इंग्लैंड में बैंक इंवेस्टर बैंकर रही महुआ मित्रा भारतीय राजनीति का अहम हिस्सा है
महुआ मोइत्रा ने अमेरिका में पढ़ाई की है
अपने पहले ही भाषण से पूरी संसद को हिला देने वाली तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की भारतीय राजनीति में एक अलग ही पहचान है। वह अक्सर हर मुद्दे पर सरकार को घेरती हुई नजर आती है। महुआ पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद है। एक सामान्य हिंदु परिवार में जन्म लेनी महुआ ने कामयाबी के हर कदम को चुमा है। जिसे उसने कभी अपने सपने में सोचा था। पश्चिम बंगाल में युवा कांग्रेस नेता के तौर पर अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली आज भारतीय राजनीति का चमकता सितारा है। जिसे लोग सुनना पसंद करते हैं। तो चलिए आज आपको महुआ मोइत्रा के जीवन के बारे में बताते हैं।
कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट थी
महुआ का जन्म 12 अक्टूबर 1974 को दीपेंद्र लाल मोइत्रा और मंजू मोइत्रा के घर असम के कछार जिले में हुआ था। लेकिन शिक्षा दीक्षा कोलकाता में हुई। कोलकाता से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई। जहां से इन्होंने माउंट होल्योक कॉलेज से मैथ्य और इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। यही से शुरु हुआ महुआ का प्रोफेन्सल करियर। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जे पी मोर्गन चेस, न्यूयॉर्क में इंवेस्टमेंट बैंकर के तौर पर नौकरी करने लगी। जब इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी उस वक्त वह इसी कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट की पोस्ट पर तैनात थी।
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कैसे की राजनीति की शुरुआत
महुआ को 18 साल की उम्र से ही राजनीति में आने का शौक था। उनका यह सपना बाद में साल 2009 के बाद पूरा हुआ। जब उन्होंने राजनीति में आने के लिए बैंक की नौकरी को छोड़ दिया। लंदन से भारत वापस आने के बाद महुआ ने सबसे पहले भारतीय युवा कांग्रेस को ज्वांइन किया। वह राहुल गांधी की बहुत ही भरोसेमंद युवा थी। जिन्हें राहल गांधी ने आम आदमी का सिपाही की जिम्मा दिया था। महुआ का राजनीति में आने के पीछे भी एक मजेदार किस्सा है। पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह 10 साल बाद कॉलेज की रीयूनियन पार्टी में गई तो उनके सारे बैचमेट बैंकों में अच्छी जगह पर कार्यरत थे। लेकिन महुआ अपने काम से खुश नहीं थी। उन्होंने उसी वक्त यह निर्धारित किया कि अगले दस साल वह रीयूनियन में मिलेगी तो बैंकर नहीं रहेगी। उन्हें कुछ अलग करना है। इसके बाद ही उन्होंने भारतीय राजनीति में कदम रखा।
राजनीति में धुंधाधार वार
महुआ को लोगों ने पहले बार टीवी तब जाना जब वह ऑनएयर चल रहे प्रोग्राम में अर्नब गोस्वामी को मीडिल फिगर दिखाकर चली गई। इसके बाद तो चारों तरफ इनकी चर्चा होने लगी। महुआ को राजनीतिक रुप से पहचान साल 2019 के 25 जून के भाषण के बाद मिली। जहां उन्होंने केंद्र सरकार को खुल तौर पर फासीवाद कहकर पुकारा था। इसके बाद अगले पांच के लिए महुआ को सुनने के लिए लोग तैयार हो गए। अब तो आलम यह है कि वह हर मुद्दे को संसद में उठाती है। उनका कहना है कि हम विपक्ष में है इसलिए जनता की आवाज उठाना हमारा काम है। साल 2019 में ही आए नए नागरिक कानून के वक्त भी उन्होंने संसद मे भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए। कहा कि ‘भारत किसी के बाप का नहीं है’।
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