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Holi 2023: होलिका दहन मनाने का सही मुहूर्त क्या है ?ऐसे करे पूजा

 Holi 2023: इस साल कब मनाया जायेगा होली का त्योहार? जानें होलिका दहन का सही  मुहूर्त और पूजा विधि


Highlights

. 7 मार्च, मंगलवार को होलिका दहन मनाया जायेगा।

. 8 मार्च, बुधवार को होली मनाई जायेगी।

. होलिका दहन का मुहूर्त 7 मार्च को संध्या 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

Holi 2023: अगर हम फाल्गुन महीने की बात करें तो फाल्गुन महीने की सबसे खास चीज है रंगो का त्योहार होली। इस आर्टिकल में आपको हम बतायेंगे कि इस साल होलिका दहन का मुहूर्त क्या है, होलिका दहन की पूजा सामग्री और विधि क्या है और होली कब मनाई जायेगी।

होलिका दहन 2023 तारीख और शुभ मुहूर्त

पंचाग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष कि पुर्णिमा तीथि को होलिका दहन  मनाया जाता है। आपको बता दें कि होलिका दहन अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि हर साल होलिका के रूप में अपने मन की बुराइयों को भस्म कर देना चाहिये। इस साल होलिका दहन 7 मार्च, मंगलवार को है। 7 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

आपको बता दें कि होलिका दहन के लिये प्रदोष काल का समय चुना जाता है, जिसमें कहा जाता है कि भद्रा का साया न हो। इस समय भद्रा की पूँछ रहेगी।

Holi 2023
Holi 2023

ज्योत्षशास्त्र में भद्रा के मुख समय में होलिका दहन मनाना अशुभ होता है, लेकिन भद्रा काल में होलिका दहन मनाया जा सकता है। ऐसे में 7 मार्च 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजा सामग्री

एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेहूँ की बालियाँ, चना

होलिका दहन की पूजा विधि

ज्योतिषाचार्र्य के अनुसार होलिका दहन से पहले उसकी पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा करने से जातक को हर तरह की परिशानियों से छुटकारा मिलने के साथ शुभ फलों की प्राप्ती होती है। होलिका दहन के दिन सुर्योदय के बाद स्नान कर लें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जायें। इसके बाद गाय के गोबर से प्रहलाद और होलिका की प्रतिमायें बनायें फिर हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें।

Holi 2023
Holi 2023

सबसे पहले जल अर्पित करें, इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी , मूंग, बताशे, गुलाल, गेहूँ की बालियाँ, चना आदि एक – एक करके अर्पित करें। साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी कर लें। पूजा के बाद कच्चे सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बाँध दें।

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