CEO Radhika Gupta: निराशा से उम्मीद तक की कहानी, राधिका है आज लाखों के लिए मिसाल
CEO Radhika Gupta: जाने क्यों लोगों द्वारा राधिका की तुलना उनकी मां से करना उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचता था
- जाने कौन है राधिका गुप्ता?
- राधिका ने क्यों की थी आत्महत्या करने की कोशिश ?
- मां से तुलना
- जाने क्यों की थी राधिका गुप्ता ने आत्महत्या करने की कोशिश?
CEO Radhika Gupta: अगर आप किसी मुकाम पर पहुंचने के लिए काफी ज्यादा मेहनत कर रहे है और आप काबिल भी है तो सफलता आपके हाथ जरूर लगेगी। भले ही आपको सफलता मिलने में थोड़ा समय लगे लेकिन आपको सफलता मिलेगी जरूर। ऐसी ही एक कहानी है राधिका गुप्ता की। राधिका गुप्ता को उनके शुरुआती समय में टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे की वजह से बहुत झेलना पड़ा था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राधिका को लगातार रिजेक्शन झेलने पड़े थे जिसके कारण एक समय ऐसा आया जब राधिका ने आत्महत्या करने तक की कोशिश की। लेकिन जब राधिका को नौकरी मिली तो उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा। आपको बता दें कि आज के समय पर राधिका गुप्ता हमारे देश की सबसे कम उम्र की सीईओ हैं। मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार एडलवाइस एमएफ की सीईओ राधिका गुप्ता ने अपने संघर्ष के बारे में ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ को बताया है। तो चलिए जानते है राधिका गुप्ता के संघर्ष की कहानी।
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राधिका को अपनी टेढ़ी गर्दन के कारण बना पड़ता था मजाक
राधिका गुप्ता ने बताया कि वो टेढ़ी गर्दन के साथ पैदा हुईं और जब वो सातवीं क्लास में थी तब स्कूल में बच्चे उनके भारतीय उच्चारण का मजाक उड़ाते थे। राधिका के पिता एक राजनयिक थे जिसके कारण उनकी पढ़ाई भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और नाइजीरिया में हुई। नाइजीरिया में जब वो स्कूल में पढ़ती थी तो बच्चे उनकी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे के कारण उनका मजाक उड़ाते थे। इतना ही नहीं उस समय पर बच्चे उन्हें अप्पू नाम से बुलाते थे। यह सिम्पसन के एक कैरेक्टर का नाम है। राधिका गुप्ता गर्दन की एक बीमारी टोर्टीकोलिस से पीड़ित हैं। इस बीमारी में गर्दन की मांसपेशियां कस जाती हैं और सिर को एक तरफ मोड़ देती है।
मां से तुलना
राधिका ने बताया कि स्कूल समय पर सभी बच्चे मेरी तुलना मेरी मां से करते थे। क्योंकि मेरी मां मेरे ही स्कूल में पढ़ाती थीं। मेरी मां एक बहुत तेजस्वी महिला हैं। इस लिए अक्सर लोग मेरी मां से मेरी तुलना करते हुए कहते कि आप उनके मुकाबले बहुत कुरूप लगती हो। जिसे की धीरे- धीरे मेरा आत्मविश्वास टूटने लगा। इसके कारण कम उम्र में कई बार मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची। इन चीजों से बाहर निकलने के लिए मैंने कई कोशिश की लेकिन में निकल नहीं पाई।
जाने क्यों की थी राधिका गुप्ता ने आत्महत्या करने की कोशिश?
22 साल की उम्र में राधिका ने अपनी पढ़ाई खत्म कर ली थी और वो नौकरी की तलाश में लग गई थी। उन्होंने कई इंटरव्यू दिए लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी। राधिका ने जब 7वें बार इंटरव्यू दिया और उन्हें असफलता मिली तो उन्होंने आत्महत्या करने की सोची। राधिका का कहना है कि मनोचिकित्सा वार्ड में उनका डिप्रेशन का इलाज किया गया था। इस वार्ड से राधिका को छुट्टी तभी मिली जब उन्होंने डॉक्टर्स को बताया कि उनको एक जॉब इंटरव्यू देने जाना है। उसके बाद राधिका वहां से इंटरव्यू देने गई और इस इंटरव्यू में उन्हें सफलता भी मिली साथ ही उन्हें मैकेंजी में नौकरी भी मिल गई।
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राधिका का कहना है कि इस नौकरी के बाद मेरी जिंदगी तो पटरी पर लौट आई लेकिन मैंने कुछ करने का इरादा तीन साल बाद किया। राधिका कहती है कि 25 साल की उम्र में वो भारत लौट आई। उसके बाद उन्होंने अपने पति और दोस्त के साथ मिलकर अपनी एसेट मैनेजमेंट फर्म शुरू किया। लेकिन कुछ सालों बाद ही उनकी कंपनी का एडलवाइज एमएफ ने अधिग्रहण कर लिया गया। राधिका बताती है कि उस समय मैं सफल होने लगी थी उस समय तक में अपना हाथ नए ऑप्शन की तरफ बढ़ाने लगी थी। इस लिए जब एडलवाइज ने सीईओ की तलाश शुरू की तो मैंने भी हिचकिचाते हुए अपने पति की प्रेरणा से इस पद के लिए अप्लाई कर दिया और कुछ ही महीनों बाद एडलवाइज ने मुझे अपना सीईओ चुन लिया। जब एडलवाइज ने राधिका को अपना सीईओ चुन उस समय राधिका महज 33 साल की थी।