काम की बात
Vaccination for Infants: नवजात शिशु को कौन सा टीका, कब और क्यों दिया जाता है?
Vaccination for Infants: अपने बच्चे के टीकाकरण से पहले जानिए इन महत्वपूर्ण बातों को!
Highlights:
Vaccination for Infants: जानिए भारत में अनिवार्य टिको की पूरी सूची!
पैदा होते ही 24 घंटो में कौन से टिके दिए जाते है?
टीका लगवाना क्यों होता है जरूरी?
Vaccination for Infants: भारत में शिशुओं के लिए टीकाकरण एक अपरिहार्य प्रथा है क्योंकि शिशु का जीवन और कल्याण इस पर बेहद निर्भर करता है। अगर आपका भी माता पिता के रूप में पहली बार जन्म हुआ है और आप जानना चाहते है की शिशुओं को कौन से टीके दिए जाते हैं और क्यों? तो आपने एक दम सही लेख चुना है! आगे हम जानेंगे की भारत में नवजात शिशुओं के लिए आव्याशक कौन से टिके है और वह किस समस्या से बचने के लिए कब दिए जाते है।
वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों का स्वास्थ्य अधिक कमजोर होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके शरीर में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी जल्द विकसित नहीं हो पाती है। इससे उनके एलर्जी, संक्रमण आदि से बीमार पड़ने की संभावना अधिक बनी रहती है।
भारत में शिशुओं के लिए अनिवार्य टीके कौन से हैं?
जन्म पर :
बीसीजी वैक्सीन
शिशुओं में ट्यूबरक्लोसिस को रोकने के लिए बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) टीका लगाया जाता है। इसे अनिवार्य टीका माना जाता है क्योंकि भारत में टीबी प्रति वर्ष लाखों मौतों के लिए जिम्मेदार है। इसे जन्म के समय या एक वर्ष की आयु तक जितनी जल्दी हो सके, ऊपरी बाएँ हाथ में दिया जाना चाहिए।
ओरल पोलियो वैक्सीन
पोलियो एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में पक्षाघात यानी लकवा का कारण बनती है, पोलियोवायरस एक व्यक्ति के गले और आंतों में रहता है और मल के संपर्क में आने से फैलता है, कुछ बच्चे जिन्हें पोलियो हो जाता है, उन्हें कोई लक्षण महसूस नहीं होते है तो वहीं दूसरों को सिर्फ सामान्य सर्दी के समान लक्षण ही मिलते है यह बीमारी इतनी घातक होती है की एक सप्ताह के भीतर ही लकवा हो सकता है। निराश करने वाली बात यह है की पोलियो का कोई इलाज नहीं है, और कुछ बच्चे इससे मर भी सकते हैं।
इसलिए इस टिके को अनिवार्य रूप से लगाना बेहद अव्याशक है। पोलियो वैक्सीन दो प्रकार के होते हैं: ओपीवी, जिसे मौखिक रूप दिया जाता है और आईपीवी जिसे इंजेक्शन द्वारा।
जन्म के पहले 15 दिनों के भीतर या जन्म के समय दो बूंद फिर 6, 10 और 14वे सप्ताह के अंतराल में इसकी खुराक दी जाती है। यदि आप आईपीवी का विकल्प चुनते हैं, तो पहली खुराक 6 से 8वे सप्ताह के बीच में दी जानी चाहिए, और दूसरी खुराक 10-16वे सप्ताह के बीच में, फिर 14-24वे सप्ताह के बीच तीसरी और आखिर में 16-18वे महीने के बीच बूस्टर डोज दी जाती है।
हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस बी का कारण बनता है, यह रक्त और शरीर के तरल पदार्थ में पाया जाता है, लोग संक्रमित होते है जब ये तरल पदार्थ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित होते हैं, पहले दूसरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुइयों का उपयोग करने से भी यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित हो सकती है। इसलिए इससे बचने के लिए, बच्चे के जन्म के समय इंट्रामस्क्युलर मार्ग के माध्यम से 0.5 मिली निलंबन में दस एमसीजी खुराक, इसके बाद दुसरी खुराक 6-8वे सप्ताह में और आखरी खुराक छह महीने के अंतराल में दी जानी चाहिए।
शिशु के जन्म को 6 सप्ताह पूरे होने के बाद :
डीटीपी वैक्सीन
तीन घातक बीमारियां डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस को रोकने के लिए बच्चों को डीटीपी दी जाती है। डिप्थीरिया गले के पीछे एक मोटा आवरण होता है जिसमें गड़बड़ी से सांस लेने में तकलीफ, हृदय की समस्या और यहां तक कि गंभीर मामलों में यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। टेटनस एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की मांसपेशियां सिकुड़ जाती है। पर्टुसिस, गंभीर खाँसी का कारण बनता है जो हफ्तों तक रहता है जिससे निमोनिया जैसे जानलेवा बीमारी हो सकती है।
