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NASA : नासा ने ढूंढ़ लिया है पृथ्वी जैसा ग्रह, अब जानना यह है कि, यहां एलियन होंगे या मंगल जैसा वीरान?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक ग्रह की खोज किया है और इसका नाम ‘सुपर अर्थ’ के रूप में रखा गया है और साथ ही इसको लेकर संभावना है कि यहां जीवन संभव हो सकता है।

NASA : नासा ने खोजा ‘सुपर अर्थ’, जानें धरती से कितना है दूर

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक ग्रह की खोज किया है और इसका नाम ‘सुपर अर्थ’ के रूप में रखा गया है और साथ ही इसको लेकर संभावना है कि यहां जीवन संभव हो सकता है।

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नाम दिया ‘सुपर अर्थ –

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक सुपर अर्थ नाम के ग्रह की एक खोज किया गया है और इसको लेकर संभावना है कि यहां पर जीवन संभव हो सकता है। यह 137 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इसके साथ ही एजेंसी का ये कहना है कि ग्रह की वेब टेलीस्कोप द्वारा अधिक बारीकी से अभी जांच की जा रही है, साथ ही वहां किस तरह का वातावरण है उसका भी पता किया जा रहा है। आज के वैज्ञानिकों के पास जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जैसी चीजें हैं, जो दूर के एक्सोप्लैनेट का पता लगाने के साथ-साथ उनकी वायुमंडलीय रचनाओं का विश्लेषण करने में भी सक्षम होते हैं। ऐसे डेटा सौरमंडल से परे जीवन की संभावना के बारे में महत्वपूर्ण सुराग दे सकते हैं। TOI-715 b का तारा एक लाल बौना है। जो हमारे सूर्य से छोटा और ठंडा होता है। चट्टानी ग्रहों पर इसके जरिए उपजाऊ भूमि पैदा हो सकती है। TESS (ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट) ने TOI-715 b की पहचान की गई है।

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पृथ्वी से लगभग डेढ़ गुना बड़ा –

अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस सुपर अर्थ को टीओआई-715 बी नाम दिया गया है और यह पृथ्वी से लगभग डेढ़ गुना बड़ा बताया जा रहा है। नासा के अनुसार इसकी सतह पर पानी भी हो सकता है या यह पृथ्वी के आकार का दूसरा ग्रह भी हो सकता है। यह ग्रह लाल तारे की परिक्रमा कर रहा है। हालांकि यह खोज अकेली नहीं है। इसके साथ लगभग पृथ्वी के आकार का एक दूसरा ग्रह भी हो सकता है, जो दोनों अपने मूल तारे के रहने योग्य क्षेत्र में हैं। TOI-715 b हमारे ग्रह से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा चौड़ा है। यह एक ऐसी कक्षा में है, जो इसे अपने तारे से बिल्कुल सही दूरी पर रहता है, जिससे इस ग्रह पर पानी के तरल रूप की संभावना बढ़ जाती है। पानी जीवन का प्रमुख घटक माना जाता है।

गृह इंसानों के रहने लायक है क्या –

नासा के अनुसार, यदि इस ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि हो जाती है, जिसका आकार लगभग पृथ्वी के समान है, तो यह ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट द्वारा खोजा गया सबसे छोटा रहने योग्य क्षेत्र वाला ग्रह होगा। नासा के मुताबिक यह गृह इंसानों के रहने लायक हो सकता है। वैसे तो रहने योग्य क्षेत्र तारे से एक ऐसी दूरी होती है, जहां किसी ग्रह पर मौजूद पानी गर्मी के कारण न तो भाप बने और न ही ठंड के कारण बर्फ बने और इसके साथ ही पानी का अस्तित्व उपयुक्त वातावरण समेत कई कारकों पर निर्भर करता है।

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