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Prostitution Legal: वेश्यावृत्ति को नहीं माना जाता इस देश में गैरकानूनी

Prostitution Legal: जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, ‘सेक्स वर्क भी एक रोजगार है’

Highlight

  • सेक्स वर्कर्स कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं। जब यह स्पष्ट हो जाए कि सेक्स वर्कर एडल्ट है और सहमति से वेश्यावृत्ति में है
  • सेर्क्स वर्कर्स को सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए अरेस्ट, दंडित, परेशान या छापेमारी  के जरिए पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए।

Prostitution Legal: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है। ऐसे में अपनी मर्जी से पेशा अपनाने वाले सेक्स वर्कर्स को सम्मानीय जीवन जीने का हक है। इसलिए पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न करे। शीर्ष अदालत ने इस मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पुलिस को भी कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब है कि अब पुलिस सेक्स वर्कर्स के काम में साधारण परिस्थितियों में बाधा नहीं डाल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों से कहा है कि हर पेशे की तरह मानवीय गरिमा और शालीनता के साथ जीवन जीने के लिए बुनियादी सुरक्षा यौन कर्मियों के लिए भी है। पुलिस और प्रशासन को यौन कर्मियों यानी सेक्स वर्कर्स के साथ भी आम नागरिक की भांति गरिमापूर्ण और सम्मानजनक बरताव व्यवहार करना चाहिए। यानी उनके साथ पुलिस मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करे।

आपको बता दे जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की तीन जजों की बेंच ने कहा, “वेश्यावृत्ति एक पेशा है और सेक्स वर्कर्स कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं।”

कोर्ट ने कहा, ”सेक्स वर्कर्स कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं। जब यह स्पष्ट हो जाए कि सेक्स वर्कर एडल्ट है और सहमति से वेश्यावृत्ति में है, तो पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करने या उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।”

भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार, वेश्यावृत्ति वास्तव में अवैध नहीं है। लेकिन कुछ गतिविधियां ऐसी हैं जो वेश्यावृत्ति का एक बड़ा हिस्सा हैं और कुछ प्रावधानों के तहत दंडनीय हैं, जैसे

1. सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति
2. होटलों में वेश्यावृत्ति करना।
3. एक सेक्स वर्कर की व्यवस्था करके वेश्यावृत्ति में शामिल होना।
4. एक ग्राहक के लिए यौन क्रिया की व्यवस्था करना।

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अनैतिक ट्रैफिक अधिनियम, 1986 मूल अधिनियम का एक संशोधन है। इस अधिनियम के अनुसार, वेश्याओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए अगर वे खुद के साथ संबंध बनाने को कहती हैं या दूसरों को बहकाते हुए पाई जाती हैं। इसके अलावा, कॉल गर्ल को अपने फोन नंबर सार्वजनिक करने की मनाही है। ऐसा करते पाए जाने पर उन्हें 6 महीने तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।

आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में कौन-कौन से महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए :-

1. सेर्क्स वर्कर्स को सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए अरेस्ट, दंडित, परेशान या छापेमारी के जरिए पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए।

2. कोर्ट ने कहा कि वेश्यालयों पर छापे के दौरान सेक्स वर्कर्स को अरेस्ट, परेशान नहीं करना चाहिए और जुर्माना नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि स्वैच्छिक रूप से सेक्स वर्क अवैध नहीं है, केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।

3. सेक्स वर्कर्स की उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर पुलिस को सेक्स वर्कर्स के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। यौन उत्पीड़न के शिकार सेक्स वर्कर्स को हर सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिनमें तुरंत मेडिकल और कानूनी सहायता उपलब्ध कराना शामिल है।

4. सेक्स वर्कर के बच्चे को उसकी मां की देखभाल से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। अगर किसी नाबालिग को वेश्यालय या सेक्स वर्कर्स के साथ रहते हुए पाया जाता है तो ये नहीं माना जाना चाहिए कि उसकी तस्करी की गई है।

5. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सेक्स वर्कर्स को उनसे जुड़े किसी भी पॉलिसी या प्रोग्राम को लागू करने या सेक्स वर्क से जुड़े किसी कानून/सुधार को बनाने समेत सभी डिसिजन मेकिंग प्रोसेस में शामिल करना चाहिए।

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