इस टिके की पहली खुराक आमतौर पर 6 सप्ताह की उम्र में बच्चों को दिया जाता है, जिन बच्चों में इसके टिके को लगाने के बाद रिएक्शन होता है उन्हें दूसरी खुराक नहीं दी जाती है। इसके बारे में अधिक जानकारी स्वास्थ्य संबधित अधिकारी से लें।
हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी वायरस
यह टीका मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के नुकसान को रोकता है। यह वायरस गंभीर रक्त बीमारियां जैसे निमोनिया, गले की गंभीर सूजन, जोड़ों और हड्डियों में इंफेक्शंस का कारण बन सकता है। भारत में शिशुओं के टीकाकरण कार्यक्रम में इस टीके के लिए केवल 1 खुराक है।
रोटावायरस
रोटावायरस शिशुओं और बच्चों में गंभीर गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण है, वायरस मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, छोटे बच्चों में रोटावायरस के परिणामस्वरूप गंभीर दस्त, निर्जलीकरण, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की समस्याएं हो सकते है, यह सूक्ष्म जीव मल के संपर्क में आने पर फैलता है। इस टिके की पहली खुराक जन्म के 6 सप्ताह में, इसके बाद 10 और 14वे सप्ताह में इसकी तीन खुराक दी जाती है।
टीसीवी
यह भारत में शिशुओं के लिए आवश्यक टीकाकरण का नवीनतम समूह है, टेटनस और टाइफाइड के टीकों का यह टीका एक संयुग्म है जो 9 महीने से 16 साल के बीच टाइफाइड बुखार को होने से रोकता है। इस टिके को 3 से 6 महीने के शिशुओं को दिया जाता है। यह जांघ में लगाया जाता है, और 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए इस टिके को डेल्टोइड पेशी में दिया जाता है।
बच्चे के जन्म के 9 महीने पूरे होने के बाद :
एमएमआर
एमएमआर खसरा, कण्ठमाला और रूबेला के लिए है, खसरा एक संक्रामक बीमारी है, जिससे पेट की समस्या, कान में इन्फेक्शन, ऐंठन, मस्तिष्क क्षति और निमोनिया हो सकती है।
9 महीने की उम्र वालें बच्चों के लिए, इंजेक्शन जांघ के अग्र भाग में दिया जाता है वही बड़े बच्चों में, यह ऊपरी बांह के पीछे के ट्राइसेप्स में दिया जाता है, दूसरी खुराक 4 से 6 साल के बीच में दिया जाता है।
शिशु के जन्म को 12 महीने पूरे होने के बाद :
हेपेटाइटिस ए
यह वायरस लीवर को प्रभावित करता है। हेपेटाइटिस वायरस इस बीमारी का कारण बनता है, खराब स्वच्छता के कारण यह रोग मल-मौखिक मार्ग से फैलता है, हर साल दुनिया में इसके 1.5 मिलियन मामले सामने आते हैं, 2 साल से कम उम्र के लगभग 85% बच्चे इससे संक्रमित होते है, यह अधिकांश में पीलिया का कारण बनता है। एक वर्ष से ज्यादा की आयु वालें बच्चों को 6 महीने के अंतराल पर इसकी दो खुराके दी जाती है।
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बच्चों का टीकाकरण क्यों जरूरी है?
“रोकथाम इलाज से बेहतर उपाय है”, बीमार पड़ेंगे ही नहीं तो बीमारी से लड़ने के जरूरत भी नहीं पड़ेगी। टीकाकरण के महत्व को समझाने के लिए यहां कुछ कारण दिए गए हैं।
किसी बीमारी को ठीक करने की तुलना में उसे रोकना बेहतर है
टीकाकरण किसी बीमारी को होने से रोकने में मदद करता है। रक्तप्रवाह में वायरस या बैक्टीरिया के कमजोर रूप को इंजेक्ट करके, शरीर स्वचालित रूप से एंटीबॉडी का उत्पादन करता है। इसलिए, शरीर बाद में रोग के प्रति प्रतिरक्षित हो जाता है।
टीके अनावश्यक जटिलताओं को रोकते है
रोगों से सबसे खराब जटिलताओं में से कुछ विकृति और मृत्यु हैं। इसलिए, अपरिहार्य को दूर करने और स्वस्थ जीवन का आनंद लेने के लिए, टीके अवश्य लें।
Conclusion:
जब भी कोई नई ज़िंदगी हमारी दुनिया में आती है तो उसके कारण हम अपने साधारण दिनचर्या से लेकर अपने स्वभाव में कई बदलाव करते है और नई जिम्मेदारियां भी उठानी पड़ती है। उन जिम्मेदारियों में से एक है नवजात शिशु का समय पर, सही टीकाकरण का होना। इस लेख में हमने इसी से संबंधित जानकारियां आप तक सांझा करने की कोशिश की है। टिके को लगवाने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है की कौनसा टीका किस बीमारी से बचने के लिए आप अपने बच्चे को लगवा रहें है। किसी भी तरह के निर्णय पर पहुंचने के पहले आप अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।