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Women talk- रिश्तेदारों ने उड़ाया मजाक, लेकिन संगीता ने नहीं मानी हार आज खेती किसानी से कमा रही है 30 लाख सालाना

Women talk- दुःखों के पहाड़ के बीच खेती किसानी संगीता के लिए एक चिराग की तरह काम कर गये


हमें बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि अगर कोई इंसान मन से ठान ले की उसे कोई काम करना है तो वह कभी असफल नहीं होता है। भले ही उसके रास्ते पर कितने ही रोड़े क्यों न जाए। ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र की अंगूरों के लिए मशहूर शहर नासिक की संगीते पिंगले की। जिन्होंने अपने धैर्य और साहस के दम पर किसानी कर अपने परिवार को आगे बढ़ाया है। संगीता आज कई महिलाओं को लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है। जो अपने जीवन में हार मानकर आगे नहीं बढ़नाचाहती है।

इतना  नहीं आज संगीता आर्थिक तौर से भी मजबूत है। वह आज सालना 30 लाख तक की कमाई अपनी किसानी से कर रही हैं। आइये जानते हैं संगीता पिंगले की प्रेरणादायक जीवन को। हिंदी न्यूज वेबसाइट द बेटर इंडिया को दिए इंटरव्यू में संगती बताती है कि मेरे साथ हमेशा दुःखों को पहाड़ रहा है। लेकिन जब मैंने इन दुःखों को छोड़  आगे बढ़ने का सोचा तो लोग मुझे कहते थे एक अकेली महिला खेत नहीं संभाल सकती है, इसलिए वह कभी सफल नहीं हो पाऊंगी। संगीता ने बताया कि वह ऐसी बातें कहने वालों को गलत साबित करना चाहती थी। और उन्होंने उन सब को गलत साबित कर दिया है।

संगीता का यहां तक का सफर बहुत ही कठिन रहा है। उन्होंने पहले अपने बच्चे को खोया और फिर कुछ समय बाद पति भी दुनिया छोड़कर चले गए। संगीता का दुःख यही कम नहीं हुआ इन दो मौतों के बाद कुछ साल बाद उनके ससुर भी नहीं रहे। ऐसी परिस्थिति में भी संगीता ने हार नहीं मानी और अपने दो बच्चों की परवरिश के लिए  खेत की पगडंडियों की तरफ अपने कदम बढ़ा लिए। लोगों ने उन्हें कमजोर करने की कोशिश की। पर उनका इरादा पक्का था। आज वह ट्रैक्टर चलाती हैं, मार्केट का भी काम संभालती हैं और अपने अंगूर की खेती से लाखों रुपये भी कमा रही हैं।


संगीता के संघर्षपूर्ण जीवन की शुरुआत साल 2004 से हुई। जब उन्होंने अपने दूसरे बच्चे को खो दिया था। अभी वह इस सदमे से उबरी भी नहीं थी कि 2007 में एक सड़क दुर्घटना में उनके पति की भी मृत्यु हो गई। जिस वक्त यह सारी चीजें हुई उस समय संगीता नौ महीने की गर्भवती थी। कुछ ही समय में संगीता का सब कुछ बर्बाद हो गया था।

वह बताती है कि इन परिस्थितियों में उनकी जीने की इच्छा एकदम खत्म हो गई थी। लेकिन संगीता ने हार नहीं मानी। इन सबके बाद कुछ समय के अंतराल पर उनके ससुर की भी मौत हो गई। और यही से शुरु हुआ संगीता का खेती का सफर।

अब 39 की संगीता को अपने ससुर द्वारा छोड़ी गई 13 एकड़ जमीन को खुद ही संभालना था।
यही उनकी आमदनी का एकमात्र जरिया था। लेकिन ऐसी परिस्थिति में जब संगीत ने खेती करने का निर्णय लिया तो उनके रिश्तेदार उनसे कहने लगे कि वह घर और खेत दोनों नहीं संभाल पाएंगी। वह कहते थे खेती करना महिलाओं का काम नहीं है।

लेकिन संगीता ने अपने सभी रिश्तेदारों को गलत साबित कर दिया। आज वह अपनी 13 एकड़ की जमीन पर अंगूर और टमाटर की खेती करती हैं। टनों की उपज है और उससे लाखों की कमाई कर रही है।

संघर्षपूर्ण रहा है सफर

खेती करना संगीता के लिए आसान नहीं था। इस परिस्थिति में उनके भाईयों ने उनका खूब साथ दिया। वह बताती हैं कि  “खेती करने के लिए उन्होंने अपने गहनों को गिरवी रखकर कर्ज लिया। चचेरे भाइयों से भी पैसे उधार लिए। भाईंयों ने ही उन्हें अंगूर की खेती के हर पहलू से रू-ब-रू कराया। कौन से रसायन का कब इस्तेमाल करना है, पैदावर बढ़ाने के लिए क्या तकनीक अपनानी है और भी बहुत सी चीजें। चूंकि संगीता विज्ञान की छात्रा थी इसलिए इन सभी चीजों को जल्द ही समझ गई।

इसके बाद संगीता ने शुरु की अंगूर की खेती। यह भी उनके लिए इतना आसान नहीं था वह बताती है कि  इस मोड़ पर भी उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। “कभी पानी का पंप खराब हो जाता, तो कभी बेमौसम बारिश से खेती का नुकसान हो जाता था। इतना ही नहीं कभी फसल में लगे कीड़ों से निपटना पड़ता, तो कभी मज़दूरों की समस्या खड़ी हो जाती है।

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संगीता कहती है कि खेती तो महिलाएं संभाल भी लेती हैं। लेकिन इसके अलावा भी बहुत सारे काम है। जो उनके लिए कठिन होते हैं। ऐसा ही एक काम था मेरे लिए ट्रैक्टर चलाना, मशीनों की मरम्मत करवाना, उपकरणों का इस्तेमाल और सामान खरीदने के लिए बाजार जाना। वह बताती  कि इन सबमें उनका साथ देना वाला कोई नहीं था।

इसलिए घर और खेत दोनों की जिम्मेदारी मुझे ही संभालनी थी। इसलिए  मैंने टू व्हीलर और ट्रैक्टर चलाना सीख लिया। कुछ दिन तो ऐसे भी थे, जब ट्रैक्टर ठीक कराने के लिए उन्हें सारा दिन वर्कशॉप में बिताना पड़ा। ”

इतनी मेहनत और कष्टों के  बाद अब संगीता की खेत ने उन्हें फल देना शुरु कर दिया है। अब हर साल उनके खेत में 800 से 1000 टन अंगूरों की उपज होती है, जिससे वह 25 से 30 लाख रुपये सालाना कमा लेती हैं। टमाटर की खेती वह इसलिए करती है ताकि वह नुकसान की भरपाई  कर सके।

आज संगीता की बेटी ग्रेजुएशन कर रही है और बेटा प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहा है। संगीता ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अंगूरों को निर्यात करने की योजना भी बनाई है।

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