Women Entrepreneurs from Rural India: महिलाएं जिन्होंने अपने सपनों को सच कर दिखाया और अपने टैलेंट का लोहा मनवाया!
Women Entrepreneurs from Rural India: कल्पना सरोज, बिनीता देवी, जसवंती बैन जैसी आत्मनिर्भर महिलाओं ने दिखा दिया की औरत चाहे तो क्या नहीं कर सकती! कुछ नहीं से लेकर आज लगभग सबकुछ तक, क्या है उनकी कहानी?
Highlights:
- Successful Women from Rural India: पिछड़ी वर्ग से होकर भी हार नहीं मानी इन महिलाओं ने।
- घरेलू उत्पीड़न से लड़कर कैसे बनी कल्पना सरोज एक सफल व्यापारी?
- लिज्जत पापड़’ को ब्रांड बनाने वाली जसवंती बैन की क्या है कहानी?
Women Entrepreuners from Rural India: किसी ने सच ही कहा है कि “आत्म सम्मान कोई समान नहीं है जो दुकानों पर मिल जाए, इसे ख़ुद कमाना पड़ता है”। मिसाल के तौर पर भारत में ऐसी कई महिलाए है जिन्होने कुछ नहीं से लगभग सब कुछ हासिल किया है और उनका यह सफर अभी भी थमा नहीं है। ग्रामीण और पिछड़े वर्ग से होने के कारण इनके पास सुविधाए न के बराबर थी मगर अब यही महिलाए औरों को प्रेरित कर हर सुविधा देने के प्रयासो में जुटी है। इन महिलाओं ने अपना आत्मसम्मान सर्वोपरी रखकर देश को गर्वांगित महसूस करवाया है।
चलिए बिना किसी विलंभ के आपको इन स्वाभिमानी महिलाओं और उनके काम से रूबरू करवाते है। हालांकि इन महिलाओं को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनका काम ही उनके लिए बोलता है और यही उनकी सफलता का राज़ भी है। लेकिन फिर भी इनकी कहानियां औरों के लिए प्रेरणा का सोत्र बन सके इसलिए इस लेख में हमने आगे उन सभी महिलाओ में से कुछ की चर्चा की है।
कई बाधाओं का सामना कर अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली इन महिलाओं पर एक नज़र डालते है:
कल्पना सरोज
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रोजाना सिर्फ दो रुपये कमाने वाली कल्पना आज करोड़पति है। उनका जन्म विदर्भ, महाराष्ट्र में एक दलित परिवार में हुआ था, 12 साल की उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी और वह अपने पति के परिवार के साथ मुंबई के स्लम इलाके में बस गईं। हालांकि, अपने ससुराल वालों द्वारा लगातार शारीरिक शोषण और मानसिक प्रताड़ना झेलने के बाद उन्होंने अपने पति को छोड़ दिया।
उनके पिता ने उन्हे वहाँ से अपने घर वापस लाया, तभी कुछ दिनो के बाद उन्होने अपनी ज़िंदगी की नई शुरुआत की और एक कपड़ा कारखाने में काम करना शुरू कर दिया। उसके बाद उन्होने सिलाई की दुकान और फर्नीचर की दुकानों में अपना निजी कारोबार स्थापित किया और देखते ही देखते आज वह मुंबई के बड़े व्यापारियों में से एक है। इतना ही नहीं उन्हें 2013 में पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है।
राज कुमारी बिनीता देवी
Manipur: A woman in Imphal cultivates mushroom and provide livelihood to locals
"We grow 6 mushroom varieties & make pickles, chips for selling. During peak season, we earn around Rs 1.5 lakh a month. We also teach people about mushroom cultivation," said RK Binita Devi (02.03) pic.twitter.com/SzKs9wdjAK
— ANI (@ANI) March 2, 2021
ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्र, हर जगह लोग हमेशा कुछ अलग और नया करने की कोशिश कर रहे हैं। मणिपुर की बिनीता देवी की भी कुछ ऐसी ही कहानी है, वह अचार, चिप्स बनाने के साथ 6 किस्म के मशरूम की खेती करती है और खेती से अपने तेजी के दिनो में हर महीने लगभग 1.5 लाख रुपये तक कमाती है। बिनिता लोगों को मशरूम की खेती के बारे में भी सिखाती हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार देकर अपने तरफ से उनके जीवन में कुछ बदलाव लाने का भी प्रयास कर रही है। वह सचमुच एक स्वाभिमानी महिला है।
