Bangladesh Crisis: आखिरकार बांग्लादेश में सड़क पर क्यों उतरे छात्र? जिससे तुरंत इस्तीफा देकर देश छोड़कर भाग गईं प्रधानमंत्री शेख हसीना
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश इस समय राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद के साथ देश भी छोड़ चुकी हैं। सोमवार को प्रदर्शनकारी राजधानी ढाका में उनके आधिकारिक आवास में घुस आए और उन्होंने जमकर तोड़फोड़ की। इसके बाद शेख हसीना अपनी बहन के साथ सेना के हेलीकॉप्टर से वहां से निकल गईं।
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में कैसे हुई थी हिंसा की शुरुआत? जानें बगावत की पूरी कहानी
बांग्लादेश इस समय राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद के साथ देश भी छोड़ चुकी हैं। सोमवार को प्रदर्शनकारी राजधानी ढाका में उनके आधिकारिक आवास में घुस आए और उन्होंने जमकर तोड़फोड़ की। इसके बाद शेख हसीना अपनी बहन के साथ सेना के हेलीकॉप्टर से वहां से निकल गईं। अटकलों के बीच वह भारत पहुंच गईं हैं। उधर, बांग्लादेशी सेना के प्रमुख वाकर-उज-जमान ने ऐलान कर दिया है कि देश में जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। कई लोग बांग्लादेश में बने ऐसे हालातों के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ बता रहे हैं तो कई इसे सेना की साजिश भी कह रहा है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुआ छात्रों का यह आंदोलन आखिर शेख हसीना के खिलाफ मुहिम में कैसे बदल गया? क्यों शेख हसीना को प्रधानमंत्री का पद और देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा? वो क्या कारण रहे जिनके चलते बांग्लादेश इस संकट में फंस गया? इस रिपोर्ट में जानिए बांग्लादेश में ऐसी स्थिति बनने की पूरी टाइमलाइन।
कैसे हुई हिंसा की शुरुआत? Bangladesh Crisis
दरअसल, बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता था और लंबे समय से इसका विरोध हो रहा था। इसके बाद 2018 में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नए आरक्षण नियम लागू कर इसे खत्म कर दिया था। हालांकि, इस साल 5 जून को ढाका हाई कोर्ट ने आरक्षण दोबारा लागू करने का आदेश दे दिया। इसके विरोध में 1 जुलाई को छात्रों ने सड़क और रेल मार्ग जाम कर प्रदर्शन शुरू किया था।
हिंसा में हुई थी 115 लोगों की मौत Bangladesh Crisis
आपको बता दें कि सरकार के प्रदर्शन को दबाने के लिए सख्ती बरतने पर 16 जुलाई को इसने हिंसा का रूप ले लिया। इसमें 115 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद देश में कर्फ्यू के साथ इंटरनेट बंद कर दिया गया था। 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अधिकतर आरक्षण को खत्म करते हुए उसकी सीमा को 7 प्रतिशत कर दिया। इसके बाद शांति तो स्थापित हुई, लेकिन अधिकतर प्रदर्शनकारी इसे पूरी तरह खत्म करने पर अड़े रहे।
निकाला गया ‘न्याय के लिए मार्च’ Bangladesh Crisis
सरकार के प्रयास और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अधिकतर छात्र सहमत हो गए, लेकिन हिंसा में हुई मौतों के लिए मुआवजे और गिरफ्तार किए गए हजारों लोगों की रिहाई की मांग सहित सरकार की कानून कार्रवाई की धमकी के विरोध में 31 जुलाई को छात्र फिर से प्रदर्शन पर उतर आए। स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन समूह ने इसके लिए ‘न्याय के लिए मार्च’ का आह्वान किया था।पुलिस को इस प्रदर्शन को दबाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा था।
पीएम हसीना के इस्तीफे की मांग के बाद भड़की हिंसा Bangladesh Crisis
पुलिस के बल प्रयोग करने से 20 से अधिक छात्र घायल हो गए थे। इससे गुस्साए छात्रों ने एकजुट होकर सरकार पर तानाशाह होने का आरोप लगाया और 2 अगस्त को प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर मार्च का आह्वान किया। 3 अगस्त को प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ नारे लगाकर मार्च कर रहे थे। उसी दौरान सरकार समर्थित संगठन और लोग उनके सामने खड़े हो गए। इसके बाद इस मार्च ने हिंसा का बड़ा रूप धारण कर लिया।
91 लोगों की गई जान Bangladesh Crisis
हजारों प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच 4 अगस्त को फिर टकराव हुआ। प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख हाईवे ब्लॉक कर दिए और छात्रों ने असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। इस दौरान 91 की जान गई जिनमें 14 अधिकारी शामिल थे। लेकिन, यहीं शेख हसीना को झटका लगा जब पूर्व सेना प्रमुख ने सरकार के खिलाफ आवाज उठा दी। वर्तमान सेना प्रमुख नवाकर-उज-जमान भी लोगों के समर्थन में आ गए और उन्होंने कहा कि देश के सशस्त्र बल हमेशा जनता के साथ खड़े हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार सेना ने ही शेख हसीना पर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बनाया। इसके बाद जमान ने जनता को संबोधित किया और कहा कि जल्द नई अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा।
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नेताओं ने लगाया गंभीर आरोप Bangladesh Crisis
सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेताओं का आरोप है कि प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की छात्र इकाई बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिबिर और प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने इस प्रदर्शन को राजनीतिक रूप दिया है। इन संगठनों ने छात्रों को सरकार के खिलाफ उग्र करते हुए अपना फायदा निकाला है। नेताओं का दावा है कि इन्हीं संगठनों ने छात्रों को प्रदर्शन के दौरान अपने पास लाठियां रखने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए दुष्प्रेरित किया था।
प्रधानमंत्री हसीना ने देश छोड़ा Bangladesh Crisis
सरकार ने भड़की हिंसा के बीच देशभर में कर्फ्यू लगाने के साथ इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया, लेकिन उसके बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों से नहीं हटे। इसके बाद प्रभावित इलाकों में सेना की तैनाती की गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के सरकारी आवास गणभवन की ओर कूच कर दिया। इसकी सूचना पाते ही प्रधानमंत्री हसीना ने आनन-फानन में पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी बहन शेख रेहाना के साथ सैन्य हेलीकॉप्टर से देश छोड़ दिया।
सेना प्रमुख ने किया अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान Bangladesh Crisis
हसीना के इस्तीफा देकर जाने के बाद सेना प्रमुख वकार-उज-जमान ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “अब हम अंतरिम सरकार बनाकर देश को चलाएंगे। लोग शांति के लिए प्रयास करें और बांग्लादेश की सेना पर भरोसा रखें।” उन्होंने आगे कहा कि हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलेगा। देश के लोगों को उनका सहयोग करना चाहिए। लोग कानून को अपने हाथ में न लें। पूरे हालात पर सेना की नजर है। जो कुछ अन्याय हुआ है उस पर विचार करेंगे।
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