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अयोध्या वर्डिक्ट: 70 साल बाद आया सबसे बड़ा फैसला

अयोध्या हुई श्री राम की, 5 एकड़ जमीन मिली मुसलमानो को


देश के सबसे बड़े और मह्त्वपूर्ण फैसले का आज अंत हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में लगातार 40 दिन से चल रही सुनवाई के बाद 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर आज यानि शनिवार सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुना दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ , जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल ने इस मामले पर फैसला सुनाया है।

अगर वर्डिक्ट की बात की जाये तो अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि विवादित ढांचे की जमीन हिन्दुओं को दी जाएगी। वहीं मस्जिद के लिए दूसरी जगह सरकार उपयुक्त जमीन देगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने को कहा है। साथ ही मुसलमानों को अयोध्या में उपयुक्त स्थान पर पांच एकड़ का प्लॉट देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बोला है की सरकार मुस्लिमों को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन उपयुक्त स्थान पर देगी। आदेश में यह भी कहा गया है की मुस्लिम को मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर प्लॉट दिया जायेगा।

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क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूत के अनुसार बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्जा था, इस पर मुस्लिम का कब्जा नहीं था। लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ भी करते थे। बाबर ने मस्जिद बनाई थी लेकिन वे कोई सबूत नहीं दे सके कि इस पर उनका कब्जा था और नमाज़ की जाती थी। जबकि यात्रियों से पता चलता है कि हिन्दू यहां पूजा करते थे। 1857 में रेलिंग लगने के बाद सुन्नी बोर्ड यह नहीं बता सका कि ये मस्जिद बनी हुई थी। यहाँ 16 दिसंबर 1949 को आखिरी नमाज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा की बटवारे की जो ज़मीं है उसे हाई कोर्ट ने गलत ठहराया है। वहाँ पर दोनों पक्षों का कब्ज़ा नहीं था। मुस्लिम ये नहीं बता सके कि अंदरुनी भाग में उनका एक्सक्लूसिव कब्जा था। न्यायालय ने कहा कि पुरातात्विक साक्ष्यों को महज राय बताना एएसआई के प्रति बहुत अन्याय होगा।

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