Lord Shiva Third Eye: कैसे उत्पन्न हुआ भगवान शिव का तीसरा नेत्र? देवी पार्वती से जुड़ा है रहस्य, जानें ज्योतिपुंज के बारे में सब कुछ…
Lord Shiva Third Eye: महादेव जब अत्यंत क्रोध में होते हैं, तब अपनी तीसरी आंख खोलते हैं। मान्यता है कि सृष्टि को बचाने के लिए महादेव ने सबसे पहले अपनी तीसरी आंख खोली थी।
Lord Shiva Third Eye: माता पार्वती ने हंसी करते हुए बंद कर दी थीं शिव जी की आंखें, तब हुई तीसरे नेत्र की उत्पत्ति
हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का दिन सबसे शुभ माना गया है, वहीं प्रदोष व्रत की खास पूजा की जाती है। लेकिन, आषाढ़ के बाद आने वाला सावन का पूरा महीना ही भोलेनाथ को समर्पित होता है। Lord Shiva Third Eye हर सोमवार को भक्त व्रत रखते हैं और मंदिर जाकर भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं। भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न होने वाले देव भी कहा जाता है। धार्मिक शास्त्रों में भगवान शिव की अनेकों कथाएं प्रचलित हैं।
यूं तो भगवान शिवशंकर दयालु व करुणा के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अनेकों बार भगवान शिव को रौद्र रूप में भी देखा गया है, इसलिए शिव का एक नाम रुद्र भी है। सभी जानते हैं कि भगवान शिव की तीन आंखें होती हैं और जब महादेव अत्यंत क्रोध में होते हैं तब ये तीसरी आंख खुलती है। Lord Shiva Third Eye भगवान शिव की तीसरी आंख क्रोध या रौद्र रूप का प्रतीक है। लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि भगवान शिव को तीसरी आंख कैसे प्राप्त हुई थी? तो आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि भगवान शिव को तीसरी आंख कैसे प्राप्त हुई थी। तो आइए जानते हैं विस्तार से-
महाभारत ने खोला रहस्य Lord Shiva Third Eye
महादेव के तीसरे नेत्र के बारे में इतना सभी जानते हैं कि यह क्रोध के समय खुलता है। ऐसा कहा जाता है कि जब किसी का विनाश करना हो तो भगवान शंकर अपना तीसरा नेत्र खोल देते हैं। लेकिन इसे पहली बार कब खोला गया, इसको लेकर महाभारत के छठे खंड में प्रसंग मिलता है। Lord Shiva Third Eye आपको बता दें कि भगवान शिव के त्रिनेत्र को नेकर नारद जी ने विस्तार से बताया है। एक समय की बात है, जब भगवान शिव और माता पार्वती एक साथ बैठकर वातार्लाप कर रहे थे। उस दौरान देवी पार्वती ने मजाक करते हुए शिव जी की आंखों को बंद कर दिया था, जिसका असर पूरे संसार में देखने को मिला था।
माता पार्वती से हंसी करते हुए बंद कर दी थीं शिव जी की आंखें Lord Shiva Third Eye
दरअसल, आदिशक्ति की इस हंसी ठिठोली के परिणाम स्वरूप पूरे जगत में अंधेरा छा गया था। साथ ही सभी जीव-जंतु भयभीत हो गए थे और सृष्टि में हाहाकार मच गया था। संसार के विनाश को रोकने के लिए भगवान शिव के दोनों नेत्रों के बीच एक ज्योतिपुंज प्रकट हुआ, जिससे सभी जगह की रोशनी वापस आ गई और फिर से सृष्टि का संचालन शुरू हो गया। Lord Shiva Third Eye वहीं, उनके त्रिनेत्र को लेकर यह भी कहा जाता है कि यह उनके क्रोध में आने पर खुलता है। नारद मुनी कहते हैं कि भगवान शिव की आंखें ही पालनहार हैं और उनके बंद होने के बाद ही भगवान को तीसरा नेत्र मिला।
क्या है इसका अर्थ Lord Shiva Third Eye
शिव जी के तीनों नेत्र अलग-अलग गुणों के प्रतीक माने गए हैं। महादेव के दाएं नेत्र को सत्वगुण और बाएं नेत्र को रजोगुण का वास माना गया है। तो वहीं तीसरे नेत्र में तमोगुण का वास है। Lord Shiva Third Eye कहा जाता है कि भगवान शिव की दो आंखें भौतिक जगत की सक्रियता पर नजर रखती हैं, तो वहीं तीसरी आंख का कार्य है पापियों पर नजर रखना। यह आंख इस बात की ओर संकेत करती है कि समस्त विश्व का न तो आदि है और न ही अंत।
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तीनों लोकों के स्वामी हैं भोलेनाथ Lord Shiva Third Eye
हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव के तीनों नेत्र को त्रिकाल यानी भूत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक माना गया है। वहीं, स्वर्गलोक, मृत्युलोक और पाताल लोक भी इन्हीं तीनों नेत्रों के प्रतीक माने गए हैं। यही कारण है कि शिव जी को तीनों लोकों का स्वामी कहा गया है। Lord Shiva Third Eye ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं, जिसमें बताया गया है कि मुख्य रूप से भगवान शिव को अत्यधिक क्रोध आने पर ही उनकी तीसरी आंख खुलती है। ऐसा कहा जाता है कि जब-जब शंकर भगवान अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं, तब-तब नए युग का सूत्रपात होता है।
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