जसवंती बैन जमनादास पोपट
Meet #PadmaShri Jaswantiben Jamnadas Popat, The Woman Behind Lijjat Papad #Inspiring https://t.co/8Aad3gl3nH
— herzindagi (@herzindagi) November 12, 2021
जसवंती बैन ने भले ही व्यापार चलाने की पढ़ाई न की हो लेकिन वह हमेशा से कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकें। 80 रुपये उधार लेकर उन्होने अपने छह दोस्तों के साथ मिलकर पापड़ बनाना शुरू किया था। धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और उनके द्वारा बनाया गया पापड़ पूरे देश में एक ब्रांड के रूप में उभरने लगा। आज हम जिस ‘लिज्जत पापड़’ को जानते है और बड़े मज़े से खाते है उसे जसवंती जी ने ही शुरू करवाया था। वर्तमान में इस ब्रांड की 60 से अधिक शाखाएं हैं, जिनमें लगभग 45 हजार महिलाएं कार्यरत हैं। उन्हे पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
नवलबेन दलसांगभाई चौधरी
Navalben Dalsangbhai Chaudhary has become an inspiration for many. Hailing from Gujarat, Navalben has sold milk worth Rs 1.10 crore in 2020 & made a profit of Rs 3.5 lakh each month. Watch to know more about her. #NewsMo pic.twitter.com/WfFlT081Ay
— IndiaToday (@IndiaToday) January 16, 2021
गुजरात के नगाना गाँव की रहने वाली, 62 वर्षीय नवलबेन ने अपने जीवन में सभी बाधाओं को पार कर अपने घर पर ही एक दूध कंपनी की शुरूआत की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने 2020 में 1.10 करोड़ रुपये का दूध बेचकर 3.50 लाख रुपये प्रति माह का मुनाफा कमाया था। 2019 में उन्होंने 87.95 लाख रुपये मूल्य का दूध बेचा था। नवलबेन के पास अब 80 से अधिक भैंस और 45 गायें हैं जो कई गांवों और आस पास के लोगों की दूध की जरूरतों को पूरा करती हैं।
नौरोती देवी
Nauroti Devi brought a new definition to being a farmer, a mother and a nurturer Read more: https://t.co/jasPUaHl4p pic.twitter.com/6FGdbGKCX1
— IFFCO (@IFFCO_PR) May 24, 2016
अजमेर के हरमाड़ा गांव की रहने वाली एक दलित विधवा नौरती देवी, जो कभी स्कूल या कॉलेज नहीं गयी, लेकिन जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित रहती थी। उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब उन्होंने छह महीने के साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में उन्हें अपनी जिंदगी को जीने का एक और नया मौका मिला। गाँव के निवासियों का कहना है की नौरती देवी में सभी गुण थे जो की एक लीडर या नेता में होने चाहिए। यही कारण था कि उन्हें 2010 में हरमाड़ा के सरपंच के रूप में चुना गया था, जहां उच्च जाति के जाटों का हमेशा से ही वर्चस्व रहा है। नौरती देवी की यह जीत एक आत्मसम्मान की जीत है एक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया सफलता पूर्वक कदम है। नजाने उनकी इस जीत ने कितने लोगों को प्रेरणा दी होगी।
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Conclusion: यह सच है की महिलाए जब कुछ ठान ले तो उसे अपनी लगन से हासिल जरूर कर लेती है। यह तो हमारे देश में मौजूद कई कहानियों में से कुछ है, नजाने ऐसे कितने आत्मनिर्भर स्वाभिमानी महिलाए है जिन्होने अपने साथ साथ औरों को भी प्रेरणा देकर उनका हौसला बढ़ाया है। कल्पना सरोज से लेकर इस लेख में लिखे नौरती देवी तक की कहानी में एक बात सामान्य है और वो है “सपने” इन सब महिलाओ ने सपना देखा और उनको सफलता पूर्वक पूरा भी किया।
उम्मीद करते है इस लेख को पढ़कर आप भी अपने सपने को अब और भी जोशीले अंदाज़ में पूरा करने की कोशिश करेंगे। ऐसे ही महिलाओ से जुड़े प्रेरणा भरी कहानियों को पढ़ने के लिए बने रहिए Oneworldnews के साथ।
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