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अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव की किस्मत का फैसला, आमने सामने होंगे भारत-पाक
भारतलेटेस्ट

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव की किस्मत का फैसला, आमने सामने होंगे भारत-पाक

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव की किस्मत का फैसला, आमने सामने होंगे भारत-पाक


अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में आज यानि 17 जुलाई, 2019 भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से जुड़े मामले में बुधवार को सुनवाई होगी। आज शाम साढे छह बजे नीदरलैंड में द हेग के ‘पीस पैलेस’ में सार्वजनिक सुनवाई होगी जिसमे अदालत के प्रमुख न्यायाधीश अब्दुलकावी अहमद यूसुफ कुलभूषण जाधव की किस्मत का फैसला सुनाएंगे।

कौन हैं कुलभूषण जाधव?

कुलभूषण सुधीर जाधव का जन्म 16 अप्रैल 1970 महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। इनके पिता मुंबई पुलिस के एक काबिल अफसर थे। 1987 में कुलभूषण ने डिफेन्स अकैडमी को ज्वाइन किया था। इसके बाद इन्होने 1991 में नौसेना के इंजिनियरिंग विभाग में जॉब की थी। कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे। जाधव ने 14 वर्ष पहले अपनी इच्छा के अनुसार सेनावृत्ति ले ली थी।

22 महीने पहले तीन मार्च, 2016 को कुलभूषण तब सुर्ख़ियों में आये जब पाकिस्तान ने उनको एक जासूस बताते हुए कैद कर लिया था। पाकिस्तान ने कुलभूषण को रॉ का एजेंट बताते हुए बलूचिस्तान से कैद करने की बात को सामने रखा था। पाकिस्तान ने कुलभूषण पर हुसैन मुबारक पटेल नाम का पासपोर्ट जब्त होने का दावा भी किया था।

 

पाक सरकार द्वारा कुलभूषण को फांसी की सजा

अप्रैल 2017 में पाकिस्तानी की सैन्य अदालत ने भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को एक बंद कमरे में सज़ा सुनाई थी। इस सुनवाई के दौरान कुलभूषण को ‘‘जासूसी और आतंकवादी ’’ करार कर दिया गया था। इन्ही आरोपों की वजह से कुलभूषण को मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान में उन पर ईरान में कथित रूप से घुसने का आरोप भी लगाया गया था।

पाकिस्तान अदालत द्वारा जाधव को दबाव देकर एक कबूलनामे पर ‘‘जासूसी और आतंकवादी” होने का दावा करके उनसे हस्ताक्षर करवा लिए गए थे। कुलभूषण को मौत की सजा सुना दी गयी थी जिसकी भारत सरकार ने काफी निंदा की और आईसीजे (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस) के दरवाज़े खटखटाएं।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और वियना संधि के प्रावधान

भारत सरकार ने 8 मई 2017 को वियना संधि के प्रावधानों का उल्लंघन होने की बात पर जोर देते हुए आईसीजे से इस मामले पर दखलंदाजी करने को कहा। इस मामले ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंचने के बाद से तूल पकड़ लिया। भारत ने नयी दिल्ली को जाधव तक राजनयिक पहुंच देने से बार बार इंकार करके पाकिस्तान के द्वारा वियना संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करने की बात कही और इस मामले में अपना पक्ष रखा।

18 मई 2017 को आईसीजे की दस सदस्यीय पीठ की बैठक हुई जिसमे भारत और पाकिस्तान आमने सामने आये। इस सुनवाई के दौरान भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना पक्ष रखा। इस सुनवाई के बाद जाधव की मौत की सजा रोक दी गई।

आईसीजे में , भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपना अपना पक्ष रखा था और जवाब दिये थे। इस मामले में भारत की तरफ से हरीश साल्वे ने इस मामले की पैरवी की। उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए पाकिस्तान की सैन्य अदालतों के निर्णयों और कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ कुलभूषण पर दबाव डालकर कबूलनामे पर हस्ताक्षर करने की बात को भी सामने रखा। इसी बीच उन्होंने कुलभूषण की मौत की सजा को निरस्त करने के लिए आईसीजे से अनुरोध किया था।

 

आखिरी फैसला क्या हुआ था

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जब यह मामला आया था तो इस पर 21 फरवरी, 2019 को एक ओर बैठक हुई थी। न्यायाधीश यूसुफ की अध्यक्षता में आईसीजे की 15 सदस्यीय पीठ की बैठक में भारत और पाकिस्तान के पक्ष सुनने के बाद इस मामले पर फैसला आज के दिन सुनाने के लिए रोक दिया गया था।

आज दो साल और दो महीने बाद इस मामले का फैसला हो जायेगा।

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