लाइफस्टाइल

6 तरीके जो बना देंगे वृद्धावस्था को खुशहाल

ऐसे रखें खुद को खुश वृद्धावस्था में भी


सभी जानते हैं की वृद्धावस्था को दूसरा बचपन कहा जाता है। वैसे तो ये जीवन के चक्रो में से एक है पर ये बाकी चरणों से काफी अलग है। इस उम्र के बाद इंसान को उसकी आखिरी मंज़िल मिलती है जो की उसके जीवन का अंत होती है। बूढ़े लोग बीमारियों से जल्दी ग्रस्त होते हैं और उनकी पुनर्योजी क्षमताएँ भी कम होती हैं। इस उम्र में लोगों को और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे अकेलापन, रिटायरमेंट, मानसिक विकार इत्यादि।

इस अवस्था के दौरान लोगों को कई बदलावों से गुजरना पड़ता है जिसके कारण उनकी मानसिक और शारीरिक दोनों स्वस्थ्य पर असर पड़ता है। यह देखा गया है कि बूढ़े लोग अधिक चिड़चिड़े रहते है और घरवालों के साथ भी उनके सम्बन्ध कुछ ख़ास नहीं होते। इसके लिए केवल घरवालो की ओर से किये परिश्रम काफी नहीं होंगे खुद भी उन्हें कुछ कदम उठाने चाहिए।

निम्नलिखित तरीके उनकी काफी सहायता कर सकते हैं:-

  • खुद को इसके लिए तैयार रखें-  सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप खुद को इस अवस्था के लिए पहले से ही तैयार रखें ताकि आप सी सहर्ष स्वीकार सकें। यह बहुत अजीब होगा यदि आप उसे स्वीकार ही नहीं कर पाएंगे। आपको चिड़चिड़ापन महसूस होने लगेगा। आपको यह बहुत अजीब लगेगा कि आपके बच्चे आपको उनके खुद के परिवार के लिए छोड़ रहे हैं इसलिए खुद को पहले ही तैयार रखें।
  • अपनी रूचि के क्षेत्रों को बढाएं-  उम्र के  साथ साथ अकेलापन भी बढ़ता है। जिसे आप बोर होते है और फिर उदास रहने लगते हैं इसलिए अपने रूचि के क्षेत्र बढाएं इससे आपका ध्यान बंटा रहेगा और आपको अकेलापन भी महसूस नहीं होगा। आप नयी गेम्स खेल सकते हैं, घूमने जाने का शौक बढा सकते हैं, अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत कर सकते हैं इत्यादि।
  • 6 तरीके जो बना देंगे वृद्धावस्था को खुशहाल

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  • अपनी स्वतंत्रता पर ध्यान दीजिए- यहाँ रागात्मिक स्वतंत्रता की बात की जा रही है। जब आप भावों से स्वतंत्र होंगे तभी आप उस सच्ची ख़ुशी को प्राप्त करना मुश्किल है। उस स्वतंत्रता के बिना यह नामुमकिन है। ध्यान लगाना शुरू कीजिए। कम शब्दों में कहा जाये तो यहाँ आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी गयी है इससे एक तो आप नयी चीज़े सीखेंगे और दूसरा आपको दूसरों पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा।
  • अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं- सबसे ज़्यादा बीमारियाँ मनुष्य को इसी उम्र में होती है क्योंकि इस समय स्वस्थ्य का ख़ास ख्याल नहीं रखा जाता। यदि सभी अपना ध्यान रखें और अपने स्वस्थ्य के प्रति जागरुक रहें तब वे बीमारियों को खुद से कोसों दूर रखने में सफल हो जायेंगे। इसलिए व्यायाम न छोड़े। प्रतिदिन योगा करें, जॉगिंग इत्यादि भी सहायक होंगे।
  • कोई आध्यात्मिक किताब प्रतिदिन पढें- आद्यात्मिक किताबें पढ़ने से न केवल हमारा मन खुश होता है बल्कि हमारी अंतरात्मा भी एक सकारात्मक ऊर्जा से बढ़ जाती है। यह आपको जीवन के ऐसे पहलू दिखती है जिनसे आपके अंदर भी जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन आता है। यह नकारात्मक ख्यालों पर काबू पाने का सबसे अच्छा उपाय है बस आपको एक अच्छी किताब चुनने की ज़रूरत है।
  • अपने डर को खत्म करें-  यह देखा गया है कि इस अवस्था में लोगों को खुद के मरने का डर होता है। उन्हें यह डर होता है कि अब उनका जीवन खत्म हो जाएगा। इस डर के कारण आप भावुक हो जाते हैं जिससे आपका स्वभाव बदल जाता है। खुद को यह समझाये की जन्म और मृत्यु दोनों ही इस जीवन चक्र का भाग हैं जो पैदा हुआ है उसे एक दिन मरना ही है तो उससे डरना कैसा?
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