Indira Gandhi Birthday: जब इंदिरा गांधी को लगानी पड़ी थी देश में इमरजेंसी, तब कैसे थे महिलाओं के हालात
Indira Gandhi Birthday: इमरजेंसी के दौरान कहीं हुई झूठी गिरफ्तारी तो कहीं महिलाओं को सहने पड़े कई दर्द
- भारत की ‘आयरन लेडी’ और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री ‘इंदिरा गांधी’ का 19 नवम्बर को जन्मदिन है।
- इंदिरा गांधी के राजनीतिक इतिहास में अगर उनको किसी निर्णय की सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है तो वो है इमरजेंसी यानी आपातकाल।
Indira Gandhi Birthday : भारत की ‘आयरन लेडी’ और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री ‘इंदिरा गांधी’ का 19 नवम्बर को जन्मदिन है। जब भी देश को चांद पर ले जाने की बात कही जाएगी इंदिरा गांधी का नाम आएगा और जब भी देश को परमाणु शक्ति बनाए जाने की बात लिखी जाएगी तब भी इंदिरा का नाम लिया जाएगा। यही नहीं जब भी पाकिस्तान को धूल चटाने की बात कही जाएगी तब इंदिरा गांधी का नाम सुनहरे शब्दों में लिखा जाएगा। वह इंदिरा गांधी ही थी जिसने पाकिस्तान में बांग्लादेशियों को मुक्त कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और आज है इंदिरा गांधी की 102वीं जयंती। इंदिरा गांधी पहली नेता थी जिन्होंने सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपने इरादों का डंका बजाया था।
जब भी अंतरिक्ष की बात होती है तो इंदिरा गांधी का नाम ज़रूर आता है। अंतरिक्ष में अपना झंडा स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा के रूप में फेहराया था। जब राकेश शर्मा से बात करते हुए पूछा गया कि अंतरिक्ष से भारत कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा था ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।’ इंदिरा ने ही सत्ता से बाहर फेंके जाने के डर के बाद भी पंजाब में फैलते उग्रवाद को उखाड़ फेंकने के लिए कड़े फैसले लिए और ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया और स्वर्ण मंदिर तक सेना भेजी थी।
भारत में धीरे-धीरे असंतोष बढ़ता जा रहा था। तो इसकी वजह से इंदिरा को लगने लगा की उनकी प्रजा उनके विरोध में उतरने लगी है। तो उनके खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने के लिए इमरजेंसी का सहारा लिया। आपातकाल के समय देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उन्होंने एक नया नारा दिया था ‘इंडिया इज इंदिरा’ और ‘इंदिरा इज इंडिया।’
इंदिरा को पहले ही पता चल गया था की उनकी मृत्यु निकट है। 30 अक्टूबर को जब वो भाषण दे रही थी तो उन्होंने कहा था कि ‘मैं आज यहां हूं, कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।’
इंदिरा गांधी के राजनीतिक इतिहास में अगर उनको किसी निर्णय की सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है तो वो है इमरजेंसी यानी आपातकाल।
आइए आपको बताते हैं इस निर्णय से जुड़ी खास बात।
देश में दंगे हों या कोई विशेष कानून लागू हो, महिलाओं के लिए हालात बहुत मुश्किल हो जाते हैं. क्या ऐसी स्थिति 25 जून 1975 को लगी इमरजेंसी के दौरान भी थी?
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हरियाणा बीजेपी की पहली अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. कमला वर्मा ने बताया, ”जब इमरजेंसी लगाई गई तब मैं ऑल इंडिया वर्किंग कमिटी की सदस्य थी. मैं राजनीति में तो सक्रिय थी लेकिन इमरजेंसी जैसे हालातों के लिए नई थी.”
”तब मैंने सोचा कि इमरजेंसी के विरोध में एक मार्च निकालना चाहिए लेकिन तब एक बुर्जुग व्यक्ति ने मुझसे कहा कि तुम्हें पता भी है इमरजेंसी का मतलब क्या होता है? इसका मतलब है कि लोग सरकार के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोल सकते.”
कमला वर्मा ने बताया कि तब उन्होंने अख़बारों में अटल बिहारी वाजपेयी और एलके आडवाणी जैसे नेताओं की गिरफ्तारी की ख़बर देखी. उन्हें अहसास हो गया कि अब उनका नंबर भी आने वाला है.
वह कहती हैं, ”मैं दो दिनों के लिए एक दोस्त के घर अंडरग्राउंड हो गई. मैंने 27 दिसंबर को घर लौटने का फ़ैसला किया और देखा कि सीआईडी के अधिकारी मेरे घर के आसपास मौजूद थे. वो पूरे दिनभर घर के आसपास घूमते रहे और रात को 7 बजे करीब घर में जबरदस्ती आ गए. वह दिन में गिरफ्तारी करने से बचते थे ताकि कोई हंगामा न खड़ा हो जाए.”
डॉ. कमला ने बताया, ”अंबाला जेल में मुझे स्पांडेलाइटिस हो गया था और तब मुझे रोहतक में एक अस्पताल में एडमिट किया गया. जब मैं 19 महीनों बाद घर लौटी तो लोग मुझसे बात करने से भी डरते थे. मुझे लगता है कि इमरजेंसी ने लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर दिया था.”
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