होगी जिम्मेदारी

आप अक्सर देखते होंगे कि अगर आप किराया पर कोई चीज लेते हैं। वह चाहें कार हो, बाइक हो या फिर कोई घर उसके लिए आपको एक क़ीमत चुकानी होती है। वैसे ही अगर आप कोई सामान या कीमती चीज बैंक लॉकर में रखते हैं, तो बैंक इसके लिए आपसे एक चार्ज वसूलते हैं। यह चार्ज RBI के नियम के मुताबिक़ होता है, साथ ही बैंकों की उस सामान की जवाबदेही हो जाती है, अगर उस सामान को किसी भी तरह का नुक़सान पहुँचता है।

क्‍या है लॉकर का नियम

साल 2022 तक बैंक लॉकर से जुड़ा सीधा नियम था कि अगर ग्राहक की किसी संपत्ति को नुकसान होता है तो इसकी पूरी भरपाई बैंक करेगा। यही वजह है कि ज्‍यादातर मामलों में बैंक हाथ खींच लेते हैं और ग्राहक को किसी भी तरह की भरपाई करने से इनकार कर देते हैं। बैंकों की इस मनमानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और कोर्ट के आदेश के अनुसार रिजर्व बैंक ने नई गाइडलाइन जारी की।

क्‍या है नई गाइडलाइन

रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन में बैंक लॉकर में नुकसान से जुड़े नियमों को क्‍लीयर किया गया है। अब बैंक और ग्राहक के बीच नई गाइडलाइन के तहत ही एग्रीमेंट किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है या चोरी हो जाता है तो बैंक लॉकर के लिए वसूले जाने वाली सालाना फीस का 100 गुना मुआवजा ग्राहक को देगा। जैसे एसबीआई मेट्रो शहरों में मीडियम साइज के बैंक लॉकर के लिए हर महीने 3000 रुपये और जीएसटी लेता है, इसका मतलब हुआ कि सालभर में 36 हजार रुपये की फीस ली जाती है। अगर इस लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है तो बैंक इसका 100 गुना यानी 36 लाख रुपये की भरपाई करेंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने 1 लाख जमा किए या 1 करोड़ रुपये।

कब नहीं मिलता मुआवजा

आपको बता दें कि अगर प्राकृतिक आपदा की वजह से लॉकर को नुकसान पहुंचता है तो बैंक की जिम्‍मेदारी नहीं होती। इसके अलावा ग्राहक की गलती की वजह से अगर उसे नुकसान हुआ तो भी बैंक कोई हर्जाना नहीं देते हैं। दरअसल, लॉकर में क्‍या रखा है, इसकी जानकारी न तो ग्राहक बैंक को देते हैं और न ही बैंक इसकी जानकारी ग्राहक से मांगते हैं। यह पूरी तरह गोपनीय होता है। मुरादाबाद की घटना में वैसे तो बैंक ने नियमों का हवाला देकर कोई हर्जाना देने से इनकार कर दिया है, लेकिन नियम के तहत ग्राहक को बैंक से हर्जाना लेने का पूरा अधिकार है।

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