Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी 2025, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चातुर्मास का महत्व
Devshayani Ekadashi 2025, देवशयनी एकादशी, जिसे आषाढ़ी एकादशी, हरि शयनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है,
Devshayani Ekadashi 2025 : 6 जुलाई 2025 को है देवशयनी एकादशी, जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
Devshayani Ekadashi 2025, देवशयनी एकादशी, जिसे आषाढ़ी एकादशी, हरि शयनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पावन तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के शयन (नींद) पर जाने का प्रतीक होता है, और इसी के साथ चातुर्मास की शुरुआत भी होती है। वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई (रविवार) को मनाई जाएगी।
वशयनी एकादशी 2025 की तिथि और मुहूर्त
- तिथि प्रारंभ: 5 जुलाई 2025, शनिवार को रात 10:56 बजे
- तिथि समाप्त: 6 जुलाई 2025, रविवार को रात 08:34 बजे
- एकादशी व्रत पारण: 7 जुलाई 2025, सोमवार को सुबह 06:00 से 08:32 बजे तक
देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने तक वहीं विश्राम करते हैं। यह समय चातुर्मास कहलाता है, जो देवउठनी एकादशी तक चलता है। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किए जाते। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत Moksha Ekadashi के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
व्रत विधि
- स्नान और संकल्प:
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। - पूजन विधि:
भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाएं। तुलसी दल, पीले फूल, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। - विष्णु सहस्त्रनाम या गीता पाठ करें
इस दिन भगवान विष्णु के 1000 नामों (विष्णु सहस्त्रनाम) का पाठ करना शुभ माना जाता है। - भजन-कीर्तन और जागरण करें:
रात्रि में भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन करना बहुत पुण्यदायक होता है। - अगले दिन पारण:
द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन कराकर स्वयं व्रत का पारण करें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
चातुर्मास का समय वर्षा ऋतु के दौरान आता है। यह वह समय होता है जब वातावरण में नमी, संक्रमण और कीटाणुओं की संख्या बढ़ जाती है। इस कारण से शास्त्रों में इस समय भारी भोजन, यात्रा और शारीरिक संबंधों से बचने की सलाह दी गई है। व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
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