Volcano erupted on Jupiter’s moon : नासा ने दिखाया आयो का विस्फोटक नजारा, सौरमंडल का ज्वालामुखीय चमत्कार
Volcano erupted on Jupiter's moon, हाल ही में नासा ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो (Io) पर एक सक्रिय ज्वालामुखी विस्फोट का वीडियो जारी किया है।
Volcano erupted on Jupiter’s moon : आयो, बृहस्पति के चंद्रमा की सतह पर ज्वालामुखीय ऊर्जा का प्रदर्शन
Volcano erupted on Jupiter’s moon, हाल ही में नासा ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो (Io) पर एक सक्रिय ज्वालामुखी विस्फोट का वीडियो जारी किया है। यह घटना खगोलविदों और वैज्ञानिकों के लिए उत्सुकता और अध्ययन का केंद्र बन गई है। आयो हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ज्वालामुखीय सक्रियता वाला पिंड है। यहां 400 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो इसे सौरमंडल में सबसे अनोखा और अध्ययन योग्य खगोलीय पिंड बनाते हैं।
आयो, बृहस्पति का चौथा सबसे बड़ा चंद्रमा
आयो बृहस्पति का चौथा सबसे बड़ा चंद्रमा है, जिसका व्यास लगभग 3,642 किलोमीटर है। इसकी सतह पर रंग-बिरंगे लावा के मैदान, सल्फर के जमा, और ज्वालामुखी गड्ढे मौजूद हैं। यह अपनी ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी और अन्य ग्रहों के भूगर्भीय विकास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल प्रदान करता है। आयो की इस अद्वितीय ज्वालामुखीय सक्रियता का कारण बृहस्पति और उसके अन्य बड़े चंद्रमाओं, जैसे यूरोपा और गैनीमीड, के गुरुत्वाकर्षण बलों द्वारा उत्पन्न ज्वार-भाटा प्रभाव (tidal heating) है। ये गुरुत्वीय बल आयो के आंतरिक हिस्से को गर्म करते हैं, जिससे ज्वालामुखी सक्रियता होती है।
नासा ने किया वीडियो पोस्ट
नासा द्वारा जारी किए गए वीडियो में आयो पर एक शक्तिशाली ज्वालामुखीय विस्फोट को कैद किया गया है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के तीसरे सबसे बड़े चंद्रमा IO पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट का वीडियो जारी किया है। इस वीडियो को नासा ने अपने जूनो मिशन के स्पेसक्राफ्ट से रिकॉर्ड किया है। वीडियो को स्पेस एजेंसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।
IO की पहली बार खोज?
IO की पहली बार खोज सन 1610 में वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली ने की थी। हालांकि इस पर ज्वालामुखी के सक्रिय होने के पता 1979 में वैज्ञानिक लिंडा ए. मोराबितो ने लगाया था। जूनो मिशन के प्रमुख रिसर्चर स्कॉट बोल्टन ने कहा कि लिंडा की खोज के बाद से ही वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर जिज्ञासा थी कि IO की सतह से लावा कैसे निकल रहा है।
इस घटना का वैज्ञानिक महत्व
1. सौरमंडल के अन्य पिंडों की तुलना: आयो की ज्वालामुखीय गतिविधियां सौरमंडल के अन्य चंद्रमाओं और ग्रहों पर भूगर्भीय प्रक्रियाओं को समझने में मदद करती हैं।
2. ग्रहों के विकास का अध्ययन: इस तरह की सक्रियता हमें ग्रहों और चंद्रमाओं के आंतरिक भाग की संरचना और विकास को समझने में मदद करती है।
3. अंतरिक्ष अन्वेषण में योगदान: आयो का अध्ययन भविष्य में अन्य ग्रहों और उनके चंद्रमाओं की सतह पर संभावित जीवन और वातावरण की खोज में मदद कर सकता है।
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आयो पर 400 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी
-आयो की सतह पर 400 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो इसे सौरमंडल का सबसे अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय खगोलीय पिंड बनाते हैं। इसके कुछ प्रमुख ज्वालामुखी हैं:
-लोकी पटेरा (Loki Patera): यह आयो का सबसे बड़ा और सक्रिय ज्वालामुखी है, जो लावा की झीलों के रूप में जाना जाता है।
-पिलेन पिट (Pillan Patera): इस ज्वालामुखी ने 1997 में एक बड़ा विस्फोट किया था, जिसके कारण आसपास की सतह पर गहरे रंग के लावा का जमाव हुआ।
सतह की संरचना
आयो की सतह मुख्यतः सल्फर और उसके यौगिकों से बनी है। यहां के ज्वालामुखी हर साल लाखों टन लावा और गैस बाहर निकालते हैं, जो इसकी सतह को नया रूप देते रहते हैं। इसके अलावा, इन ज्वालामुखियों से निकली गैसों के कारण आयो के चारों ओर पतला लेकिन अस्थायी वायुमंडल बना रहता है।
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नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों की भूमिका
-आयो पर हो रही घटनाओं को समझने के लिए कई मिशन और अंतरिक्ष यान इसे करीब से देख चुके हैं:
-गैलिलियो मिशन: 1995-2003 तक इस मिशन ने आयो के ज्वालामुखीय विस्फोटों की अद्भुत तस्वीरें लीं।
-जूनो मिशन: वर्तमान में बृहस्पति की कक्षा में स्थित यह यान आयो के ज्वालामुखीय और चुंबकीय वातावरण का अध्ययन कर रहा है।
-भविष्य में नासा और अन्य एजेंसियां आयो के और करीब जाने के लिए नए मिशन की योजना बना रही हैं।
आयो के अध्ययन से भविष्य की उम्मीदें
आयो के अध्ययन से हमें न केवल सौरमंडल के अन्य खगोलीय पिंडों को समझने में मदद मिलती है, बल्कि यह पृथ्वी पर ज्वालामुखीय प्रक्रियाओं और उनके प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने का एक जरिया भी है। इसके अलावा, वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि आयो जैसे खगोलीय पिंडों पर जीवन की संभावना का पता लगाने के लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है।