जानें किसान आंदोलन को पूरी दुनिया से समर्थन क्यों मिल रहे है
सरकार को इसे वापस लेना होगा
नए कृषि कानून को लेकर लगातार आंदोलन जारी है. 26 नवंबर से शुरु हुआ आंदोलन लगातार जारी है. सरकार और किसान संगठन के बीच हुई बातचीत भी अभी तक बेनतीजा रही है. इस बीच विदेशों में भी किसान आंदोलन को समर्थन मिलना शुरू हो गया है. आज काम की बात में हम इसपर ही बात करेंगे.
अहम बिंदु
– सितंबर से विरोध शुरु हुआ
– लगातार किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं
– पूरी दुनिया से आ रहा है समर्थन
सितंबर महीने में सरकार द्वारा लाएं गए कृषि बिल का पहले दिन से ही विरोध होना शुरू हो गया था. देश के अलग-अलग हिस्सों में दो महीने तक किसान संगठनों द्वारा विरोध किया गया. लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. सरकार की बेरुखी को देखते हुए किसानों ने दिल्ली आने का फैसला किया. 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की तरफ प्रस्थान किया. किसानों को रोकने के लिए सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगाया. लेकिन सफल नहीं हो पाई. आज किसानों के आंदोलन को 13 दिन हो चुके हैं. अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इस बीच विदेशों में भी किसान आंदोलन को समर्थन मिलने लग गया है.
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सबसे पहले कनाडा ने अपना समर्थन दिया
नवंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू हुआ आंदोलन को सबसे पहला समर्थन कनाडा की तरफ से मिला. एक सप्ताह पहले कनाडा के पीएम जस्टिन और रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा था कि किसानों को शांतिपूर्ण आंदोलन करने का अधिकार है. इस बयान पर विदेश मंत्रालय समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया. लगातार बढ़ विरोध के बीच हमने किसान संगठन के लोगों के बात की.ऑल इंडिया किसान सभा के वाईस प्रेसिडेंट सूरत सिंह धर्मकोट का कहना है कि हम सिंघु बॉर्डर पर बैठकर इस काले कानून को रद्द करवाना चाहते हैं. सरकार इस कानून का पोस्टमॉर्टम न करें. सरकार कह रही है कि तीन कानूनों का नाम न बदला जाए. लेकिन उसके अंदर के प्रावधानों में बदलाव कर देते हैं. हमें पता है इससे कोई लाभ नहीं होगा. हम इसे पूरी तरह रद्द कराना चाहते हैं.
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए सूरत सिंह कहते है कि जो व्यक्ति धरती माता से प्यार करता है और यह जनता है कि इसमें से अन्न प्राप्त होता है वो सभी जन दुनिया के कोने-कोने से इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. मोदी सरकार को इसे रद्द करना चाहिए. लेकिन सरकार अभी भी डिप्लोमेसी की बात कर रही है. उन्हें भी पता है इसमें दोष है. अब यह लड़ाई कॉरपोरेट बनाम मजदूर हो गई है. इसे सरकार को रद्द करना पड़ेगा.
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पूरी दुनिया में पंजाबी है
कनाडा के बाद विश्व के अन्य देशों में जहाँ पंजाबी ज्यादा रहते हैं. वहाँ लगातार प्रदर्शन हो रहा है. पिछले सप्ताह इंग्लैंड में भारतीय उच्च्योग के बाहर लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. कई लोगों को इसके बाद हिरासत में भी लिया गया. अमेरिका में भी कुछ ऐसा ही हाल है. किसानों के समर्थन में अब आते देशों के बारे में हमने सिंघु बॉर्डर पर बैठे ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी विक्की माहेश्वरी से बात की. उन्होंने बताया कि कृषि हर चीज़ का आधार है. इस कारण यह मुद्दा पूरी दुनिया में फैला है. पंजाब के लोग पूरी दुनिया के हर कोने में बसे है. जिसके कारण यह फैल रहा है. हमारे देश का आर्थिक आधार है. अगर इस पर कोई आंच आएगी तो किसान सड़कों पर आएंगे. यह कानून पूरी तरह से देश को बर्बाद कर देगा. कल जब अडानी और अम्बानी पंजाब या अन्य जगहों पर खेती करने जाएंगे तो किसानों गेहूं उगाने के लिए क्यों कहेंगे. वो अपने फायदे के लिए ही कृषि कराएंगे. यह हम किसानों के लिए युद्ध की तरह है. जिसे हमें जितना है.
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